कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित कर दिया गया है। जानकारों की मानें तो ब्लैक फंगस का मुख्य कारण स्टेरॉयड दवाएं हैं जिनके सेवन से लोगों में Mucormycosis के सिम्टम्स दिख रहे हैं। वहीं कुछ डॉक्टरों की मानें तो स्टेरॉयड और ब्लड थिनर सीरियस इंफेक्शन वाले मरीज के लिए लाइफ सेविंग का काम करती हैं।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Covid-19 Second wave) ने पहले ही लोगों का जीना हराम करके रखा है और इसके बाद अब एक महामारी ब्लैक फंगस (Black Fungus Mucormycosis) ने अपना कहर बरपा दिया है। जहां एक ओर कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि अधिक स्टेरॉयड लेने से ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं, तो वहीं कुछ डॉक्टरों की राय है कि स्टेरॉयड और ब्लड थिनर (Steroids and blood thinners) असल में वो दवाएं हैं जिनके माध्यम से गंभीर रूप से प्रभावित COVID रोगियों का जीवन बच रहा है।
मुंबई स्थित एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट प्रमुख कार्डियोवस्कुलर थोरैसिक सर्जन, वीसी और एमडी डॉक्टर रमाकांत पांडा कहते हैं कि कोविड संक्रमण मरीज के शरीर के विभिन्न हिस्सों में खून के थक्के (Blood clot formation) बनाता है। इसे रोकने के लिए COVID संक्रमण से पीड़ित रोगियों को एंटीकोआगुलंट्स (anticoagulants) लेने की आवश्यकता होती है। उन्होंने ब्लड थिनर मेडिकेशन देने की वजह बताने के साथ ये भी जानकारी दी है किसके लिए ये जरूरी हैं और किन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है...
(फोटो साभार: istock by getty images)
खतरनाक हो सकता है खुद का नुस्खा
डॉक्टर पांडा का कहना है कि एंटीकोआगुलंट्स की ड्यूरेशन कोविड के सीरियस सिम्टम्स और रोगियों की पहले से मौजूद चिकित्सा स्थितियों जैसे हृदय रोग, ब्रेन स्ट्रोक, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गुर्दे की बीमारी आदि पर निर्भर करता है। इसलिए रोगी को कोई भी दवा के सेवन से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
मरीज चाहे तो किसी विशेषज्ञ चिकित्सक जैसे संक्रामक रोग विशेषज्ञ या पल्मोनोलॉजिस्ट या चिकित्सा विशेषज्ञ आदि के प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर ही दवाओं का सेवन करे, न कि खुद से एंटीकोआगुलंट्स को लें।
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क्यों किया जाता है ब्लड थिनर दवाओं का प्रयोग
वहीं, ब्लड थिनर को लेकर बात करते हुए, फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अतुल लिमये का कहना है कि सही मायने में ब्लड थिनर एंटी-प्लेटलेट एजेंट होते हैं। उनकी भूमिका ब्लड सेल्स (एथेरोजेनिक पट्टिका) की खुरदरी सतह पर रक्त के थक्के (Blood clot formation) को रोकने में होती है।
यह दवा का व्यापक रूप से हृदय और
को दी जाती है। क्योंकि COVID-19 में थ्रोम्बो एम्बोलिज्म फेनोमेना (खून के थक्का जमना) बहुत अधिक होता है। ये समस्या उनके लिए बहुत खतरनाक होती है जो पहले से हार्ट अटैक, पैरालिटिक अटैक/ स्ट्रोक आदि बीमारियों के शिकार होते हैं। इसलिए इनसे बचने के लिए हम ब्लड थिनर दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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Self-prescription पर डॉ. की चेतावनी
डॉ. लिमये लोगों को खुद से अपनाए गए नुस्खों (self-prescription) के खिलाफ की चेतावनी देते हैं, क्योंकि ऐसा करना उनके लिए खतरनाक हो सकता है। उनका कहना है कि COVID19 में हम एंटी-प्लेटलेट और एंटी-क्लोटिंग एजेंटों के संयोजन का उपयोग कर रहे हैं लेकिन यह एक स्पेसिफिक ड्यूरेशन है जो डी-डिमर और फाइब्रिनोजेन जैसी रक्त रिपोर्ट पर निर्भर करती है।
बहुत से लोगों के क्लॉटिंग मैकेनिज्म में कुछ असामान्यताएं होती हैं, और इस बात पर ध्यान दिए बिना कि अगर वे खुद से ही इन दवाओं का सेवन करते हैं तो वे किसी समय ब्लीडिंग फंक्शन का शिकार हो सकते हैं।
ब्लड थिनर की जरूरत किसे है?
डॉ पांडा के अनुसार, जो लोग पहले से मौजूद चिकित्सा स्थितियों जैसे कि हृदय रोग, हृदय वाल्व रोग या स्ट्रोक के लिए ब्लड थिनर पर हैं, उन्हें COVID उपचार के दौरान और COVID के बाद भी ब्लड थिनर लेना जारी रखना चाहिए। जिन लोगों में सूजन के निशान होते हैं जो उनके शरीर में खून के थक्के जम सकते हैं और ऐसे में उनके ब्लड को पतला करने के लिए थिनर देना जरूरी होता है।
हालांकि, यह एक डॉक्टर ही निर्धारित करेंगे, यह न कि की रोगी खुद से ही लेने लगे। वहीं अगर कोई मरीज सामान्य है और उसमें हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, गुर्दे की बीमारी आदि जैसी कोई बीमारी नहीं है तो उन्हें ब्लड थिनर की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, सटीक इलाज के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।
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