क्या आप चावल खाने के शौकीन है। अगर हां तो क्या आप चावलों को अधिक फायदेमंद और स्वादिष्ट बनाना चाहते हैं। तो आप भी मिट्टी के बर्तन में चावलों को बनाकर खाएं। आइए जानते हैं आखिर क्यों बनाने चाहिए मिट्टी के बर्तन में चावल।
भारत के अंदर सदियों पहले से ही भोजन को पकाने से लेकर खाने तक को लेकर कुछ न कुछ अलग और अजीब रिवाज थे।जिनका पहले लोग भले ही मजाक बनाया करते थे। पर आज उन्ही बुनियादी चीजों की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। पहले के समय में भोजन पकाने के लिए अक्सर मिट्टी के बर्तनों को उपयोग किया जाता था। आज वही एक अलग स्टाइल में आपको रेस्टोरेंट या होटल के अंदर दिखाई दे जाएंगे। यही नहीं आज विज्ञान भी मिट्टी के बर्तनों के अंदर बनाए गए भोजनों की पौष्टिकता और स्वाद की बात करता दिखाई देता है।
ऐसे में आपको भी एक बार स्टील या चीनी मिट्टी के बर्तनों को छोड़कर मिट्टी के बर्तन के अंदर भोजन पकाने के बारे में सोचना चाहिए। अगर आप चावल खाना बेहद पसंद करते हैं तो हमारा सुझाव है कि आप चावलों को ही सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में पका कर देखें। इसके बाद आप खुद ब खुद स्टील और चीनी पत्थरों के बर्तनों को छोड़ मिट्टी के बर्तनों को अपनाने लगेंगे। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।
स्टील बनाम मिट्टी के बर्तन
चावलों को कार्ब्स का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है। यह हमारे शरीर को संतुलित करता है और इंसुलिन के उत्पादन को भी बेहतर करने का कार्य करते हैं। लेकिन जब आप स्टील या चीनी मिट्टी के बर्तनों के अंदर चावल बनाते हैं तो इनका बाहरी तापमान भी अधिक हो जाता है। यह इस बात का खुलासा करता है कि भोजन को पकाते हुए हार्च और इंफ्रारेड गर्मी का इस्तेमाल हो रहा है।
ऐसे में आप जैसे ही इस गर्म बर्तन को छूते हैं वह आपको जला देता है। लगभग ऐसी ही स्थिति चावलों की भी इन बर्तनों के अंदर होने लगती है। यह चावल के जटिल कार्ब्स को जलाकर एक साधारण कार्ब्स और स्टार्च में बदल देते हैं। जिसकी वजह से आपके शरीर को इसका कोई लाभ नहीं होता और ना ही यह इंसुलिन के प्रबंधन में मदद करता है।
पर जब हम मिट्टी के बर्तन के अंदर चावलों को पकाते हैं तो यह बाहर से गर्म नहीं होते और इन्हे छूने से आपको जलन महसूस नहीं होती। यह बात समझाती है कि चावल के अंदर गुणवत्ता अभी भी वैसी है। ऐसा भी कहा जाता है कि धातु या चीनी मिट्टी के बर्तनों के अंदर भोजन पकाने से विषैला हो जाता है। जिसका नकारात्मक असर इम्यून सिस्टम पर भी होता है। यह धीरे-धीरे आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर करता रहता है।
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डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद
शरीर को अगर सही तरह से पका हुआ और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन प्राप्त होता है तो यह इंसुलिन के उत्पादन का भी ख्याल रखता है। जो डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है। यही नहीं कई लोग इस बात का दावा भी करते हैं कि जब आप पूरी तरह से मिट्टी के बर्तनों के अंदर पका हुआ भोजन खाते हैं तो आप जल्दी ही खुद को अधिक स्वस्थ महसूस करना शुरू कर देते हैं। यही नहीं मिट्टी के बर्तन में बने हुए भोजन से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी पहले के मुकाबले बेहतर होने लगती है।
एसिडिटी से बचाए
मिट्टी के बर्तन के अंदर प्राकृतिक तौर पर ही अल्कलाइन होती है, जो एसिडिटी से निपटने और पीएच बैलेंस को बेअसर करने का कार्य करता है। इसके अलावा यह
चावल को सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद
बनाता है।
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तेल और फैट कम इस्तेमाल होता है
स्टील या चीनी मिट्टी के बर्तनों के अंदर भोजन जल्दी बन जाता है। लेकिन इनमें तेल की खपत मिट्टी के बर्तनों के मुकाबले अधिक होती है। दरअस मिट्टी के बर्तन के अंदर भोजन धीरे धीरे पकता है और इसमें तेल की भी खपत बहुत कम होती है। ऐसे में मिट्टी के बर्तनों के अंदर भोजन को पका कर ना केवल आप तेल की खपत कम कर सकते हैं बल्कि शरीर को मोटापे से भी बचा सकते हैं। क्योंकि अधिक तेल का अर्थ होता है अधिक मोटापा।
मिट्टी के बर्तन का फ्लेवर मजेदार
भारत के अंदर भोजन पकाने के लिए अक्सर बहुत से मसालों का उपयोग किया जाता है। यह मसाले ना केवल आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। बल्कि यह आपको ऐसे स्वाद का अनुभव कराते हैं जो दुनिया में कहीं और मौजूद ही नहीं है। यही कारण है कि पूर्वज अक्सर हमें अपने भोजन पकाने के तरीके और स्वाद के बारे में बताया करते थे। ऐसे मे अगर आप इन मसालों के साथ मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाएंगे तो मिट्टी की महक इसमें एक नया फ्लेवर और जोड़ देगी।
अब ज्यादा सोचिए मत आज ही एक मिट्टी का बर्तन लेकर आइए और उसमें चावल बनाकर खाइए। यह तरीका आपको बेहतर स्वाद भी देगा और लाभ भी।
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