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Monday, June 21, 2021

बारिश में तेजी से फैलता है Hay फीवर, जानिए इस बुखार के लक्षण, कारण और बचाव

बारिश के मौसम में डेंगू, मलेरिया, चिकिनगुनिया सहित न जाने कितने ही वायरल इंफेक्शन होते हैं। कोल्ड फीवर होना तो आम बात लेकिन इस मौसम में कुछ लोग हे फीवर का शिकार भी हो जाते हैं। जी हां, मॉनसून की मौसमी बीमारियों में से एक हे फीवर भी है जिसकी चपेट में आने से मरीज को एक नहीं बल्कि कई तरह के हेल्थ प्रॉब्लम्स सताने लगती हैं। आममें से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो इस फीवर को नहीं जानते हैं। बहरहाल, आज हम आपको इस अनसुने बुखार (Hay Fever) के बारे में बताते हैं और साथ ही इसके सिम्टम्स को लेकर भी जानकारी देंगे।(फोटो साभार: istock by getty images)

बारिश के मौसम में डेंगू और मलेरिया के बारे में सभी जानते हैं लेकिन इसी सीजन कई लोग हे फीवर की चपेट में आ जाते हैं। इसके लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।


Hay fever symptoms: बारिश में तेजी से फैलता है Hay फीवर, जानिए इस बुखार के लक्षण, कारण और बचाव

बारिश के मौसम में डेंगू, मलेरिया, चिकिनगुनिया सहित न जाने कितने ही वायरल इंफेक्शन होते हैं। कोल्ड फीवर होना तो आम बात लेकिन इस मौसम में कुछ लोग हे फीवर का शिकार भी हो जाते हैं। जी हां, मॉनसून की मौसमी बीमारियों में से एक हे फीवर भी है जिसकी चपेट में आने से मरीज को एक नहीं बल्कि कई तरह के हेल्थ प्रॉब्लम्स सताने लगती हैं। आममें से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो इस फीवर को नहीं जानते हैं। बहरहाल, आज हम आपको इस अनसुने बुखार (Hay Fever) के बारे में बताते हैं और साथ ही इसके सिम्टम्स को लेकर भी जानकारी देंगे।

(फोटो साभार: istock by getty images)



​मौसमी हवाओं के जरिए फैलता है हे फीवर
​मौसमी हवाओं के जरिए फैलता है हे फीवर

यह बात तो हम सब जानते हैं कि बारिश में हवा से फैलने वाली भी कई बीमारियां होती हैं जिनमें मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया मुख्य हैं, लेकिन इसी सीजन हे फीवर भी फैलता है। ये बुखार गर्मी और बारिश के मौसम में चलने वाली हवाओं के कारण होता है। ये हवाएं अक्सर कुछ ऐसे कण छोड़ती हैं, जो सांस लेने के दौरान हमारे गले और नाम में चले जाते हैं। इसके बाद इन कणों की वजह से हमारे शरीर को एलर्जी होने लगती है।

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​हे फीवर के लक्षण
​हे फीवर के लक्षण

हे फीवर को मेडिकल की भाषा में एलर्जिक राइनाइटिस भी कहते हैं। यहां हम आपको हे फीवर के कुछ सिम्टम्स बता रहे हैं जिन पर आपको ध्यान देना और समय रहते अपनी ट्रीटमेंट लेना है ताकि समस्या ज्यादा न बढ़ पाए।

नाक बहना

आंखों में खुजली होना या आंखों से पानी आना

बार-बार छींक आना

साइनस

नाक से पानी निकलना या नाक बंद होना

आंखों के नीचे काले घेरे पड़ना

बिना वजह थकान महसूस होना

खांसी आना

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​धूम्रपान न करें
​धूम्रपान न करें

कई बार सिगरेट और हुक्का के कारण बीमारी गंभीर लक्षणों में परिवर्तित हो जाती है। जानकारों की मानें तो हे फीवर में होने वाली एलर्जी के लिए धूम्रपान भी एक कारण हो सकता हैस क्योंकि इसके जरिए भी आप आसपास मौजूद कणों को मुंह और नाक में एंटर करा लेते हैं। इसलिए हमें इससे बचना चाहिए।



​जानवरों के संपर्क में आने से भी हो सकता है हे फीवर
​जानवरों के संपर्क में आने से भी हो सकता है हे फीवर

जानकारी के लिए आपको बता दें कि हे फीवर किसी वायरस की वजह से नहीं होता है, बल्कि यह शरीर के अंदरूनी हिस्से में एलर्जी की वजह से होता है। हवा के कारण उड़ी धूल मिट्टी के अलावा पालतू जानवरों के संपर्क में आने से भी एलर्जी हो सकती है। जब कोई व्यक्ति इस बुखार की चपेट में होता है तो उसका इम्यून सिस्टम अंगों को नुकसान पहुंचाने वाले संक्रमण को नष्ट करने के लिए एंटीबॉडी का प्रोडक्शन करता है।

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​हे फीवर से बचाव
​हे फीवर से बचाव

चूंकि ये बुखार धूल मिट्टी के संपर्क में आने से होता है इसलिए जब भी आप घर से बाहर निकलते हैं तो अपने मुंह और नाक को अच्छी तरह से कवर करें। इससे बाहर हवा में फैलों से कण सांस लेते समय आपके शरीर के अंदर नहीं जाएंगे और एलर्जी की समस्या नहीं होगी।



​हर्बल टी का करें सेवन
​हर्बल टी का करें सेवन

हे फीवर में होने वाली एलर्जी में हर्बल टी बहुत फायदेमंद होती है। इसे पीने से एलर्जी से तुरंत राहत मिलती है और साथ ही कमजोरी भी दूर हो जाती है। हर्बल टी से हमारा इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। हर्बल टी में आप अदरक, काली मिर्च, तुलसी के पत्ते, लौंग व मिश्री आदि का प्रयोग कर सकते हैं।



​योग करें
​योग करें

हे फीवर में आप सेतुबंधासन, कपालभाति प्राणायाम, सर्वांगासन, वीरभद्रासन और अनुलोम-विलोम करें। ये योगासन श्वसन प्रणाली को सही रखते हैं और नाक की गंदगी को भी साफ करते हैं।



​रोएं वाले जानवरों से बनाएं दूरियां
​रोएं वाले जानवरों से बनाएं दूरियां

आपके घर का जानवर अगर बाहर जाता है तो उसकी साफ-सफाई का ख्याल रखें। क्योंकि उसके जरिए आप हे फीवर की चपेट में आ सकते हैं। साथ ही बाहरी जानवरों खिलाएं पिलाएं लेकिन हाथों से स्पर्श न करें। साथ ही एकदम गर्म से ठंडे और ठंडे से गर्म माहौल में जानें से बचें।





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