
देश में वैक्सीनेशन के बाद कोरोना वायरस के मामलों में काफी कमी देखी गई है। लेकिन डोज लेने के बाद जहां कुछ सीरियस साइड इफेक्ट्स का शिकार हो रहे हैं तो किसी-किसी में कोई दुष्प्रभाव महसूस नहीं हो रहा है। जानिए क्या है वजह।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Covid Second wave) को काबू करने में वैक्सीनेशन काफी हद तक कारगर साबित हुआ है। अब दिन-ब-दिन कोविड के मामलों में गिरावट दर्ज हो रही है। इससे जाहिर है कि कोविड के खिलाफ टीकाकरण काफी हद हद तक प्रभावी रहा है। बेशक वैक्सीन लगने के बाद लोगों को इसके साइड-इफेक्ट्स का जोखिम उठाना पड़ रहा हो, लेकिन ये काफी इफेक्टिव है।
हालांकि, वैक्सीन का डोज लेने के बाद कुछ में सामान्य सिम्टम्स दिखे तो कोई गंभीर लक्षणों की चपेट में आया। अधिक से अधिक लोगों के टीकाकरण होने से ये स्थिति स्पष्ट हो चुकी है कि डोज के साइड इफेक्ट्स सभी में एक जैसे नहीं दिखते। कुछ कम बीमार पड़ते हैं तो कुछ ज्यादा और कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनमें किसी तरह के साइड इफेक्ट्स नहीं दिखते। आखिरकार डोज लेने वाले लोगों में इस तरह के अलग-अलग सिम्टम्स क्यों दिखते हैं?
(फोटो साभार: istock by getty images)
क्या है साइड-इफेक्ट्स का मतलब है और क्या वे सामान्य हैं?

लेने के बाद लोगों में दिखने वाले साइड-इफेक्ट्स उन प्रतिक्रियाओं को रेफर करते हैं जो तब होती हैं जब शरीर बाहरी एंटीजन के संपर्क में आता है। आसान भाषा में समझें तो जिस तरह से हमारा इम्यून सिस्टम वायरस के एंट्री करते ही प्रतिक्रिया करता है, ठीक वैसे ही वैक्सीन का डोज लेने के बाद भी होता है जो साइड-इफेक्ट के रूप में दिखाई देता है।
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डोज लेते ही रेस्पोंस करता है इम्यून सिस्टम

एंटीजन के संपर्क में आने पर हमारा इम्यून सिस्टम (immune system) तुरंत एक्टिव हो जाता है और रेस्पोंस करने लगता है। इस प्रोसेज में हमारा इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ने के लिए श्वेत रक्त कोशिकाएं (white blood cells) और डिफेंसिव एंटीबॉडी भेजता है।
द्वारा कोरोना इंफेक्शन के खिलाफ इन्फ्लेमेटरी रेस्पोंस करते ही वैक्सीन का डोज लेने वाले व्यक्ति को बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, चक्कर आना, ठंड लगना आदि जैसे लक्षणों का अनुभव होते हैं। इस तरह के सिम्टम्स को कोविड वैक्सीन के सामान्य साइड इफेक्ट्स के तौर पर भी समझा जाता हैं।
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बॉडी और वैक्सीन के आधार पर होते हैं साइड इफेक्ट्स

और उसकी बॉडी के आधार पर होते हैं जो कि सभी में एक जैसे नहीं दिख सकते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि दो अलग-2 वैक्सीन की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं भी दिख सकती हैं। उदाहरण के लिए कोवेक्सिन कोविशील्ड की तुलना में कम साइड इफेक्ट्स दिखाती है।
इसीलिए सभी लोगों में एक जैसे साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिलते हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्यक्ति का इम्यून सिस्टम किस तरह का रेस्पोंस देता है। फाइजर के एमआरएनए (Pfizer's mRNA) वैक्सीन अध्ययन से क्लीनिकल ट्रायल में में यह पाया गया है कि 50% से अधिक लोगों ने डोज लेने के बाद किसी भी दुष्प्रभाव से पीड़ित होने की सूचना नहीं दी और अब भी सेहतमंद हैं।
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ये भी हैं वैक्सीन के अलग-अलग दुष्प्रभाव होने के कारण

जानकारों के अनुसार, उम्र, लिंग, पहले से मौजूद इम्यूनिटी, हेल्थ प्रॉबलम्स, एंटी इंफ्लेमेटरी टैबलेट का सेवन जैसे भी कई वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के अलग-अलग होने के कारण हो सकते हैं। यही एक फेक्टर है कि वृद्ध लोगों की तुलना में युवाओं में वैक्सीन के अधिक साइड इफेक्ट्स रिकॉर्ड किए जा रहे हैं।
पुरुषों से महिलाओं ज्यादा दिखते हैं दुष्प्रभाव

कुछ आंकड़ों से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं कोरोना वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट्स का अधिक जोखिम उठा रही हैं। इससे जाहिर है कि वैक्सीन जेंडर यानी लिंग के आधार पर भी पुरुषों और महिलाओं के बीच अलग-अलग दुष्प्रभावों को दिखाती है। महिलाओं में अधिक साइड-इफेक्ट्स का अनुभव करने के कारणों में हार्मोनल इंटरफेरेंस भी हो सकता है।
अगर नहीं दिखें डोज के साइड इफेक्ट्स तब?

मान लो अगर आपको किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स नहीं दिखते हैं तो आपको ये नहीं समझना चाहिए कि टीका ने असर ही नहीं दिखाया। कई विशेषज्ञों के अनुसार, साइड-इफेक्ट्स न दिखना चिंता का विषय नहीं है। इसका किसी भी तरह से यह मतलब नहीं है कि प्रतिरक्षा प्रणाली ने वैक्सीन को स्वीकार नहीं किया है या डोज असर ही नहीं किया। ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति में पहले शॉट के बाद साइड-इफेक्ट्स न दिखें लेकिन दूसरी डोज के बाद महसूस हों। ऐसा भी हो सकता है कि प्रतिक्रियाएं पूरी तरह से प्रकट न हों।
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