हर साल 16 सितंबर को वर्ल्ड ओजोन डे के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनियाभर के लोगों के बीच पृथ्वी को सूर्य की हानिकार अल्ट्रा वाइलट किरणों से बचाने और हमारे जीवन को संरक्षित रखनेवाली ओजोन परत के विषय में जागरूक करना है। इसके लिए 16 सितंबर को जगह-जगह सेमिनार और दूसरे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह दिन ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की याद दिलाता है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को आप आसान भाषा में इस तरह समझ सकते हैं कि यह वियना संधि के तहत ओजोन परत के संरक्षण के लिए सभी देशों के द्वारा लिया गया एक प्रण है ताकि पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखा जा सके। हर साल ओजोन लेयर के संरक्षण के लिए एक अलग थीम तैयार करके लोगों को इसके महत्व के बारे में जानकारी दी जाती है। इस साल यानी विश्व ओजोन दिवस 2019 की थीम '32 years and Healing' है। इस थीम के जरिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत दुनियाभर के देशों द्वारा ओजोन परत के संरक्षण और जलवायु की रक्षा के लिए तीन दशकों से किए जा रहे प्रयासों को सिलेब्रेट किया जाएगा। वर्ष 2018 में ओजोन डिप्लेशन का लेटेस्ट सायंटिफिक असेसमेंट पूरा हुआ। इस दौरान हुए आकलन में यह बात सामने आई कि वर्ष 2000 के बाद से ओजोन परत के क्षतिग्रस्त हिस्से में प्रतिदशक 1-3% की दर से रिकवरी हुई है। ओजोन परत का निर्माण ऑक्सिजन के तीन एटम से मिलकर होता है। यह बहुत अधिक प्रतिक्रियाशील गैस है और इसे O3 के जरिए प्रजेंट किया जाता है। इसका निर्माण प्राकृतिक रूप से भी होता है और ह्यूमन ऐक्टिविटीज से भी। ओजोन परत को सबसे अधिक नुकसान मानव निर्मित उन कैमिकल्स से होता है, जिनमें क्लोरीन या ब्रोमीन होता है। इन रसायनों को ओजोन डिप्लेटिंग सब्सटेंस (OSD)के रूप में जाना जाता है। इनकी मात्रा अधिक होने पर ओजोन परत को हानि पहुंती है और उसमें छेद हो जाते हैं, जिनके जरिए सूर्य की हानिकारक किरणें पृथ्वी पर पहुंचकर वायुमंडल को नुकसान पहुंचाने लगती हैं।
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