कई तरह के Supplement ब्लड शुगर को कम करने में प्रभावी साबित हुए हैं। यह प्री-डायबिटीज या मधुमेह के लक्षणों के विकास के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकते हैं।
यदि आपको हाइपरग्लेसीमिया है, तो इसका मतलब है कि आपका ब्लड शुगर बहुत ज्यादा है। अक्सर मधुमेह वाले लोगों का ग्लूकोज लेवल हाई रहता है। ऐसा शरीर द्वारा पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन न करने के कारण होता है।
वैसे तो अपने आहार को बदलने या व्यायाम करने से ब्लड शुगर को प्रबंधित करने में मदद मिल जाती है, लेकिन कई सप्लीमेंट भी ब्लड शुगर को कम करने में असरदार साबित हुए हैं। यहां हम आपको ऐसे सप्लीमेंट्स के बारे में बता रहे हैं, जिससे ब्लड शुगर लेवल को कम करना आसान हो जाएगा।
एलोवेरा -
एलोवेरा ब्लड शुगर को कम करने के लिए बहुत अच्छा माना गया है। 2016 के 8
में पाया गया कि ऐलोवेरा से प्री डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज में लाइसेमिक कंट्रोल में सुधार होता है और ब्लड शुगर लेवल में भी कमी आती है।
एलोवेरा को कैसे उपयोग करें-
एलोवेरा को जूस के रूप में लेने से शुगर लेवल में कमी आती है। ध्यान रखें एलोवेरा का मौखिक रूप से सेवन करते समय केवल भीतरी पत्ती से बने उत्पादों का चुनाव करना अच्छा है।
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दालचीनी-
दालचीनी सप्लीमेंट के रूप में दालचीनी पाउडर या इसका अर्क लिया जा सकता है। 2020 के एक अध्ययन में पाया गया कि दालचीनी का दैनिक सेवन प्रीडायबिटीज वाले लोगों में ब्लड शुगर लेवल को काफी हद तक कंट्रोल कर सकता है।
दालचीनी का उपयोग कैसे करें-
एक अध्ययन के मुताबिक हर भोजन से पहले दिन में दो बार दालचीनी के अर्क की खुराक 250 मिली ग्राम लेनी चाहिए। दालचीनी को अपने आहार में शामिल करने का सबसे आसान तरीका है कि इसे दलिया और अनाज पर छिड़कें। हर दिन लगभग आधा चम्मच का उपयोग करने से बहुत फायदा होगा।
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विटामिन डी-
हड्डियों को लंबे समय तक मजबूत बनाए रखने के लिए विटामिन डी का सेवन बहुत जरूरी है। शरीर में इसकी कमी के चलते टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को बढ़ने में देर नहीं लगती। 2019 के एक अध्ययन में पाया गया है कि विटामिन-डी में इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार के साथ ग्लूकोज लेवल को कम करने की अच्छी खासी क्षमता है।
विटामिन-डी का उपयोग कैसे करें-
विशेषज्ञ कहते हैं कि विटामिन-डी की कमी को पूरा करने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। ज्यादा मात्रा में इसे लेने से हाइपरग्लाइसीमिया का खतरा बढ़ सकता है।
मैग्नीशियम-
यह एक मिनरल है, जो ब्लड प्रेशर, मांसपेशियों के कार्य, ब्लड शुगर लेवल को विनियमित करने के लिए जरूरी है। 2019 की एक स्टडी में पता चला है कि मौखिक मैग्नीशियम की एक खुराक लेने से न केवल इंसुलिन के प्रतिरोध में कमी आई बल्कि टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में ग्लाइसेमिक रैगुलेशन में सुधार भी हुआ।
मैग्नीशियम का उपयोग कैसे करें-
विशेषज्ञ मानते हैं कि बेहतर अवशोषण के लिए हर दिन भोजन में मैग्नीशियम लेना चाहिए। ध्यान रखें ,मैग्नीशियम की हाई डोज पेट में ऐंठन, सूजन साथ ही दस्त का कारण बन सकती है।
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क्रोमियम-
क्रोमियम कुछ खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला ही एक मिनरल है जो दो रूपों में आता है । हेक्सावलेट और ट्रिवलेट। हालांकि आपको इसे हेक्सावलेट रूप से दूर रहना चाहिए। क्योंकि यह औद्योगिक कचरे और प्रदूषण में पाया जाता है। 2014 की एक समीक्षा में मधुमेह के रोगियों में ग्लाइसेमिक नियंत्रण पर क्रोमियम सप्लीमेंट के अच्छे प्रभाव देखे गए।
क्रोमियम का उपयोग कैसे करें-
आप ऐसे क्रोमियम सप्लीमेंट ले सकते हैं जो 200 mcg से 500 mcg मिनरल देते हैं। बता दें कि इंसुलिन को क्रोमियम के साथ लेने पर हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा बढ़ जाता है।
गुड़मार -
गुड़मार एक औषधीय पौधा है , जो मध्यभारत, दक्षिण भारत और श्रीलंका के क्षेत्रों में पाया जाता है। कई शोधों से पता चला है कि ये पौधा व्यक्ति में चीनी की क्रेविंग को कम करता है। 2017 में हुए एक अध्ययन में देखा गया कि 200-400 mg गुड़मार लेने से आंतों का शर्करा अवशोषण कम हो गया। इसके अलावा मधुमेह के लक्षणों में भी कमी देखी गई।
जिमनेमा यानी गुड़मार का उपयोग कैसे करें-
जिमनेमा को अर्क चाय या पाउडर के रूप में लेना चाहिए । आप चाहें, तो पौधे की पत्तियां भी चबा सकते हैं।
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बर्बेरीन -
अैर हाइपरलिपिडिमिया के उपचार में किया गया है। दिसंबर 2017 में हुई एक स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाले रोगियों में बर्बेरिन ब्लड शुगर और ब्लड लिपिड को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकता है।
बर्बेरीन का उपयोग कैसे करें-
तीन महीने तक 500 मिग्रा बर्बेरीन दिन में दो से तीन बार लेना ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने का प्रभावी तरीका है। लेकिन कुछ लोगों में यह सप्लीमेंट दस्त, ऐंठन और कब्ज का कारण बन जाता है।
ये सभी सप्लीमेंट्स ब्लड शुगर को कम करने में कारगार साबित हुए हैं। लेकिन ध्यान रखें कि डायबिटीज की दवाओं के साथ इन्हें रिप्लेस नहीं किया जा सकता। इसलिए किसी भी नए सप्लीमेंट्स को लेने से पहले डॉक्टर से इस बारे में बातचीत करना बेहतर है।
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