क्या कोरोना से ठीक होने के बाद भी इसका असर हृदय पर होता है। क्या इसके बाद सामान्य रूप से एक्सरसाइज करने पर दिल का दौरा पड़ रहा है।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के शांत होते दिखने के बाद अब फिर से लोग एक साधारण जिंदगी जीने की ओर चल पड़े हैं। लेकिन कोरोना का असर न केवल लोग के शारीरिक स्वास्थ्य पर हुआ है, बल्कि इसकी वजह से लोग मानसिक रूप से भी अस्वस्थ हो गए हैं। वहीं कई लोग ऐसे हैं जो कोविड से ठीक हो चुके हैं लेकिन उनके शरीर में सूजन की समस्या हो रही है।
कोविड से ठीक होने के बाद जो सबसे बड़ी जटिलता सामने आ रही हैं, वह है हार्ट अटैक की। इस महामारी से उबरने के बाद भी लोगों में दिल से जुड़ी समस्या हो रही है। इन्हीं समस्याओं को विस्तार से जवाब दे रहे हैं देश के बहुत से नामी डॉक्टर। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों कोविड से ठीक होने के बाद भी इस वायरस का असर हृदय पर हो रहा है।
नेगेटिव रिपोर्ट के बाद हार्ट अटैक क्यों
कोरोना वायरस एक ऐसी महामारी है जिससे ठीक होने के तुरंत बाद ही व्यक्ति को सब कुछ पहले की तरह ही साधारण लगने लगता है, और यही कारण भी है कि लोग ठीक होते ही पहले की तरह ही एक्सरसाइज समेत सभी कार्य करने लगते हैं।
लेकिन हाल ही में सामने आ रही नई जटिलताओं ने लोगों को सकते में डाल दिया है। ऐसे बहुत से मरीज हैं जिनको कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक की समस्या हो चुकी है। जिसकी वजह से बहुत से लोगों ने एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी पूरी तरह बंद कर दी है।
इसी के साथ कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के जेहन में बहुत से सवाल और कंफ्यूजन चल रही है। इन सभी सवालो का जवाब अब एक्सपर्ट दे रहे हैं। अगर आपको भी लगता है कि कोरोना से ठीक होने के बाद आपका शरीर सही प्रकार कार्य नहीं कर रहा है तो थोड़ा संभल जाएं।
मौत की मुख्य वजह
कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों की जान क्यों जा रही है। इस पर पीडी हिंदुजा अस्पताल और एमआरीसी में एक सलाहकार कार्डियोलॉजिस्ट और कार्डियक इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिस्ट डॉक्टर अमेय उदयवर का मानना है कि कोरोना से ठीक होने वाले लोगों की मौत का सबसे आम कारण हार्ट अटैक है। वह कहते हैं कि अगर मरीज की रक्त धमनियों में ब्लॉकेज हो गई है और यह ब्लॉकेज 100 प्रतिशत है तो इससे हृदय में खून की कमी होने लगती है।
जिसकी वजह से हृदय को भारी नुकसान पहुंचता है। इसी के कारण या तो कभी कभी धड़कन तेज हो जाती हैं, या फिर रुक जाती हैं। इस वजह से व्यक्ति की मौत तक हो जाती है। इसके अलावा कोविड की वजह से कभी कभी मांसपेशियों में भी दिक्कत आ सकती है। इसे मायोकार्डिटिस कहा जाता है। इसकी वजह से भी दिल की धड़कन बढ़ सकती है और कार्डियक अरेस्ट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
कोरोना से हृदय को खतरा कैसे
भले ही कोरोना एक सांस संबंधी बीमारी क्यों ना हो लेकिन इसका प्रभाव हृदय पर भी पड़ सकता है। इस बात की जानकारी डॉक्टर बिपिन कुमार दुबे जो कि कार्डियक साइंसेज के सलाहकार और एचोडी के, साथ एचीएमसीटी मणिपाल अस्पताल में भी कार्यरत हैं। वह कोविड के बाद होने वाली दो तरह की हृदय जटिलताओं पर से पर्दा उठा रहे हैं। वह कहते हैं कि कोरोना के बाद दो तरह की समस्या होती है। पहली जिसमें व्यक्ति की धमनियों में रुकावट पैदा होती है, जिससे दिल का दौरा पड़ जाता है। वहीं दूसरी स्थिति में हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। जिसे कार्डियोमायोपैथी भी कहा जाता है।
