क्या आपके बाल भी बहुत अधिक झड़ने लगे हैं या धीरे-धीरे पूरी तरह गंजे होते जा रहे हैं? अगर हां, तो इसकी वजह स्ट्रेस यानी तनाव हो सकता है। रिसर्च से इस बात की पुष्टि हो गई है कि तनाव की वजह से ना केवल बाल झड़ने लगते हैं बल्कि आप पूरी तरह से गंजे भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे स्ट्रेस बालों के लिए है खतरनाक।
आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम आगे बढ़ने की चाह में एक ऐसी स्थिति में आ गए हैं, जहां ना तो खाने का कोई समय है और ना ही सोने का। इसके अलावा पिछड़ने का डर मन में हमेशा ही बना रहता है। यही सब कारण तनाव को जन्म देते हैं। एक लंबे समय से यह बहस जारी थी कि क्या तनाव की वजह से बाल झड़ते हैं? अब इस बात पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने मुहर लगा दी है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, तनाव की वजह से मॉलिक्यूल प्रभावित होते हैं, इसके कारण रेस्टिंग फेज में गड़बड़ी पैदा हो जाती है। जिसकी वजह से बाल ना केवल झड़ने लगते हैं, बल्कि उनकी जगह नए बालों की ग्रोथ भी नहीं होती। यानी अगर आपके बाल तनाव की वजह से झड़ रहे हैं तो आप जल्दी ही गंजे भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं इस रिसर्च के बारे में।
बालों की ग्रोथ और गिरने पर पेंच
बालों के झड़ने और स्किन से संबंधित समस्याओं को लेकर हर व्यक्ति के पास अपनी ही एक कहानी होती है। ऐसे में अब तक यह पूरी तरह पता नहीं चल पाया था कि क्या सच में
जिम्मेदार है भी या नहीं। इसी को लेकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने से जुड़ी जांच की। इस जांच में देखा गया कि त्वचा के जरिए इस समस्या को गहराई से समझा जा सकता है।
इसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि तनाव की वजह से स्टेम सेल को सक्रिय होने में ना केवल समय लगता है, बल्कि तनाव की वजह से यह अचानक बदलता भी है जिससे हेयर फॉलिकल प्रभावित होते हैं। ऐसे में
और गहराई से समझने के लिए चूहों पर यह रिसर्च की गई है।
बालों के गिरने की मुख्य वजह
दशकों से बाल झड़ने की बहस को सही दिशा देने के लिए शोधकर्ताओं ने एड्रेनल ग्लैंड को लेकर एक प्रयोग किया। ज्ञात हो कि एड्रेनल ग्लैंड के जरिए ही स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिकॉस्टरॉन निकलता है। इसी के कारण बाल भी तेजी से झड़ते हैं। ऐसे में इसे और गहनता से समझने के लिए चूहों का सहारा लिया गया।
इस प्रयोग में चूहों की सर्जरी कर एड्रेनल ग्लैंड को ही निकाल दिया गया। इसके बाद देखा गया कि चूहों में रेस्टिंग फेज काफी कम समय के लिए आता है और फिर बालों की ग्रोथ होने लगती है। लेकिन जब इन्हीं चूहों को कॉर्टिकॉस्टरॉन की कुछ डोज दी गईं, तो इससे इनके बालों के बढ़ने की रफ्तार में कमी आई।
दूसरा प्रयोग और परिणाम
बाल झड़ने में स्ट्रेस की क्या भूमिका होती है? इसके सटीक परिणाम हासिल करने के लिए दूसरा प्रयोग किया। इस प्रयोग में कुछ स्वस्थ चूहों को नौ सप्ताह के लिए रखा गया और इन्हें कॉर्टिकॉस्टरॉन के डोज दिए गए। यह डोज देने के बाद देखा गया कि इन चूहों के रेस्टिंग फेज काफी लंबे होने लगे। वहीं, इस दौरान बालों की ग्रोथ पूरी तरह रुक गई।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि बालों के फॉलिकल के नीचे एक तरह के डर्मल पैपलिया सेल भी होता है, जिससे स्ट्रेस हार्मोन चिपकने लगता है। इसी के कारण
पूरी तरह रुक जाती है। जिसकी वजह से फॉलिकल रेस्टिंग फेज में अधिक समय तक रह नहीं पाता और बाल झड़ने लगते हैं।
बालों की ग्रोथ का गणित
अब अगर आप आसान शब्दों में बालों की ग्रोथ का गणित समझना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि हेयर फॉलिकल का पूरा चक्र हिस्सों में बंटा होता है। इसके पहले हिस्से में बाल लगातार आते रहते हैं। दूसरे हिस्से में रेस्टिंग फेज होता है, इस दौरान बाल गिरने से पहले इसी स्थिति में बने रहते हैं और इस चरण में बाल नहीं उगते। इसके बाद आता है आखिरी हिस्सा, इसमें बाल गिरने से पहले उनके नीचे फॉलिकल सिकुड़ने लगते हैं।
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