मानसून एक खुशनुमा मौसम है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये मच्छर जनित बीमारियों (Mosquito-borne Illnesses) का भी सीजन है। क्योंकि यह मच्छरों के प्रजनन का भी मौसम है, इसलिए वे अपनी पूरी ताकत के साथ संक्रमण फैलाने के लिए एक्टिव हो जाते हैं। अगर आपने मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों से बचाव के लिए कोई तैयारी नहीं की तो सावधानी बतरनी शुरू कर कीजिए। दरअसल, मच्छरों के काटने से जो बीमारियां होती हैं, उनमें से ज्यादातर हमारी जान पर हावी हो जाती हैं।
बता दें कि मच्छर का काटना और उसके बाद होने वाली खुजली होना एक छोटी सी समस्या है लेकिन नजरअंदाज करने पर ये संक्रमण गंभीर लक्षणों को भी बढ़ावा दे सकता है। हर साल लाखों लोग किसी न किसी मच्छर जनित बीमारी से पीड़ित होते हैं। इस आर्टिकल में हमने 5 ऐसी बीमारियों को लिस्टिड किया है जो मानसून में आम हैं।
(फोटो साभार: istock by getty images)
मलेरिया
मलेरिया मच्छर के काटने से होने वाली सबसे आम और खतरनाक बीमारी है। हर साल लगभग 4 लाख लोग मलेरिया के कारण अपनी जान गंवाते हैं। हालांकि, बढ़ती जागरूकता के साथ, मामलों की संख्या में गिरावट देखी गई है। जब एक संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वह व्यक्ति मलेरिया से संक्रमित हो सकता है।
बुखार, ठंड लगना और शरीर में दर्द मलेरिया के प्रमुख लक्षण हैं। यदि आप खुद में इस तरह के सिम्टम्स देखते हैं तो बिना देर किए टेस्ट कराना चाहिए। इसके अलावा, मलेरिया के खतरे से बचने के लिए मानसून के मौसम में मच्छरदानी का उपयोग करें। चूंकि मलेरिया के लिए कोई टीका नहीं है, इसलिए रोकथाम सबसे अच्छा इलाज है।
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डेंगू बुखार
पिछले कुछ सालों में डेंगू के मामलों में थोड़ी गिरावट देखी गई है, लेकिन अब भी ये पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। साथ ही, भारत डेंगू बुखार के लिए सबसे अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में से एक है। समस्या यह है कि अब तक डेंगू का कोई इलाज नहीं है और खराब मैनेजमेंट से रोगी की मृत्यु हो सकती है।
लिहाजा हमें इससे बहुत अधिक सावधान रहने की जरूरत है। डेंगू पैदा करने वाला मच्छर अलग होता है और इसके लक्षण घंटों में देखे जा सकते हैं। जैसे ही आपको संक्रमित मच्छर के काटने का संदेह हो, अपना परीक्षण करवाएं और आवश्यक चिकित्सा सहायता लें।
येलो बुखार
येलो फीवर फ्लेविवायरस के कारण होता है। इसमें वायरस से संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह येलो फीवर की चपेट में आ जाता है। यह कैरिबियन, अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी क्षेत्रों में अधिक आम है। भारतीय तब तक इस बीमारी के संपर्क में नहीं आते जब तक कि वे उच्च जोखिम वाले देशों का दौरा नहीं करते।
शुक्र है कि पिछले वर्षों में पीले बुखार के बहुत कम मामले सामने आए हैं लेकिन हमें इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि आप सुरक्षित स्थान पर रहने के लिए किसी उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में जा रहे हैं तो अपने आप को पीले बुखार का टीका लगवाएं। हालांकि, लोगों को सलाह दी जाती है कि वे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की यात्रा करने से पहले पीले बुखार का टीका लगवा लें।
इंसेफेलाइटिस
यह भी एक मच्छर जनित बीमारी है लेकिन बाकी की तुलना में अधिक खतरनाक है क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी के आसपास सूजन का कारण बनती है जो मस्तिष्क तक पहुंच सकती है। समय पर इलाज न मिलने पर यह रोग पूरे शरीर में फैल जाता है। पिछले कुछ सालों में भारत में इंसेफेलाइटिस के मामले धीरे-धीरे बढ़े हैं। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उन्हें इंसेफेलाइटिस होने का खतरा ज्यादा होता है। शुरुआती लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और दौरे शामिल हैं।
चिकनगुनिया
चिकिनगुनिया भी बारिश के सीजन में होने वाला रोग है। ये भारत और एशिया के अन्य हिस्सों में आम है। चिकनगुनिया के लगभग 1 लाख मामले हर साल सामने आते हैं। चिकनगुनिया बुखार फैलाने वाला मच्छर 29 डिग्री तापमान से ऊपर पैदा होता है जो मानसून के मौसम की शुरुआत में कहर ढहाता है। शुरुआती लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, जी मिचलाना और जोड़ों में दर्द है। इस प्रकार, हमें सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि मानसून इस बीमारी से बचाव के लिए शुरू होता है।
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