मॉनसून आते ही चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है जो बारिश के मौसम से शुरू होकर शीत शरद ऋतु चक चलते हैं। कोरोना काल के बीच आए चातुर्मास में हमें अपने खान-पान का खास ध्यान रखना होगा।
चतुर्मास या चातुर्मास जिस भी तरीके से आप इसे लिखना पसंद करते हैं लिख सकते हैं। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, हर साल बारिश के मौसम के चार महीने का एक मंत्र है - श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक (लगभग जुलाई से लेकर अक्टूबरतक) के महीनों में फैली एक पवित्र अवधि है। इस अवधि में बड़ी संख्या में लोग धार्मिक कार्यक्रम और उपवास करते हैं। इन व्रत त्योहारों में आषाढ़ी एकादशी (पंढरपुर), गुरु पूर्णिमा, श्रवण सोमवार, नाग पंचमी, रक्षा बंधन पूर्णिमा, कृष्ण जन्माष्टमी, गणपति, नवरात्रि, दशहरा, दीवाली, आदि हैं।
चातुर्मास वर्षा ऋतु से शुरू होकर शरद ऋतु यानी सर्दियों तक रहता है। इस महीनों में हमें अपनी डाइट का भी खास ध्यान रखना पड़ता है। हमारे पूर्वज इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि इस समय के दौरान कौन सा भोजन अधिकांश लोगों के स्वास्थ्य के अनुकूल था। इस अवधि में मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए लोगों को कई चीजों के खाने की मनाही होती है। यहां हम आपको बता रहे हैं इस अवधि में आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।(फोटो साभार: istock by getty images)
धर्म के बहाने हेल्दी खान-पान
अधिकांश हिंदू इस अवधि के दौरान मांस, कुछ सब्जियां, कुछ खाद्य पदार्थों से दूर रहते हैं। इस अवधि में बहुत से लोग मनम-चिंतन, ध्यान, योग, दूसरों के कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। क्योंकि बरसात के पानी से होने वाले इंफेक्शन हर किसी पर हावी हो सकते हैं।
चूंकि पहले के दौर में ज्ञान और चिकित्सा के जरिए हर एक व्यक्ति को नहीं समझाया जा सकता था, इसलिए धर्म के बहाने लोगों से खान-पान के निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जाता था, ताकि उनकी सेहत पर बर्षा ऋतु का कोई बुरा प्रभाव न पड़े।
4 माह तक इन चीजों को नहीं पचा पाएगा डाइजेस्ट सिस्टम
जठराग्नि - इस मौसम में पेट की पाचन शक्ति कम हो जाती है। इसलिए चिकन, मटन, सी फूड जैसे खाद्य पदार्थों को पचाना मुश्किल होगा। यही वजह है कि चतुर्मास में गैस्ट्रिक जैसी समस्याओं को रोकने के लिए इन चीजों का त्याग करने के लिए कहा जाता है।
श्रवण मास यानी सावन के दौरान पत्तेदार सब्जियां और बैगन का सेवन वर्जित है।
भाद्रपद और आश्विन महीनों में दूध से बने प्रोडक्ट्स को खाने की मनाही होती है। इन चीजों के अलावा इस मौसम में प्याज, लहसुन जैसी जड़ी-बूटियां भी हमारे डाइजेशन के लिए सही नहीं है।
वहीं कार्तिक मास में कैलोरी से भरपूर दालें जैसे उड़द की दाल और मसूर की दाल को पचा पाना मुश्किल है।
चतुर्मास में सात्विक आहार और मौसमी फल खाएं
ज्योतिषी के अनुसार, इस महीनों में हमें ताजे और मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए। साथ ही भोजन अधिक मसालों, तेल और नमक का भी प्रयोग नहीं होना चाहिए। आसान भाषा में कहें तो इस मौसम में हमारे लिए सात्विक डाइट सेहतमंद होती है। जो पचाने में आसान है और इससे हमें पेट संबंधी कोई समस्या भी नहीं होगी।
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इन सब्जियों पर लग जाते हैं कीड़े
पुराने वक्त में जब कोई रसायनिक कीटनाशक नहीं थे तब मॉनसून के महीने में खेत में लगी हरी पत्तेदार फसल के आसपास कई सांप, बिच्छू और कीड़े लग जाते हैं जिनका सेवन हमारे लिए हानिकारक हो सकता है,. इसलिए इन चीजों के खाने की मनाही होती है।
आज भी तमाम लोग करते है चतुर्मास का पालन
बता दें कि अधिकांश भारतीय धर्मों और संप्रदायों में चातुर्मास का पालन आज भी किया जाता है। बौद्ध, जैन, हिंदू इसका पालन करते हैं। यह पुराने दिनों की स्वास्थ्य निर्देशिका और स्वास्थ्य बीमा योजना थी, जो आज भी मजबूत है।
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