कई बार अक्सर ऐसा देखा गया है कि हम खाने-पीने से जुड़ी इंटरनेट पर फैलाई गई अफवाहों को सही मान लेते हैं और उन पर आंख मूंदकर भरोसा करने लगते हैं। आज हम यहां उन्हीं झूठी बातों का खुलासा करेंगे और बताएंगे।
पौष्टिक भोजन और स्वस्थ जीवन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि हममें से अधिकांश लोग जो कुछ रोजाना खाते हैं, उस पर अधिक ध्यान देते हैं। वास्तव में, हम इंटरनेट पर उपलब्ध सभी स्वास्थ्य और आहार संबंधी खबरों से खुद को अपडेट रखने की कोशिश करते हैं। लेकिन इतनी सारी जानकारी अक्सर हमें कन्फ्यूज करती है जिससे हम सभी सोचते है कि वास्तव में हमारे स्वास्थ्य के लिए क्या अच्छा है।
इसके बाद, हम गलत जानकारी या कुछ झूठे तथ्यों पर विश्वास कर लेते हैं और बिना फैक्ट चेक किए उसे फॉलो करना शुरू कर देते हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हाल ही में ट्विटर पर कुछ आम मिथकों को दूर किया।
मिथक 1: लो कैलोरी डाइट और खाना छोड़ने से वजन घटता है
तथ्य:
संतुलित आहार, निश्चित अंतराल पर छोटे हिस्से में खाना और नियमित एक्सरसाइज करना वजन घटाने का आसान तरीका है। कम कैलोरी वाले आहार खाने या भोजन छोड़ने से शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
मिथक 2: यदि कोई फूड लेबल 'डाइट फूड्स' को इंडिकेट करता है, तो यह हेल्दी है
तथ्य:
कम फैट होने का दावा करने वाले खाद्य पदार्थों में चीनी, नमक और यहां तक कि वसा की मात्रा अधिक हो सकती है। इस प्रकार नमक, चीनी या वसा के किसी छिपे हुए स्रोत का पता लगाने के लिए इंग्रीडिएंट लिस्ट को पढ़ने की सलाह दी जाती है।
मिथक 3: प्लांट बेस्ड आहार में प्रोटीन की कमी होती है
तथ्य:
प्लांट बेस्ड प्रोटीन के अच्छे स्रोत जैसे फलियां, नट्स, बीज, सोया-उत्पाद, बाजरा और कुछ सब्जियों में अधिक फाइबर और कम वसा होती है। अनाज और दालों को मिलाकर सेवन करने से प्रोटीन की गुणवत्ता बढ़ सकती है।
मिथक 4: पका हुआ खाना खाने से भोजन से होने वाली बीमारियां नहीं होती हैं और इसे कमरे के तापमान पर रखा जा सकता है
तथ्य:
ऐसे कई तरीके हैं जिनसे पका हुआ खाना पकाने के बाद दूषित हो सकता है, जिससे वह खाने के लिए सुरक्षित नहीं होता है। ऐसा तब हो सकता है जब-
भोजन ठीक से स्टोर नहीं है। सभी पके और बचे हुए खाद्य पदार्थों को 2 घंटे के भीतर रेफ्रिजरेट करना चाहिए (5 डिग्री सेल्सियस से नीचे)।
भोजन दूषित सतह या बर्तन पर तैयार किया जाता है या नॉन-फूड ग्रेड के बर्तन में रखा जाता है।
फूड हैंडलर्स अच्छी तरह साफ नहीं होते हैं। ये कच्चे भोजन को दूषित कर सकते हैं।
मिथक 5: तेल पोषक तत्व नहीं बल्कि सिर्फ कैलोरी प्रदान करता है
तथ्य:
मानव शरीर प्राइम पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड को संश्लेषित नहीं कर सकता है, जिन्हें एसेंशियल फैटी एसिड: ओमेगा 3 (m -3) और ओमेगा 6 (n -6) फैटी एसिड कहा जाता है और इसलिए उन्हें आहार से प्राप्त करना पड़ता है। एसेंशियल फैटी एसिड हृदय रोग के जोखिम को कम करते हैं, कॉग्निशन में सुधार करते हैं और सूजन और जोड़ों के दर्द को कम करते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए खाना पकाने के लिए अच्छी गुणवत्ता के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
मिथक 6: बच्चे बेरोक खा सकते हैं हाई कैलोरी और हाई शुगर वाले फूड
तथ्य:
बच्चों की बढ़ती उम्र के दौरान पोषक तत्वों की आवश्यकता अधिक होती है। अच्छा पोषण बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ कॉग्निटिव विकास में भी सुधार करता है। कम उम्र में अधिक चीनी का सेवन मोटापे और क्रोनिक बीमारियों जैसे डायबिटीज और हृदय रोगों के जोखिम से जुड़ा हुआ है। इसलिए हमें बच्चों को उचित मात्रा में संतुलित आहार देना चाहिए।
मिथक 7: अगर खाना दिखने में ठीक और अच्छी खुशबू वाला है, तो उसे खाना सुरक्षित है
तथ्य:
हालांकि खराब गंध या खराब स्वाद इस बात का संकेत हैं कि भोजन खराब हो गया है, लेकिन ये संकेत आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण नहीं होते हैं, जिससे आपको फूड पॉयजनिंग होता है। हमेशा पैकेट पर लिखे उपयोग/बेस्ट बिफोर /एक्सपायरी डेट, स्टोरेज निर्देशों और टेंपरेचर जरूर पढ़ें।
from Health Tips in Hindi , natural health tips in hindi, Fitness tips, health tips for women - डेली हेल्थ टिप्स, हेल्थ टिप्स फॉर वीमेन | Navbharat Times https://ift.tt/2UWY6pU
via IFTTT
No comments:
Post a Comment