हालांकि इस पर डॉक्टर उदयवर कहते हैं कि हृदय की समस्या कोविड कम ही जिम्मेदार है। कोविड के 20 प्रतिशत मरीजों में से 6 से 7 प्रतिशत है। डॉक्टर उदयवर कहते हैं कि हृदय से जुड़ी समस्या की एक वजह इम्यून सिस्टम हो सकता है। जिसकी वजह से हृदय की रक्त पंप करने की गति कम हो जाती है। लेकिन यह भी कोविड रोगियों में कम ही देखा जाता है।
पहले से अगर है हार्ट की दिक्कत तो मानें ये बात
ऐसे लोग जो पहले से ही हृदय रोग से पीड़ित हैं। उन्हें डॉक्टर अधिक सतर्क रहने की सलाह देते नजर आ रहे हैं। साथ ही अगर कोई व्यक्ति पहले से ही हृदय रोग से पीड़ित है उसे अपनी दवा किसी भी तरह से बंद नहीं करनी चाहिए। साथ ही डॉक्टर ठीक हुए लोगों को एक्सरसाइज के साथ सही डाइट लेने की भी राय दे रहे हैं।
अगर कोविड से ठीक हुए मरीजों को सीने में दर्द, सांस फूलना, धड़कन तेज होना, अचानक थकान महसूस होने जैसे लक्षण विकसित होते हैं। तो ऐसे में बिना वक्त गवाएं तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज की प्रक्रिया का पालन करें।
कोविड से ठीक होने के बाद कब करें एक्सरसाइज शुरू?
कोरोना से ठीक हुए मरीजों के जेहन में अक्सर यह सवाल उठता है कि वह कब से अपनी एक्सरसाइज शुरू कर सकते हैं। इस पर डॉक्टर उदयवर कहते हैं कि एक्सरसाइज नेगेटिव रिपोर्ट आने के 10 से 12 दिन बाद ही शुरू करनी चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें की शुरूआत में अधिक एक्सरसाइज न करें। वहीं अगर आपको एक्सरसाइज के दौरान सांस लेने में किसी तरह की दिक्कत आए तो इसकी तुरंत जांच कराना भी जरूरी है। आप शुरुआती समय में केवल पैदल चलने की ही फिजिकल एक्टिविटी करें।
अपनी पुरानी दिनचर्या में लौटने का सही समय कब?
हम सभी जानते हैं कि कोरोना से संक्रमित होने वाले मरीजों में से बहुत कम ऐसे होते हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। वह मरीज जिन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था और ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी। उन्हें डॉक्टर दुबे खुद पर अधिक ध्यान देने की सलाह दे रहे हैं। डॉक्टर कहते हैं कि अगर ऐसे लोग जो अस्पताल में भर्ती हुए थे और पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं। उन्हे अपनी दिनचर्या में लौटने में कम से कम 2 से 3 महीने का समय लग सकता है। ठीक होने के बाद इतना समय शरीर और हृदय को अधिक कष्ट देना नुकसानदायक हो सकता है। इस दौरान आप धीरे धीरे अपनी एक्सरसाइज और दिनचर्या में वापस जाएं।
ऐसी ही सलाह डॉक्टर उदयवर भी दे रहे हैं। डॉक्टर का मानना भी यही है कि अगर किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती होने के दौरान वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ी थी, तो उन्हें 2 से 3 महीने के आराम के बाद ही धीरे धीरे अपनी दिनचर्या में वापस लौटना चाहिए। वहीं अगर आप हृदय रोगी हैं तो आप फिजियोथेरेपिस्ट की मदद भी ले सकते हैं।
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