कोरोना काल में इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए लाखों लोगों ने गिलोए का खूब सेवन किया है। लेकिन शोध में इसके सेवन से लिवर डैमेज होने की बात सामने आई है।
सेहतमंद और फिट रहने के लिए इम्यून सिस्टम का मजबूत होना बहुत जरूरी है। कोरोना काल में लोगों ने अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए न जाने कितने ही तरीकों को आजमाया है जिससे कोविड का जोखिम हो सके। तुलसी, अदरक, आंवला से लेकर हल्दी और गिलोय तक, सभी देसी नुस्खे जो कभी-कभार खाए जाते थे लेकिन महामारी के दौर में हर किसी की दिनचर्या बन गए हैं।
हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स बार-बार लोगों को यह याद दिलाते रहे हैं कि देसी नुस्खों का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए ताकि इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सके। अब एक नए अध्ययन से ये बात साफ हो चुकी है कि क्यों हर्बल शंखनाद का सेवन जिम्मेदारी से किया जाना जरूरी है। जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में पब्लिश एक शोध से पता चला है कि कोरोनावायरस के दौरान गिलोय के जूस के अत्यधिक सेवन से कई लोगों के लिवर में समस्या आई है। आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
गिलोय से 6 लोगों का लिवर डैमेज
शोध में ये स्पष्ट हो चुका है कि COVID-19 के दौरान हर्बल इम्यून बूस्टर के सेवन से लोगों में लिवर डैमेज हुए हैं। मुंबई में डॉक्टर्स सितंबर 2020 से दिसंबर 2020 के बीच गिलोए के काढ़े से होने वाले लिवर डैमेज के करीब छह मामले नोटिस किए थे। ऐसे ज्यादातर मरीजों में जॉन्डिस (पीलिया) और सुस्ती-थकान से जुड़े विकार देखने को मिले। ये मरीज डॉक्टर के पास शिकायत पीलिया और सुस्ती की शिकायत लेकर आए थे।
गहन जांच के बाद पता चला कि इन सभी लोगों ने टिनोस्पोरा कोर्डिफोलिया यानी गिलोए का सेवन किया था। वहीं, इंडियन नेशनल एसोसिएशन फॉर दि स्टडी ऑफ लिवर में प्रकाशित एक अध्ययन में इस बात का दावा किया गया है कि गिलोय के सेवन से लिवर को खतरा हो सकता है।
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गिलोय के सेवन से मरीजों में दिखे ये लक्षण
जिन लोगों का लिवर डैमेज हुआ है उनमें पहला रोगी 40 वर्षीय पुरुष था, जो 15 दिनों से पीलिया का इलाज करा रहा था। यह व्यक्ति दो दिन में एक बार दालचीनी और लौंग के साथ गिलोय का सेवन करता था। दूसरे और तीसरे मरीज 54 और 38 साल के थे। दोनों पुरानी कई तरह की स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित थे और लगभग छह महीने से हर्बल जूस पी रहे थे।
चौथी मरीज टाइप-2 डायबिटीज मेलिटस वाली 62 वर्षीय महिला थी। इस महिला को भूख न लगना, आंखों व त्वचा का पीलापन और पेट फूलने की शिकायत जैसी समस्याएं झेल रही थी।
उसके पास एक सिरप था जिसमें लगभग एक महीने तक का गिलोय था। पांचवें और छठे मरीज को भी पीलिया की समस्या थी जिसकी लिवर की कार्यप्रणाली प्रभावी रूप से कम हो गई थी।
क्या गिलोय हानिकारक है?
गिलोय या टीनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया एक पारंपरिक भारतीय जड़ी बूटी है
जिसका उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक दवाएं तैयार करने के लिए किया जाता रहा है। इसे 'अमरता की जड़' के रूप में भी जाना जाता है, इस जड़ी बूटी का उपयोग तमाम तरह की बीमारियों के इलाज के लिए दवाएं बनाने के लिए किया जाता है।
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गिलोय के फायदे
महामारी के दौरान इस जड़ी बूटी का अत्यधिक उपयोग किया गया था और इसे इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में खूब प्रमोट किया गया। यह एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर है लेकिन इसका बहुत कम मात्रा में प्रयोग किया जाना चाहिए।
गिलोय मुक्त कणों से लड़ता है, विषाक्त पदार्थों यानी टॉक्सिन्स को हटाता है।
ब्लड को प्यूरीफाई यानी रक्त को शुध्द करता है।
लिवर डिसीज से बचाव करता है।
यूरीनरी ट्रेक इंफेक्शन यानी मूत्र पथ के संक्रमण को रोकता है।
यह पाचन में सुधार करता है।
सांस की समस्याओं से लड़ता है।
इसके सेवन से तनाव और चिंता से राहत मिलती है।
आयुष मंत्रालय ने गिलोय को पीने की सलाह
गिलोय एक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग भारत में सदियों से किया जाता रहा है। आयुष मंत्रालय ने भी प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए महामारी के दौरान गिलोय का उपयोग करने की सलाह दी थी। लेकिन तब सरकार की ओर से यह भी कहा गया था कि इसका सेवन कम मात्रा में किया जाना चाहिए। आयुष मंत्रालय के अनुसार, गिलोय को अर्क के रूप में 500 मिलीग्राम या 1-3 ग्राम चूर्ण को दिन में दो बार 15 दिन या एक महीने तक गर्म पानी के साथ सेवन करना चाहिए। यदि आप किसी भी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, तो इस हर्बल उपचार को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
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