
आंखों के सामने तैरती हुई लकीरें दिखाई देना आम है। इन्हें फ्लोटर्स कहा जाता है। हालांकि ये समस्या इतनी गंभीर नहीं है, लेकिन लक्षण और कारणों के बारे में पता होना जरूरी है, ताकि समय पर इलाज किया जा सके।

आपने कई बार नोटिस किया होगा कि आखों के सामने कुछ तैरता हुआ नजर आता है। आंखों के सामने तैरती हुई लकीरों को फ्लोटर्स कहते हैं। फ्लोटर्स की समस्या आमतौर पर बढ़ती उम्र में होती है। लेकिन आजकल पढ़ने-लिखने और देर तक कंप्यूटर पर काम करने वालों को भी फ्लोटर्स ज्यादा परेशान करने लगे हैं। वैसे तो फ्लोटर्स के लिए किसी इलाज की जरूरत नहीं होती, लेकिन आंखों में अचानक आ जाने से व्यक्ति कुछ देर के लिए परेशान हो जाता है।
वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.ए.के रोहातगी कहते हैं कि फ्लोटर्स अक्सर काले, भूरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई दे सकते हैं। अगर ये सिंपल फ्लोटर्स हैं, तो इग्रोर करें, लेकिन अचानक से फ्लोटर्स की संख्या बढ़ जाए, तो रेटिना टेस्ट कराना चाहिए। बता देंकि फ्लोटर्स में दवाइयां कुछ खास कमाल नहीं दिखातीं। इसलिए आमतौर पर एंटीइंफ्लेमेट्री आईड्रॉप का इस्तेमाल किया जाता है। तो चलिए यहां हम आपको बताते हैं कि फ्लोटर्स क्या हैं, क्यों बनते हैं और इसके घरेलू उपाय।
क्या है फ्लोटर्स

फ्लोटर्स आंखों के अंदर घूमते हुए छोटे धब्बों की तरह दिखते हैं। जब व्यक्ति की उम्र बढ़ती है या ज्यादा देर टीवी, कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन के सामने देर तक बैठा रहे, तो आंखों के पीछे एक विट्रस जैल के रूप में स्थिर होता है जो घुलकर द्रव रूप में फैलने लगता है। जैल के जो तत्व ठीक तरह से घुल नहीं पाते, वो छोटे-छोटे फ्लोटर्स बनकर हमारी आंखों के सामने तैरने लगते हैं।
ये फ्लोटर्स पतले रेशे की तरह या फिर मकड़ी के जाले के आकार के भी हो सकते हैं। ये फ्लोटर्स जब तैरते हुए रेटिना एरिया में आ जाते हैं, जो आंखें खोलने और देखने में मुश्किल होती है। बच्चों में होने वाले फ्लोटर्स इतने गंभीर नहीं होते। इन्हें नजरअंदाज किया जा सकता है। लेकिन जिन बच्चों को हाईमायोपिया होता है, उन्हें हर 6 या 8 महीने में रेटिना का चेकअप कराना चाहिए।
आंखों के फ्लोटर्स के लक्षण

नजर के सामने काले धब्बे आना
नजरों के सामने धब्बे हिलते हुए दिखना
सफेद कागज पर कुछ लिखा हुआ पढ़ रहे हों या आसमान की तरफ देख रहे हैं,तो ये इरिटेट करते हैं।
फ्लोटर्स के कारण

उम्र बढ़ना
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, जैली जैसा पदार्थ आईबॉल में भर जाता है। आंशिक रूप से यह जैल द्रव रूप में फैलता है । जैसे -जैसे जैल विट्रस सिकुड़ता है, यह चिपक जाता है और कठोर हो जाता है। यह मलबा आंखों से गुजरने वाले कुछ प्रकाश को अवरूद्ध कर देता है, जिससे रेटिना पर छोटी-छोटी परछाइयां पड़ती हैं, जिन्हें प्लोटर्स कहते हैं।
आंख से खून बहना

विट्रिस में ब्लीडिंग होने के कई कारण हो सकते हैं। जिनमें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ब्लॉक्ड ब्लड वेसल्स और चोट शामिल है।
आंख की सर्जरी

कुछ दवाएं जो विट्रिस में इंजेक्ट की जाती हैं, ये हवा के बुलबुले बनने का कारण बन सकती हें। ये बुलबुले तब तक परछाई के रूप में दिखते हैं, जब तक की आपकी आंख इन्हें अवशेाषित न कर ले।
आई फ्लोटर्स को कम करने के उपाय

आई फ्लोटर्स से राहत पाने के लिए लंबे वक्त तक काम करने के बीच आंखों को आराम दें। कुछ देर के लिए आंखें बंद करें, इससे आंखों की मांसपेशियां रिलेक्स हो जाएंगी।
आंखों को बंद करके इन पर गर्म पानी का सेक करें। ऐसा करने से तनाव दूर होगा और आई फ्लोटर्स से निजात मिलेगी।
आंखों की एक्सरसाइज करें

आंखों की एक्सरसाइज फ्लोटर्स से छुटकारा पाने का बेहतरीन विकल्प है। अपनी आंखों को गोलाकार मुद्रा में घुमाएं। पहले क्लॉसवाइस और फिर दोनों आंखों को एंटी क्लॉक वाइस घुमाएं। दिन में कम से कम दस बार ऐसा करने से बहुत आराम मिलेगा।
फ्लोटर्स कुछ देर के लिए आपको इरिटेट कर सकते हैं, लेकिन अक्सर ये अपने आप साफ हो जाते हैं। यदि कोई फ्लोटर्स आपकी दृष्टि को खराब करने लगे, तो इसके लिए डॉक्टर के पास जाएं। अपनी आंखों को नुकसान से बचाने के लिए विकल्पों और जोखिम के बारे में डॉक्टर से बात करें।
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