कोविड की दूसरी लहर में स्टेरॉइड के अधिक सेवन से ब्लैक फंगस ने तो पहले से ही कहर बरपा रखा है और अब कुछ मरीज रिकवरी के बाद एवैस्कुलर नेक्रोसिस (avascular necrosis) की चपेट में आ रहे हैं।
कोविड की दूसरी लहर के मामलों में भले ही कमी देखने को मिल रही हो लेकिन वायरस से ठीक हो चुके लोगों को अब भी नए-नए जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड से जूझ रहे लोगों पर ब्लैक फंगस (Mucormycosis), डायबिटीज, ब्लड क्लॉटिंग, श्वसन (respiratory) और फेफड़े (pulmonary) संबंधी समस्याओं के बाद अब एक नया खतरा मंढराने लगा है। डॉक्टर्स ने कोविड मरीजों में अस्थि मृत्यु के मामलों को लेकर जानकारी दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई के अस्पताल के डॉक्टरों ने एवैस्कुलर नेक्रोसिस (avascular necrosis) (AVN) के कुछ मामलों का जिक्र किया है। इसे डॉक्टर्स 'डेथ ऑफ बोन' यानी हड्डियों के नष्ट होने वाली बीमारी भी कह रहे हैं। मुंबई में इसके तीन मामले सामने आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि म्यूकरमाइकोसिस से ठीक होने के बाद मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस की समस्या देखने को मिली। एक्सपर्ट्स इस दुर्लभ बीमारी को बेहद चिंताजनक बता रहे हैं। आइए, जानते हैं इस बीमारी के बारे में....
(फोटो साभार: istock by getty images)
रिकवरी के महीनों बाद टूट गई मरीजों की फीमर बोन
डॉक्टरों का कहना है कि एवैस्कुलर नेक्रोसिस फिलहाल उन रोगियों में देखा जा रहा है, जो महीनों पहले कोविड से रिकवर हो चुके थे। इसलिए इसे क्लासिक पोस्ट कोविड (classic post-COVID-complication) का जोखिम मान रहे हैं। जिन लोगों में डेथ ऑफ बोन की समस्या देखने को मिली है उन सभी मरीजों की उम्र 40 साल से कम है।
इन मरीजों की फीमर बोन में तेज दर्द हुआ और फिर पता चला है कि ये हड्डी पूरी तरह से नष्ट हो गई। हाल ही में इस बीमारी को लेकर मेडिकल जर्नल 'बीएमजे केस स्टडीज' में प्रकाशित किया गया है जिसमें इसे 'लॉन्ग कोविड' का सिम्टम्स बताया गया है।
खून की कमी है डेथ ऑफ बोन की वजह
एवैस्कुलर नेक्रोसिस को हड्डी के ऊतकों की मृत्यु (death of bone tissues) के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है ब्लड सप्लाई की कमी के कारण होती है। जब खून का प्रवाह रुक जाता है तब हड्डियों के ऊतक मर जाते हैं जिससे नेक्रोसिस कहते हैं। इसे आसान भाषा में समझें तो खून की कमी के कारण हमारे शरीर की हड्डियां गलने लगती हैं। शुरुआत में मरीज को गंभीर दर्द उठ सकता है।
एवैस्कुलर नेक्रोसिस के लक्षण
जांघ और कूल्हे की हड्डियों में तेज दर्द उठमा
चलने में दिक्कत होना
सोते जागते लगातार दर्द रहना
कंधे, घुटने, हाथ और पैरों में भी दर्द
जोड़ों में लगातार दर्द
कोविड-19 और बोन डेथ के बीच लिंक
डेथ ऑफ बोन के अलावा भी हेल्थ एक्सपर्ट्स कोविड से ठीक होने वालों में कई समस्याओं पर गौर कर रहे हैं जो लंबे समय से जारी हैं। जैसा कि स्टेरॉयड के अधिक सेवन से ब्लैक फंगस को लेकर भी लंबे समय से बहस चल रही है। मेडिकली तौर पर एवैस्कुलर नेक्रोसिस हाई डोज स्टेरॉयड जैसे कि प्रेडनिसोन से जुड़ा हुआ है। हालांकि, इसके सटीक कारण को लेकर अभी भी कुछ नहीं कहा जा सकता।
मालूम हो कि कोविड रिकवरी में स्टेरॉयड जैसी दवाएं वायरस से होने वाली सूजन को कम करने के लिए मरीजों को दी जाती हैं। इन दवाओं से सूजन की समस्या तो ठीक होती है लेकिन इससे खून का प्रवाह रुक जाता है। यही वजह है कि शरीर में मौजूद टिशू को नुकसान पहुंचता है।
कैसे करें बचाव और इलाज
अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है कि कोविड से ठीक हुए मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस का जोखिम हो सकता है या इसके बढ़ने का अधिक खतरा है। फिलहाल डॉक्टर कोविड से ठीक होने वाले मरीजों को सलाह दे रहे हैं कि कूल्हे या जांघ में होने वाले दर्द को नजरअंदाज न करें। जिन लोगों को भी ये समस्या है वे तुरंत एमआरआई करवाएं और बिना देर दिए डॉक्टर से संपर्क करें ताकि समय रहते समस्या का निदान किया जा सके।
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