क्या जरूरी है Covishield वैक्सीन की तीसरी डोज? बूस्टर डोज से क्या होगा फायदा? नए शोध में हुआ खुलासा - Kal Se Aaj Tak News

“समय के साथ”

Breaking

Home Top Ad

Web hosting

Post Top Ad

Join us to kalseaajtaknew.blogspot.com

Tuesday, June 29, 2021

क्या जरूरी है Covishield वैक्सीन की तीसरी डोज? बूस्टर डोज से क्या होगा फायदा? नए शोध में हुआ खुलासा

Coronavirus vaccine: ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका COVID-19 वैक्सीन कोविशील्ड अपने साइड इफेक्ट्स को लेकर कई तरह के विवादों में घिरी है, फिर भी यह दुनिया के सबसे लोकप्रिय टीकों में से एक है। हाल के अध्य्यन में खुलासा हुआ है कि कोविशील्ड कोविड के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ भी असरदार है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के दो डोज लेने में फिलहाल 3-4 महीने का गैप दिया जाता, जो कि अधिक मात्रा में एंटीबॉडी को माउंट करने के लिए मेडीकली तौर पर सिद्ध हो चुका है। अब नए शोध में दावा किया जा रहा है कि अगर वैक्सीन की दो डोज के बीच 12 हफ्तों का अंतर होने की बजाय अगर 45 हफ्तों या 10 महीने का गैप रखा जाए तो ये और भी बढ़िया रिस्पॉन्स मिलेगा।इतना ही नहीं, स्टडी में यह भी बताया गया है कि इस वैक्सीन की तीसरी डोज इंसान के शरीर की एंटीबॉडी के स्तर को और भी ज्यादा बढ़ा सकती है। ऐसे में वैक्सीन की तीसरी खुराक पोटेंशियल बूस्टर डोज की तरह काम कर सकती है? या फिर खुराक के अंतर को फिर से संशोधित किया जाएगा? यहां हम आपको वैक्सीन को लेकर किए गए नए शोध के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

Coronavirus vaccine: ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका COVID-19 वैक्सीन कोविशील्ड वैक्सीन पर नया शोध हुआ है, जिसके बाद वैज्ञानिक बूस्टर डोज और तीसरी खुराक पर जोर दे रहे हैं।


क्या जरूरी है Covishield वैक्सीन की तीसरी डोज? बूस्टर डोज से क्या होगा फायदा? नए शोध में हुआ खुलासा

Coronavirus vaccine:

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका COVID-19 वैक्सीन कोविशील्ड अपने साइड इफेक्ट्स को लेकर कई तरह के विवादों में घिरी है, फिर भी यह दुनिया के सबसे लोकप्रिय टीकों में से एक है। हाल के अध्य्यन में खुलासा हुआ है कि कोविशील्ड कोविड के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ भी असरदार है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के दो डोज लेने में फिलहाल 3-4 महीने का गैप दिया जाता, जो कि अधिक मात्रा में एंटीबॉडी को माउंट करने के लिए मेडीकली तौर पर सिद्ध हो चुका है। अब नए शोध में दावा किया जा रहा है कि अगर वैक्सीन की दो डोज के बीच 12 हफ्तों का अंतर होने की बजाय अगर 45 हफ्तों या 10 महीने का गैप रखा जाए तो ये और भी बढ़िया रिस्पॉन्स मिलेगा।

इतना ही नहीं, स्टडी में यह भी बताया गया है कि इस वैक्सीन की तीसरी डोज इंसान के शरीर की एंटीबॉडी के स्तर को और भी ज्यादा बढ़ा सकती है। ऐसे में वैक्सीन की तीसरी खुराक पोटेंशियल बूस्टर डोज की तरह काम कर सकती है? या फिर खुराक के अंतर को फिर से संशोधित किया जाएगा? यहां हम आपको वैक्सीन को लेकर किए गए नए शोध के बारे में जानकारी दे रहे हैं।



​वैक्सीन की इम्यूनिटी को बूस्ट करेगा तीसरा डोज
​वैक्सीन की इम्यूनिटी को बूस्ट करेगा तीसरा डोज

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजनेका की कोविड वैक्सीन का निर्माणा भारत स्थित सीरम इंस्टीट्यूट में बनाया जा रहा है जिसे दुनियाभर में कोविशील्ड (Covishield) के नाम से जाना जाता है। पिछले महीनों में किए गए कई अध्ययनों से पता चला था कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन की दूसरी खुराक को देर से लेने पर इम्यून सिस्टम जबरदस्त रिस्पॉन्स देता है और काफी लंबे वक्त तक असरदार होती है। नए क्लीनिकल ऑब्जर्बेशन के अनुसार, तीसरा बूस्टर वैक्सीन की इम्यूनिटी और इसकी प्रभावकारिता दर को बूस्ट करने में मदद करेगी।

कीटाणुओं को नष्ट करने से लेकर मन को शांत रखने तक, अगरबत्ती जलाने से मिलते हैं इतने सारे फायदे



​क्या हमें वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत है?
​क्या हमें वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत है?

म्यूटेशन के बाद जब आए दिन ही कोविड-19 के नए-नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं, तो वायरोलॉजिस्ट और महामारी विज्ञानी (epidemiologists) तेजी से बूस्टर शॉट्स पर जोर दे रहे हैं। ताकि वैक्सीन के जरिए शरीर के अंदर हमेशा एंटीबॉडीज बनी रहे।

अधिक से अधिक लोगों को बूस्टर शॉट्स मिलने से हर्ड इम्यूनिटी भी बनी रहेगी और सभी का इम्यून सिस्टम घातक वायरस के खिलाफ अटैक करने में सक्षम रहेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि बूस्टर डोज से हम कोरोना संक्रमण से लंबे समय तक सुरक्षित रह सकेंगे।



​क्यों जरूरी होगी तीसरी डोज?
​क्यों जरूरी होगी तीसरी डोज?

मालूम हो कि कोविशील्ड वैक्सीन को अल्फा वेरिएंट (SARS-COV-2 स्ट्रेन) के खिलाफ 81-90% से अधिक प्रभावी पाया गया है। डेल्टा के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावकारिता 64-70% तक है। ऐसे में कुछ स्तरों तक नए वेरिएंट के खिलाफ बूस्टर या तीसरी खुराक की उपलब्धता पर जोर दिया जाएगा।

वैक्सीन के नए शोध के लीड इंवेस्टिगेटर प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि ये सच में महत्वपूर्ण है। स्टडी का ये डेटा दिखाता है कि हम ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन की एक और डोज देकर रिस्पॉन्स को और भी बेहतर बना सकते हैं। इससे हम लंबे वक्त तक महामारी से बचे रहेंगे।



​इनके लिए फायदेमंद होगा तीसरा डोज
​इनके लिए फायदेमंद होगा तीसरा डोज

वैक्सीन का तीसरा डोज उनके लिए एक आशा की किरण साबित हो सकता है जिनका कुछ हेल्थ इशूज़ के चलते पहले से ही इम्यून सिस्टम कमजोर है। ऐसे लोगों के शरीर में वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडीज का निर्माण नहीं हो पाता।





from Health Tips in Hindi , natural health tips in hindi, Fitness tips, health tips for women - डेली हेल्थ टिप्स, हेल्थ टिप्स फॉर वीमेन | Navbharat Times https://ift.tt/3yj29vt
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Web hosting

Pages