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Friday, June 18, 2021

किन लोगों की सेहत के लिए फायदेमंद है शुद्ध घी? मक्खन में कोलेस्ट्रॉल अच्छा है या बुरा? एक्सपर्ट्स ने बताया सच

Desi ghee: जब हम छोटे बच्चे होते हैं, तो हमारी दादी, नानी या जो भी बड़े बुजुर्ग हमेश ही हमें डेयरी उत्पादों जैसे दूध, पनीर, मक्खन और घी से भरे हुए आहारों खिलाने की सलाह देते हैं। फिर चाहे वो घर का बना हो या फिर बाजार से खरीदा गया हो। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं तो कोलेस्ट्रॉल को लेकर टेंशन लेते हैं और और इन सब डेयरी प्रोडक्ट्स के खाने पर पाबंदी लगाते हैं। क्योंकि हम कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने को लेकर डरते हैं। जैसे कि देसी घी या मक्खन के बारे में अक्सर बोला जाता है कि इसे खाने से मोटे हो जाएंगे। कुछ लोगों का सोचना है कि घी की अधिक मात्रा जाने से शरीर की धमनियां बंद हो सकती हैं लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है। इस बारे में हमने हेल्थ एक्सपर्ट से उन्होंने इसे कई तरीके से फायदेमंद बताया और इसके साथ ही उन्होंने हमारे देश की पारंपरिक तकनीकि से बनाए गए घी के बारे में भी जानकारी दी। (फोटो साभार: istock by getty images)

Desi ghee: हाल के सालों में घी को लेकर तमाम लोगों के मन में एक निगेटिव विचारधारा है कि इसके सेवन से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है और धमनियां बंद हो जाती है। जानिए इस विचारधार को लेकर क्या है एक्सपर्ट्स की राय।


Ghee benefits: किन लोगों की सेहत के लिए फायदेमंद है शुद्ध घी? मक्खन में कोलेस्ट्रॉल अच्छा है या बुरा? एक्सपर्ट्स ने बताया सच

Desi ghee: जब हम छोटे बच्चे होते हैं, तो हमारी दादी, नानी या जो भी बड़े बुजुर्ग हमेश ही हमें डेयरी उत्पादों जैसे दूध, पनीर, मक्खन और घी से भरे हुए आहारों खिलाने की सलाह देते हैं। फिर चाहे वो घर का बना हो या फिर बाजार से खरीदा गया हो। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं तो कोलेस्ट्रॉल को लेकर टेंशन लेते हैं और और इन सब डेयरी प्रोडक्ट्स के खाने पर पाबंदी लगाते हैं। क्योंकि हम कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने को लेकर डरते हैं। जैसे कि देसी घी या मक्खन के बारे में अक्सर बोला जाता है कि इसे खाने से मोटे हो जाएंगे। कुछ लोगों का सोचना है कि घी की अधिक मात्रा जाने से शरीर की धमनियां बंद हो सकती हैं लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है। इस बारे में हमने हेल्थ एक्सपर्ट से उन्होंने इसे कई तरीके से फायदेमंद बताया और इसके साथ ही उन्होंने हमारे देश की पारंपरिक तकनीकि से बनाए गए घी के बारे में भी जानकारी दी।

(फोटो साभार: istock by getty images)



​कैसे तैयार किया जाता है घी?
​कैसे तैयार किया जाता है घी?

दूध उबालने पर ऊपर जो मलाई मक्खन या क्रीम malai/milk cream or makhkhan/butter) को उसको उतार कर फ्रिज में स्टोर किया जाता है। जब मक्खन एक कटोरा या डिब्बा भर हो जाए तो इसे धीमी आंच में उबाला जाता है और इसका पानी अलग किया जाता है।

दूध से वाष्पीकरण द्वारा पानी की मात्रा को हटाने के लिए केवल 100 डिग्री सेल्सियस तक ही गरम किया जाता है। इस तरह से कढ़ाई में

घी

अलग ही दिखने लगता है। अगर घी कम मात्रा में बनाया तो वो चम्मच की मदद से स्टोर किया जाता है लेकिन अगर ज्यादा मात्रा में घी बनाना है तो उसे निकालने के लिए एक फिल्टर का प्रयोग करते हैं।

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​आयुर्वेद दवाओं में होता है घी का प्रयोग
​आयुर्वेद दवाओं में होता है घी का प्रयोग

भारतीय रसोई के पारंपरिक भोजन से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों में भी घी का काफी प्रयोग होता है जिसे संस्कृत में घृत के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मेडिकल क्षेत्र में भी घी का कई दवाओं में प्रयोग किया जाता है। हजारों वर्षों से आयुर्वेदिक दवाओं में भी

घी और दूध

का इस्तेमाल किया जाता है।

बेंगलुरु के जीवोत्तम आयुर्वेद केंद्र के वैद्य डॉ. शरद कुलकर्णी M.S (Ayu), (Ph.D.) से बातचीत ने बताया कि आयुर्वेद ट्रीटमेंट के लिए घी का इस्तेमाल कई दवाओं में किया जाता है। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में घी बनाने की परंपरा साधारण परंपरा से थोड़ी अलग होती है जिसे जड़ी बूटियों की सहायता से और फायदेमंद बनाया जाता है।

