बच्चों को अपना शिकार बनाने वाले जानलेवा और लाइलाज ब्रेन कैंसर के इलाज के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक खोजी है। यह ब्रेन ट्यूमर को ट्रीट करने के साथ ही बच्चों के सर्वाइवल रेट को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है। 'नेचर कम्यूनिकेशन्स' जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में बताया गया कि खोजी गई तकनीक उस सेलुलर प्रोसेस को तोड़ती है जो ड्फ्यूज इंट्रिंसिक पोंटाइन ग्लिओमास () नाम के घातक ब्रेन ट्यूमर के लिए जिम्मेदार होती है। डीआईपीजी ब्रेन की जड़ में बनने वाला घातक ट्यूमर है जिसकी सर्जरी नहीं की जा सकती, यह ज्यादातर 10 साल से छोटी उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाता है। इसकी चपेट में आने पर बच्चा एक साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाता। पहले हुई स्टडीज में पीपीएम1डी (PPM1D) नाम के जेनेटिक म्यूटेशन के बारे में पता चला था जो डीआईपीजी की ग्रोथ में अहम रोल प्ले करता है। इस खोज के बाद पीपीएम1डी पर अटैक कर डीआईपीजी को कंट्रोल करने का एक्सपेरिमेंट किया गया था जो सफल नहीं रहा था। इस स्टडी में (NAD) नाम के मेटाबॉलाइट की कमजोरी को ढूंढ निकाला गया जो हर सेल के जीवित रहने के लिए जरूरी कम्पाउंड है। स्टडी से जुड़ी एक सीनियर लेखक ने बताया 'यह कैंसर पर हमला करने का नया और बढ़िया तरीका है। हमें पता चला कि म्यूटेटिड जीन पीपीएम1डी शुरुआत में खुद ही अपने अंत के लिए स्टेज तैयार कर देता है।' शोधकर्ताओं को पता चला कि म्यूटेटिड पीपीएम1डी Nicotinate Phosphoribosyltransferase (NAPRT) नाम के जीन को शांत कर देता है जो एनएडी मेटाबॉलाइट के प्रडक्शन के लिए जिम्मेदार है। एनएपीआरटी के नहीं होने पर सेल दूसरे प्रोटीन सेल NAMPT की ओर जाते हैं ताकि एनएडी बनाया जा सके। शोधकर्ताओं ने खोजा कि अगर ड्रग का इस्तेमाल करके एनएएमपीटी का प्रॉडक्शन रोका जाए तो म्यूटेटिड पीपीएम1डी कैंसर सेल्स को भूखा रखते हुए मारा जा सकता है।
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