कोरोना के लक्षणों में अब बदलाव हुए हैं। अध्ययनों के अनुसार, अगर आपको बुखार, खांसी के साथ नाक बह रही है, तो यह डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट का मुख्य लक्षण हो सकता है।
कोरोनावायरस ने पिछले 18 महीनों से हमारी जिन्दगी को कई तरह से प्रभावित किया है। इससे न केवल हमारे जीवन पर गहरा असर हुआ है, बल्कि हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ गया है। हर बार एक नया वैरिएंट लोगों को सखते में डाल रहा है । ऐसे में हालात बेहतर होते नहीं दिख रहे हैं।
इतना ही नहीं इनके लक्षणों में होने वाले बदलावों ने लोगों को और डरा दिया है। विशेषज्ञों की मानें तो डेल्टा और डेल्टा वैरिएंट तेजी से विकसित हुए हैं, इसलिए मानव जीवन के लिए ज्यादा जोखिम पैदा हो रहा है। हाल ही में हुई एक स्टडी में कहा गया है कि डेल्टा वायरस के लक्षण मूल कोविड-19 से एकदम अलग हैं, जिसे सभी को समझने की जरूरत है।
COVID-19 डेल्टा वेरिएंट से कैसे अलग है?
WHO के अनुसार, एक वायरस खुद की नकल करता है उसकी कॉपियां बनाता है, जो एकदम सामान्य बात है। वायरस में होने वाले इन बदलावों को म्यूटेशन कहते हैं। एक या एक से ज्यादा नए म्यूटेशन वाले वायरस को ऑरिजनल वायरस के वैरिएंट के रूप में जाना जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जब कोविड-19 वायरस की बात हो, तो यह कई स्ट्रेन में बदल गया है, जिनमें से डेल्टा वैरिएंट B.1.617.2 को अब तक का सबसे खतरनाक वैरिएंट माना जा रहा है।
क्या डेल्टा वेरिएंट के लक्षण ऑरिजनल कोविड से अलग हैं
जब किसी विशेष वायरस के संकेतों की बात आती है तो इसके लिए कई लोगों के पर्याप्त डाटा एकत्रित करने की जरूरत होती है। चूंकि डेल्टा वेरिएंट मूल स्ट्रेन का बदला हुआ रूप है, इसलिए कहा जाता है कि म्यूटेशन के दौरान लक्षण भी बदल जाते हैं।
एक मोबाइल ऐप के जरिए एक सेल्फ रिपोर्ट करने वाली प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए ब्रिटेन में जारी हुए डेटा बताते हैं कि कोविड के आम लक्षणों में बदलाव आ गया है, जिन्हें हम ऑरिजनल वायरस से जोड़कर देखते हैं।
दोनों के लक्षण कैसे अलग हैं
बुखार, खांसी, सिरदर्द और गले में खराश कोविड -10 के आम लक्षण हैं। लेकिन नाक बहना जैसा लक्षण पहले कभी नहीं देख गया । सूंघने की क्षमता कम हो जाना या चली जाना भी बेहद आम था, लेकिन अब नौवां सबसे आम लक्षण है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लक्षणों में बदलाव टीकाकरण अभियान का परिणाम हो सकता है। इसके अलावा लक्षणों में बदलाव के पीछे वायरस का विकास भी एक कारण हो सकता है। डेल्टा वैरिएंट की विभिन्न विशेषताओं को देखते हुए लक्षण बदलना स्वभाविक है। लेकिन लक्षण आखिर क्यों बदल रहे हैं, इस सवाल का जवाब निर्धारित करना मुश्किल है।
क्या कोविड वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी है
डेल्टा वेरिएंट के विकसित होने के बाद अब सवाल यह उठता है कि क्या कोविड वैक्सीन नए डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ लड़ने में सक्षम होगी। अध्ययनों ने दावा किया है कि कुछ कोविड वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी साबित हो सकते हैं। भारत बायोटेक के कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड और रूस निर्मित वैक्सीन स्पुतनिक- वी सभी को डेल्टा वेरिएंट के लिए प्रभावी बताया गया है। इसके अलावा यूके के एक अध्ययन के अनुसार, फाइजर बायोएनटेक वैक्सीन अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने में अच्छा प्रभाव दिखाती है।
हर दिन उभरते आंकड़े बताते हैं कि हमें अभी भी पूरी सावधानी बरतनी चाहिए और डेल्टा वैरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करनी चाहिए। इसके लक्ष्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि जिसे हम मामूली सर्दी-जकुाम समझ रहे हैं, कहीं न कहीं ये कोविड-19 का ही लक्षण हैं।
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