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​आयुर्देविक घी के प्रकार
​आयुर्देविक घी के प्रकार

पंचगव्य घृत

सुकुमार घृत

अश्वगंधा धृत

कुम्भघृत

महाघृत



​घी पर एक्सपर्ट की समीक्षा
​घी पर एक्सपर्ट की समीक्षा

घी को लेकर यूएस लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा लेखक हरि शर्मा, शियाओइंग झांग और चंद्रधर द्विवेदी लिखित एक पेपर प्रकाशित किया है। जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रधर द्विवेदी साउथ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी में फार्माकोलॉजी के एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर एमेरिटस हैं।

ये सभी एक्सपर्ट्स सीरम लिपिड स्तर और माइक्रोसोमल लिपिड पेरोक्सीडेशन पर घी यानी मक्खन की समीक्षा कर रहे थे। क्योंकि पिछले कई दशकों में एशियाई भारतीयों में कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) के बढ़ते प्रसार में घी को लेकर निगेटिव विचारधारा ने जन्म लिया है। घी का स्तर स्वस्थ खाद्य पदार्थों की रैंकिंग में फैटी एसिड और कोलेस्ट्रॉल की सामग्री को लेकर काफी नीचे गिर गया है।



घी के कोलेस्ट्रॉल और नुकसान को लेकर चूहों ने दी जानकारी
घी के कोलेस्ट्रॉल और नुकसान को लेकर चूहों ने दी जानकारी

हृदय स्वास्थ्य पर घी के बुरे या अच्छे प्रभावों को समझने के लिए विशेषज्ञों ने चूहों पर अध्ययन किया। वैज्ञानिकों ने चूहों के दो सेट तैयार किए थे जिनमें से एक सेट में हेल्दी एनीमल्स को लिया गया था जबकि दूसरे सेट के चूहे आनुवांशिक रूप से कई बीमारियों से ग्रसित थे या कहें अनहेल्दी थे। इन दोनों सेट को चूहों को घी से भरपूर आहार दिए गए थे।

शोधकर्ताओं ने स्वस्थ जानवरों ने 10% तक घी का आहार लिया और उनमें हानिकारक यानि बुरे कोलेस्ट्रॉल या हृदय रोग के कोई फेक्टर्स नहीं दिखे। लेकिन दूसरे सेट वाले बीमारियों से ग्रस्त चूहे में घी युक्त आहार खाने से उनके ब्लड में खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल में वृद्धि हुई। इसका मतलब है सेहतमंद लोगों को अपनी डाइट में घी को हमेशा प्रायोरिटी देनी चाहिए लेकिन खाना पकाने में तेल की बजाए का प्रयोग न करें।



​घी खाने के फायदे
​घी खाने के फायदे

आयुर्वेदिक ग्रंथों में घी को पारंपरिक रूप से खाद्य वसा का स्वास्थ्यप्रद स्रोत माना गया है।

आयुर्वेद के अनुसार घी के सेवन से लोग दीर्घायु यानी लंबी उम्र जीते हैं और शरीर को विभिन्न रोगों से बचाता है।

यह डाइजेस्ट फायर (पाचन अग्नि) को बढ़ाता है। इसके साथ ही अवशोषण और आत्मसात में सुधार करता है।

घी एक नेचुरल ओजस पोषक तत्व है जो शरीर के सभी ऊतकों (tissues) (धातु) का सूक्ष्म सार है।

घी याददाश्त में सुधार करता है। इसके साथ ही मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र (nervous system) को मजबूत होता है।

घी शरीर के अंदर मौजूद संयोजी ऊतकों को चिकनाई देता है, जिससे शरीर अधिक लचीला हो जाता है।

तीन दोषों के संबंध में घी वात और पित को शांत करता है।



​मनुष्यों के स्वस्थ पर घी को लेकर निष्कर्ष
​मनुष्यों के स्वस्थ पर घी को लेकर निष्कर्ष

भारत में ग्रामीण आबादी पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि उन पुरुषों में कोरोनरी हृदय रोग का प्रसार काफी कम है जो अधिक मात्रा में घी का सेवन करते हैं।

सोरायसिस के रोगियों में औषधीय घी की उच्च खुराक सीरम कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, फॉस्फोलिपिड्स और कोलेस्ट्रॉल एस्टर को कम करती है।

घी के जरिए मरीजों के सोरायसिस के लक्षणों में भी महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिले हैं।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि MAK-4, घी युक्त एक हर्बल मिश्रण हाइपरलिपिडेमिक रोगियों में ऑक्सीकरण के लिए एलडीएल रजिटेंस को बढ़ाता है। साथ ही इन मरीजों में घी के सेवन से सीरम कुल कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल, एलडीएल या ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

घी युक्त अन्य मिश्रणों ने हेपेटोप्रोटेक्टिव प्रभाव, एंटीकॉन्वेलसेंट गतिविधि, याददाश्त बढ़ाने पर प्रभाव और घाव भरने में सहायता मिलती है।





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