या से हर साल देश भर में हजारों लोगों की मौत होती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और असम समेत देश के कई हिस्सों में हर साल इसका प्रकोप देखने को मिलता है। इस साल सिर्फ असम में ही जापानी इनसेफ्लाइटिस से 100 से ज्यादा लोगों को मौत हुई है। जापानी बुखार के 250 मामलों में से 1 मामले में तबीयत एकदम से बिगड़ जाती है। ऐसे मामलों में मरीज़ को दौरा पड़ सकता है और वो कोमा में जा सकता है। इस बीमारी के 30 प्रतिशत मामलों में मरीज की जान चली जाती है। जब किसी सुअर को मच्छर काटता है तो वह आरबो वायरस के कारण इस बुखार से ग्रस्त हो जाता है। जब क्यूलेक्स मच्छर में आरबो नामक वायरस जाता है और ये मच्छर दोबारा किसी को काटते हैं तो वह जापानी इनसेफ्लाइटिस से पीड़ित हो जाता है। अब एजोला नाम का घास इन मच्छरों को पनपने से रोकेगा। जानकारी के अनुसार, मादा क्यूलेक्स मच्छर धान के खेतों के पानी में अंडे देती हैं, जिसके कारण आसपास के गावों में जापानी बुखार का प्रभाव ज्यादा होता है। क्यूलेक्स मच्छर खेतों के जमे हुए पानी के ऊपर पर अंडे देते है और ऊपरी सतह पर ही लार्वा बनते हैं। एजोला पानी के ऊपर ही तेजी से फैलता है। इससे मच्छरों के अंडे पानी की निचे चले जाएंगे और नष्ट हो जाएंगे। इस घास के कई फायदे और भी हैं। इसके कारण खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाएगी, फसल के लिए लाभकारी होगा। इससे फसल का उत्पादन 15 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। साथ ही यह पशुओं के चारे के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।
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