कोरोना वायरस की दूसरी लहर की रफ्तार अभी पूरी तरह से थमी नहीं थी कि अब डेल्टा वेरिएंट के बारे में जानकार लोग हैरान हैं। हेल्थ एक्सपर्ट भी इसे खतरनाक बता चुके हैं और यह कोविड-19 की तीसरी लहर के रूप में भारत में हावी हो सकता है।
पिछले साल से लेकर इस साल तक कोरोनावायरस की दूसरी लहर के कारण हुई तबाही ने लाखों लोगों को दहशत की स्थिति में डाल दिया है। कोविड की संख्या में अचानक से बढ़ोतरी की मुख्य वजह रही लापरवाही और इसी के चलते कोरोना वायरस अपने नए-नए वेरिएंट लाता रहा। जैसे ही कोविड की दूसरी लहर के मामलों की रफ्तार धीमी हुई तो अब डेल्टा वेरियंट के खौफ से लोग परेशान हैं। जानकारों की मानें तो डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण पर वैक्सीन भी बेअसर हो सकती है, क्योंकि ये पिछले वाले सभी वायरस से बहुत ही ज्यादा घातक है। आइए, जानते हैं कि क्या है डेल्टा वेरियंट और क्या हैं इसके लक्षण।
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WHO ने डेल्टा वेरिएंट को दिया 'वायरस ऑफ कंसर्न' करार
हाल ही में इसे लेकर स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया है कि डेल्टा वेरिएंट भारत सहित दुनियाभर के 80 देशों में फैल चुका है। भारत में महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले पाए गए हैं। WHO (World Health Organisation) ने डेल्टा वेरिएंट को 'वायरस ऑफ कंसर्न' (virus of concern) यानी कोरोना चिंताजनक वेरिएंट करार दिया है।
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क्या है डेल्टा वेरिएंट?
COVID-19 संक्रमणों का डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) जो सबसे पहले भारत के महाराष्ट्र में पाया गया था। वैज्ञानिकों का कहना है डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) डेटा प्लस (AY.1) वैरिएंट में म्यूटेट हुआ है और यह काफी तेजी से लोगों को अपना शिकार बनाता है। B.1.617 वैरिएंट में दो अलग-अलग वायरस वैरिएंट से म्यूटिड हुआ है। डेल्टा प्लस के म्यूटेशन को K417N का नाम दिया गया है और यह दक्षिण अफ्रीका में पाए गए बीटा वैरिएंट में मिला था।
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कितना खतरनाक है डेल्टा वेरिएंट?
दो म्यूटेशन के बाद डेल्टा का जेनेटिक कोड E484Q और L452R है और इससे हमारा इम्यून सिस्टम भी फाइट करने में हार सकता है। यही वजह है कि ये हमारे शरीर के बाकी ऑर्गन्स को भी आसानी से अपनी चपेट में लेता है और गंभीर सिम्टम्स छोड़ता है।
इसके अतिरिक्त जैसा कि नए वेरिएंट स्पाइक प्रोटीन (spike protein) की संरचना यानी स्ट्रक्चर को बदलते हैं, पर डेल्टा वेरिएंट खुद को शरीर के अंदर मौजूद होस्ट सेल्स से जोड़ने में अधिक कुशल है। हेल्थ एक्सपर्ट्स चेतावनी दे चुके हैं कि डेल्टा भारत में तीसरी लहर के रूप में हावी हो सकता है।
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डेल्टा वेरिएंट के लक्षण
माइल्ड COVID इंफेक्शन वाले मरीजों में सर्दी, खांसी, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, बिना वजह थकान और लॉस ऑफ टेस्ट और लॉस ऑफ स्मेल जैसे लक्षण दिख रहे हैं। हालांकि, डेल्टा वेरिएंट के कुछ नए लक्षण सामने आए हैं, जिनके बारे में हेल्थ एक्सपर्ट्स से जानकारी दी है।
कोविड सिम्टम्स स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता प्रो. टिम स्पेक्टर (Tim Spector) के अनुसार, जो लोग डेल्टा वेरिएंट की चपेट में आए हैं वे बहुत ही बुरी खांसी (Bad Cold) से गुजर रहे हैं। इसके अलावा उनमें अलग ही तरह की भावना जैसे फनी ऑफ फीलिंग (A Funny Off Feeling) का अहसास हो रहा है। उनका कोल्ड सिम्टम्स पिछले वायरस से काफी अलग है।
डेल्टा में अस्पताल में भर्ती होने की नौबत
टिम कहते हैं कि हमें लगता है कि डेल्टा बहुत अधिक गंभीर समस्या पैदा कर रहा है। इस वायरस के संपर्क में आने पर आपको भी खराब खांसी या कुछ अजीब सा अहसास हो सकता है तो टेस्ट करवाएं और घर पर ही रहें। अध्ययन के अनुसार, सिरदर्द, गले में खराश और नाक बहना डेल्टा वेरिएंट से जुड़े सबसे आम लक्षण हैं लेकिन यह भी सच है कि अब रोगियों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ेगा।
स्पाइक प्रोटीन में हुआ है डेल्टा का म्यूटेशन
दिल्ली के CSIR- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के चिकित्सक और वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने हाल में अपने ट्विटर पर जानकारी देते हुए बताया था कि 'म्यूटेशन सार्स सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन में हुआ है जो वायरस को मानव कोशिकाओं के भीतर जाकर संक्रमित करने में सहायता करता है। स्कारिया ने ट्विटर पर लिखा, भारत में K417N से उपजा प्रकार अभी बहुत ज्यादा नहीं है।'
जीनोमिक अनुक्रमण (Genomic sequencing) में विशेषज्ञता रखने वाली वैज्ञानिक बानी जॉली ने ट्वीट किया, 'GISAID पर स्पाइक म्यूटेशन K417N वाले डेल्टा (बी.1.617.2) के सीक्वेंस की एक छोटी संख्या को पाया जा सकता है।
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