कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं, जिससे लोगों के मन में भ्रम पैदा होने लगा है। बेहतर है कही-सुनी बातों पर यकीन न करें और सच्चाई जानने की कोशिश करें।
हर गुजरते दिन के साथ कोविड से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। वैक्सीनेशन के बाद भी लोग कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं। यही वजह है कि वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में डर बना हुआ है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर तमाम अफवाहें फैलाई जा रही हैं। मगर अफसोस इस बात का है कि लोग इन भ्रम पैदा करने वाली जानकारियों के चक्कर में फंस रहे हैं।
आपकी हिचकिचाहट और गलत जानकारी प्रयासों को कम कर सकती है। ऐसे में कोरोना संक्रमित लोगों की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए हमें मिथकों को खत्म करने और टीकाकरण को बढ़ाने का संकल्प लेना चाहिए। आज के इस आर्टिकल में हम कोविड-19 वैक्सीन के मिथकों को स्पष्ट रूप से दूर करने का प्रयास करेंगे।
1. वैक्सीन से कोविड हो जाएगा-
सबसे पहला भ्रम लोगों में है कि कोविड शॉट के बाद भी उन्हें कोरोना हो सकता है। लेकिन यह बात पूरी तरह से सच नहीं है। एक बात जो हमें जाननी चाहिए कि वैक्सीन एक हद तक ही प्रभावी है। टीका अब भी रोगसूचक संक्रमण के प्रभाव को कम कर सकता है, इसलिए इस पर संदेह करना गलत है। वैक्सीन कोरोना से आपकी सुरक्षा की गारंटी जरूर देती है।
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2. कोविड होने के बाद वैक्सीन की जरूरत नहीं-
लोगों के मन में एक भ्रम बना हुआ है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है। इस अफवाह के चलते लोग कंफ्यूज्ड हैं, कि टीका लगवाएं या नहीं। कोई नहीं जानता कि कोरोना किस हद तक और कब आप पर अटैक कर दे। इसलिए जिन्हें कोविड-19 हो चुका है, उन्हें अपनी खुराक लेनी चाहिए और अपने स्वास्थ्य की रक्षा करनी चाहिए। इससे कोविड के लक्षणों में कमी आ सकती है।
3. वैक्सीन से बढ़ती है ब्लड क्लॉटिंग की संभावना-
हाल ही में रक्त के थक्कों को लेकर हुई खोज ने लोगों के मन में बड़ा भ्रम पैदा कर दिया है। लेकिन डॉक्टर्स के अनुसार टीका अब भी बड़े पैमाने पर उपयोग करने के लिए एकदम सुरक्षित है। डब्ल्यूएचओ ने अब तक इस साइड इफेक्ट के बारे में कोई प्रमाण नहीं दिया है। यदि आपको भी ये भय परेशान करता है, तो कही-सुनी बातों पर विश्वास न करें और अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
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4. कोविड वैक्सीन से बदल जाएगा DNA-
वैक्सीन से जुड़े मिथक हमारी अनुवांशिकी जानकारी के साथ भी छेड़छाड़ कर रहे हैं। ऐसा तब से हो रहा है, जब से mRNA वैक्सीन को इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है। कोरोना के टीके के साथ भी ऐसी ही अफवाहें फैल रही हैं। आपको बता दें कि टीका केवल हमारे रोगजनक को पहचानने और इनके खिलाफ लडऩे के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजूबत बनाता है। इसमें कोशिकाओं के भीतर न्यूक्लियस में प्रवेश करने की क्षमता नहीं है। इसलिए वैक्सीन लगवाने के बाद DNA बदलने की संभावना बिल्कुल नहीं बनती।
5. सुरक्षा पर भरोसा नहीं-
एक और डर है, जो लोगों को वैक्सीन लगवाने से रोक रहा है। वो है इसकी कम टाइमलाइन। चूंकि वैक्सीन एक अभूतपूर्व तरीके से तैयार की गई है, इसलिए इस भ्रम के चलते लोग इसकी सुरक्षा, प्रभावकारिता पर संदेह करने लगे हैं और इसे लगवाने के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन ये गलत है। टीके पूरे अध्ययन और परीक्षण से गुजरे हैं, जिसकी मंजूरी ग्लोबल हेल्थ बॉडीज ने भी दे दी है। सिर्फ इसलिए कि सिर्फ इसलिए कि इसके लिए टाइमलाइन दे दी गई है , आपको इसकी सुरक्षा पर संदेह नहीं बल्कि भरोसा करना चाहिए।
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6. वैक्सीन के बाद मां बनना मुश्किल -
अगर आप अपना परिवार शुरू करने जा रहे हैं, तो इस भ्रम को तोड़ दें कि कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद आप मां नहीं बन पाएंगी। इंफर्टिलिटी या यौन रोग कोविड-19 या अन्य किसी टीके का दुष्प्रभाव नहीं है और न ही इसे साबित करने के लिए कोई साक्ष्य हैं। बस गर्भवती महिलाओं को टीका लगवाने को मना किया गया है। गर्भावस्था के दौरान कमजोरी की वजह से वैक्सीनेशन लगवाना उनके लिए हानिकारक हो सकता है।
अंग्रेजी में इस स्टोरी को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: Coronavirus: As the second wave spreads, stop believing these 6 myths about COVID vaccines
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