अगर आप आंत और पेट संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो आयुर्वेद डाइट का सहारा ले सकते हैं। लेकिन आपको आहार लेना के कुछ नियमों के बारे में भी जानकारी होना जरूरी है।
एंटीजन से लड़ने और अपने संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली का मजबूत होना जरूरी है। इम्यून सिस्टम न सिर्फ वायरल इंफेक्शन से हमारी रक्षा करता है बल्कि इसका मजबूत होना हमारी आंत की सेहत के लिए भी जरूरी है। आप इम्यून और आंत की सेहत को बेहतर रखने के लिए आयुर्वेदिक डाइट को आजमा सकते है। अगर आप आयुर्वेदिक डाइट को डेली रूटीन में फॉलो करते हैं, तो यह न केवल आपके शरीर को अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है, बल्कि इससे हमारा डाइजेस्ट सिस्टम में भी सुधार होता है।
यहां हम आयुर्वेद के अनुसार, हेल्दी डाइट के कुछ रूल्स बता रहे हैं जो आपके समग्र शरीर के विकास में काम आंएगे। हर किसी को अपने बॉडी स्ट्रक्चर के आधार पर ही आहार लेना चाहिए, क्योंकि खान-पान का भी एक नियम होता है। यहां कुछ आयुर्वेद आहार नियम दिए गए हैं जो आपके पाचन स्वास्थ्य में सुधार करेंगे।
भोजन के एक नियमित समय को अपनाएं
जब तक कि आपका पिछला भोजन पूरी तरह से पच नहीं जाता तब तक आपको दोबारा नहीं खाना चाहिए। इसके साथ ही भोजन के बाद अनावश्यक रूप से कुछ भी खाने से बचना चाहिए। जब आपको भूख सताए तब भी भोजन करें।
आमतौर पर हमें डिहाइड्रेशन के कारण भूख लगती है, इसलिए भोजन के बीच प्रोबायोटिक्स जैसे लस्सी या जूस का विकल्प चुन सकते हैं। इस तरह के डेली नियम से एक व्यक्ति को मूल रूप से शरीर के साथ फिर से जुड़ने की आवश्यकता होती है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वास्तव में भूखा रहना क्या होता है।
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भोजन के वक्त शोर न करें
सुनिश्चित करें कि आप अपना भोजन आराम और शांतिपूर्ण वातावरण में करें। ज्यादातर लोग खाना खाते समय टेलीविजन, फोन या लैपटॉप देखते हैं। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार खाने खाते वक्त न तो आपस में बातचीत करने सही है और न ही किसी तरह के डिजिटल उपकरण का इस्तेमाल करना उचित है।
अपने भोजन की मात्रा पर ध्यान दें
हममें से हर कोई चार या 6 रोटी नहीं खा सकता। पेट के आकार और चयापचय दर (metabolic rates) के आधार पर हर व्यक्ति के भोजन की मांग अलग-अलग होती है। इसलिए अपनी डाइट को ध्यान में रखकर ही भोजन की मात्रा प्लेट में परोसें।
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ताजा और गर्म भोजन करें
कोशिश करें कि गर्म और ताजे भोजन का ही सेवन करें। ऐसी किसी भी चीज़ से बचें जो बहुत ठंडी या लंबे वक्त से रखी हुई हो। क्योंकि पाचक एंजाइमों को अपने अधिकतम स्तर पर काम करने के लिए थोड़े गर्म तापमान की आवश्यकता होती है।
भोजन के वक्त डिजिटल उपकरण का प्रयोग न करें
सुनिश्चित करें कि आप अपना भोजन आराम और शांतिपूर्ण वातावरण में करें। ज्यादातर लोग खाना खाते समय टेलीविजन, फोन या लैपटॉप देखते हैं। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार खाने खाते वक्त न तो आपस में बातचीत करने सही है और न ही किसी तरह के डिजिटल उपकरण का इस्तेमाल करना उचित है।
इस तरह के फूड को खाने से बचें
डाइजेशन और पोषक तत्वों के अवशोषण (Nutritional absorption) को ध्यान में रखते हुए ज्यादा तली हुई और शुगर युक्त चीजों का सेवन न करें। साथ ही डिब्बा बंद सामग्री खाने से भी बचें। पैकेज्ड स्नैक्स आपके शरीर पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं।
अपने निवालों को अच्छे से चबाएं
पाचन की प्रक्रिया मुख गुहा से ही शुरू होती है जहां कुछ एंजाइम जैसे लार एमाइलेज भोजन पर काम करते हैं और इसे आगे की प्रक्रिया के लिए उपयुक्त रूप में परिवर्तित कर देते हैं। इसलिए भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाने की सलाह दी जाती है।
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