Monsoon diseases: कोविड की रफ्तार धीमी लेकिन ब्लैक फंगस का कहर जारी है। वहीं दूसरी ओर आने वाले दिनों में भयंकर बीमारियां आने वाली हैं। ऐसे में हमें खुद को सुरक्षित रखने के लिए बेहद सावधान रहना होगा।
Monsoon diseases: पिछले साल की शुरुआत से लेकर अब तक का वक्त हम सभी के लिए काफी कठिन रहा है। अब जब कोविड की दूसरी लहर धीमी पड़ रही है तो फंगल इंफेक्शन ने जबरदस्त कहर ढा रखा है। ऐसे हालातों में हमें अपनी सुरक्षा की गारंटी सरकारी सिस्टम या हेल्थ प्रशासन पर छोड़नी की बजाए खुद ही लेनी होगी। क्योंकि आने वाले वक्त में कोविड और ब्लैक फंगस के अलावा भी तमाम बीमारियां आने वाली हैं। मॉनसून भी अब नई हवाई (airborne), जलजनित (waterborne) और मच्छर जनित (mosquito-borne) बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है। यहां हम आपको कुछ मानसून में होने वाली बीमारियों की एक लिस्ट जारी कर रहे हैं जिनसे हम सभी को सावधान रहने की आवश्यकता है।
(फोटो साभार: istock by getty images)
हवा से होने वाली बीमारियों से बचने के उपाय
- खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को ढंकें।
- हर कुछ घंटों में गर्म पानी पिएं और बाहर जाते समय अपनी पानी की बोतल अपने साथ रखें।
- अपने बच्चों को पहले से संक्रमित लोगों से दूर रखें।
- घर से वापस आने के बाद हाथ-पैर अच्छी तरह धोना सुनिश्चित करें।
- सुनिश्चित करें कि आपका घर अच्छी तरह हवादार यानी वेंटिलेशन वाला हो।
हवा से होने वाली बीमारियां (Mosquito-borne diseases)
जानकारी के लिए बता दें कि मॉनसून मच्छरों के प्रजनन (Mosquitoes breeding season) का मौसम होता है। वैश्विक आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में सबसे ज्यादा मच्छरों के जरिए बीमारियां फैलती हैं। विश्व स्तर पर डेंगू के 34 प्रतिशत और मलेरिया के 11 फीसदी मामले अकेले भारत में हैं।
मलेरिया
मलेरिया प्लास्मोडियम नामक एकल-कोशिका वाले परजीवी के कारण होता है, जो मानसून के दौरान प्रमुख स्वास्थ्य चिंताओं का एक कारण है। मच्छरों की प्रजाति वाटर चैनलों और गंदे पानी के जरिए पनपती हैं, जिनके एक डंक से व्यक्ति तेज बुखार का शिकार हो जाता है। नजरअंदाज करने पर गंभीर अवस्था में भी जा सकता है।
डेंगू
मलेरिया की तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने के कारण होता है, जो ठहरे हुए पानी (बाल्टी, ड्रम, कुएं, कूलर में जमा पानी, पेड़ के छेद और फूलों के गमले) में पैदा होता है। मच्छर काटने के बाद व्यक्ति को बुखार और थकान मेहसूस होती है। कई मामलों में ये बुखार जानलेवा भी सामित होता है।
चिकनगुनिया
चिकनगुनिया एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर के कारण होता है, जो एक गैर-घातक वायरल बीमारी है। ये मच्छर रुके हुए पानी यान लंबे वक्त के जलभराव में पनपते हैं। मच्छर आपको न केवल रात में बल्कि दिन में भी काट सकते हैं।
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मच्छर जनित बीमारियों से बचने के उपाय
अपने घर में मच्छरदानी का प्रयोग करें।
अपने घर में और आस-पास वाली जगहों पर पानी जमा न होने दें।
साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। अपने घर के बाथरूम की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। किचन में किसी भी खाद्य पदार्थ को खुला न छोड़ें।
आप घर से बाहर निकलने से पहले या अंदर रहते हुए भी मच्छर भगाने वाली क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं
हवा से होना वाली बीमारियां (Air-borne diseases)
मॉनसून में मौसमी हवा से कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग जैसे बच्चों और बजुर्गों को खासकर सावधानी बरतनी चाहिए। जो लोग पहले से ही हेल्थ प्रॉब्लम्स झेल रहे हैं उन्हें भी मौसमी हवाओं से सतर्क रहना चाहिए।
सर्दी और बुखार
हवा से होने वाली बीमारी में सर्दी और फ्लू सबसे आम वायरल संक्रमण हैं, जो मानसून के दौरान तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव के कारण होते हैं। इनकी चपेट में आने से नाक बहने, गले में दर्द, आंखों में पानी, बुखार और ठंड लगने जैसे लक्षण दिखते हैं।
इंफ्लुएंजा
इस रोग को आमतौर पर फ्लू के रूप में जाना जाता है, इन्फ्लूएंजा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। ये हवा के जरिए भी आसानी से दूसरी जगह फैलता है।
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पानी से होने वाली बीमारियां (Water-borne diseases)
मानसून के मौसम में जल जनित बीमारियां एक और आम समस्या है। बच्चे इन बीमारियों के आसानी से शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है और बीमारियों के होने का खतरा होता है।
आंत्र ज्वर (Typhoid)
टाइफाइड टाइफी बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक जल जनित रोग है, जो गंदगी के कारण फैलता है। खुला या बासा भोजन करना और दूषित पानी पीने पानी टाइफाइड के दो प्रमुख कारण हैं। टाइफाइड के लक्षणों में सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, बुखार और गले में खराश शामिल हैं।
हैजा (Cholera)
खराब स्वच्छता और दूषित भोजन के कारण भी हैजा के साथ दस्त होते हैं।
पीलिया (Jaundice)
पीलिया खराब स्वच्छता, दूषित पानी और भोजन के कारण होता है। यह लिवर की शिथिलता का कारण बनता है और इसमें कमजोरी, थकान, पीली पेशाब, उल्टी और पीली आंखें जैसे लक्षण हो सकते हैं।
हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A)
यह एक वायरल संक्रमण है जो दूषित भोजन और पानी से फैलता है। यह आपके लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है और उसमें जलन पैदा कर सकता है। हेपेटाइटिस के लक्षणों में थकान, बुखार, पीली आंखें, पेट में कोमलता, गहरे रंग का मूत्र और अचानक भूख न लगना शामिल हैं।
जल जनित रोगों से बचने के उपाय
- फलों और सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह धो लें।
- खाने को ढंककर रखें।
- बाहर के खाने का सेवन करने से बचें।
- व्यक्तिगत और पर्यावरणीय स्वच्छता बनाए रखें। अपने हाथों को बार-बार धोएं और सैनिटाइज करें।
- सुनिश्चित करें कि आपके इलाके में खुले नाले और गड्ढे नहीं हैं।
- अपने बच्चों का समय पर टीकाकरण कराएं।
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