बच्चों में तेजी से बढ़ रहा कैंसर, हर साल 3 लाख मासूम आते हैं चपेट में - Kal Se Aaj Tak News

“समय के साथ”

Breaking

Home Top Ad

Web hosting

Post Top Ad

Join us to kalseaajtaknew.blogspot.com

Sunday, September 15, 2019

बच्चों में तेजी से बढ़ रहा कैंसर, हर साल 3 लाख मासूम आते हैं चपेट में

नई दिल्ली का बढ़ता चलन पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है। हर साल करीब 3 लाख बच्चे इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आते हैं, जिनमें से 78 हजार से ज्यादा अकेले भारत में हैं। विकसित देशों में जहां लगभग 80 प्रतिशत कैंसर पीड़ित बच्चे ठीक हो जाते हैं वहीं भारत में डॉक्टर कैंसर पीड़ित केवल 30 प्रतिशत बच्चों को ही बचा पाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने 2030 तक 60 प्रतिशत कैंसर पीड़ित बच्चों को बचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बच्चों को चपेट में ले रहे हैं कई तरह के जानलेवा कैंसर अक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, होज्किन्ज़ लिम्फोमा, साकोर्मा और एंब्रायोनल ट्यूमर सिर्फ मुश्किल शब्द ही नहीं बल्कि बच्चों को मुश्किल में डाल देने वाले जानलेवा कैंसर के प्रकार हैं, जो बड़ी खामोशी से हंसते खेलते बच्चे को मौत के मुंह तक पहुंचा देते हैं। हालांकि डाक्टरों की यह बात राहत दे सकती है कि जरा सा ध्यान देने से और समय रहते कैंसर का पता चल जाने से ज्यादातर मामलों में इसे ठीक किया जा सकता है। गांवों में बच्चों द्वारा अस्पताल पहुंचने की दर सिर्फ 15 प्रतिशत इस क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन ‘कैनकिड’ की संस्थापक पूनम बगई का कहना है कि गांव देहात में कैंसर पीड़ित बच्चों के अस्पताल और आधुनिक चिकित्सा सेवाओं तक पहुंचने की दर केवल 15 प्रतिशत है। पूनम ने बताया कि उनका संगठन देशभर में कुल 22 राज्यों के 42 शहरों में 69 कैंसर सेंटरों के साथ साझेदारी में काम कर रहा है। 10 राज्यों में परियोजनाएं स्थापित की गई है। पंजाब और महाराष्ट्र सरकार के साथ नॉलेज पार्टनर के रूप में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष ‘कैंसर सर्वाइवर्स’ की तरफ से बच्चों के कैंसर के बारे में जनजागरूकता फैलाने के इरादे से ‘हक की बात अभियान’ चलाया, जिसमें सभी हितधारकों, अस्पताल, नर्सों, स्कूल, कॉलेजों और सरकार को शामिल किया गया है। कैंसर के कुल मरीजों में बच्चों की संख्या 5 प्रतिशत बच्चों में होने वाले कैंसर के बारे में नोएडा के जेपी अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर नितिन लीखा का कहना है कि वयस्कों और बच्चों में होने वाले कैंसर में कई अंतर है और भारत में कैंसर के कुल मरीजों में बच्चों की संख्या 3 से 5 प्रतिशत है। उनके अनुसार समय पर बीमारी का पता चल जाए तो काफी हद तक कैंसर को मात दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि अक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, होज्किन्ज़ लिम्फोमा आदि बच्चों में होने वाले कैंसर हैं। पैरंट्स को कुछ लक्षणों पर देना चाहिए ध्यान माता-पिता को कैंसर से जुड़े प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी रखनी चाहिए और बच्चे का शारीरिक-मानसिक विकास सामान्य रूप से न हो रहा हो, कम वजन होने लगे, अचानक रक्त स्राव हो या शरीर के किसी हिस्से में गांठ उभरने लगे तो सचेत हो जाएं। साथ ही बीमारियों की फैमिली हिस्ट्री पर नज़र रखें, क्योंकि ल्यूकेमिया और ब्रेन ट्यूमर आदि जैसे कैंसर अनुवांशिक कारणों से भी हो सकते हैं। गरीबी और जागरुकता की कमी से बिगड़ रहे हालात इस संबंध में डॉक्टर ऊष्मा सिंह का कहना है कि बच्चों के कैंसर के संबंध में भारत सहित एशिया के तमाम देश दयनीय स्थिति में हैं। इन देशों में उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी तो है ही, गरीबी और जागरुकता की कमी से हालात और बिगड़ गए हैं। उन्होंने बताया कि जानकारी के अभाव में बच्चों को बीमारी के तीसरे या चौथे चरण में इलाज के लिए लाया जाता है, जिसमें मरीज़ की जान बचा पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है। ऐसे में इस बीमारी के जल्दी पता चलने पर बड़े जोखिम से बचा जा सकता है।


from Health Tips in Hindi , natural health tips in hindi, Fitness tips, health tips for women - डेली हेल्थ टिप्स, हेल्थ टिप्स फॉर वीमेन | Navbharat Times https://ift.tt/2ZXSZaS
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Web hosting

Pages