इंपोटेंसी यानी नपुंसकता की स्थिति में दी जाने वाली दवा वियाग्रा पुरुषों में हार्ट अटैक के खतरे को कम कर सकती है। स्वीडन में हुए एक शोध से पता चला है कि वियाग्रा हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकती है, जिससे पुरुष लंबा जीवन जी सकते हैं।
इंपोटेंसी (नपुंसकता) से जूझ रहे लोगों के लिए वियाग्रा एक वरदान है। नए अध्ययन से पता चला है कि जो पुरुष इंपोटेंसी के कारण वियाग्रा लेते हैं, न केवल लंबे समय तक जीवित रहते हैं, बल्कि उनमें दोबारा हार्ट अटैक आने का खतरा भी कम हो जाता है। स्वीडन में कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में हुई यह रिसर्च अमेरिकन कॉलेज ऑफ कॉडियोलॉजी के जर्नल में पब्लिश हुई है। ये उन पुरुषों के लिए अच्छी खबर है, जो कोरोनरी आर्टरी डिजीज के मरीज हैं और इंपोंटसी की समस्या में वियाग्रा लेते हैं।
कोरोनरी आर्टरी की समस्या ब्लॉकेज को दर्शाती है। धमनी के भीतर प्लाक जमने से ऐसा होता है। धमनियों के संकुचित हो जाने के कारण दिल के कुछ हिस्सों में रक्त का प्रवाह धीमा या फिर रुक-रुक कर होता है। एक कोरोनरी धमनी का अचानक से ब्लॉक हो जाना दिल की मांसपेशियों के लिए खतरनाक है। इस वजह से सीने में दर्द और हार्ट अटैक भी हो सकता है। तो चलिए जानते हैं इंपोटेंसी कैसे हृदय रोग के मरीजों की उम्र बढ़ा सकता है।
(फोटो साभार: istock by getty images)
इंपोटेंसी हार्ट डिसीज का संकेत है
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार यदि किसी पुरूष को इंपोंटसी (इरेक्टिकल डिस्फंक्शन ) की समस्या हो, तो यह कोरोनरी आर्टरी डिसीज का शुरूआती संकेत हो सकता है। इस स्थिति में अक्सर पीडीई 5 इनहेबिटर दवाएं दी जाती हैं, जो मार्केट में वियाग्रा के नाम से बेची जाती हैं।
ये दवाएं रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए एंजाइम को रोकने का काम करती हैं। आपको बता दें कि अल्पोस्ट्रिल एक उपचार है, जिसे स्थानीय रूप से लिंग में इंजेक्ट किया जाता है। यह दवा ब्लड वेसल्स को पतला करती है, जिससे लिंग सख्त हो जाता है।
ज्यादा खुराक, कम जोखिम
इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने देखा कि पीडीई 5 लेने वाले पुरुष न केवल लंबे समय तक जीवित रहे, बल्कि अल्पोस्ट्रिल प्राप्त करने वाले रोगियों की तुलना में उनमें हार्ट अटैक , हार्ट फेलियर, बैलून डाइलेशन, बायपास सर्जरी का जोखिम कम हो गया था। अध्ययन कहता है कि यह स्थिति पूरी तरह से खुराक पर निर्भर थी। इसका मतलब ये है कि पीडीई5 की खुराक ज्यादा लेने से जोखिमों में कमी आई।
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इंपोटेंसी में वियाग्रा का हार्ट के मरीजों पर असर-
इस शोध में रिसर्चर्स ने यह पता लगाया कि नपुंसकता के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा वियाग्रा का हार्ट के मरीजों पर क्या असर पड़ता है। इंपोटेंसी का इलाज कराने से 6 महीने पहले प्रतिभागी बाइपास सर्जरी, बैलून डाइलेशन, हार्ट अटैक का अनुभव कर चुके थे। डॉक्टर्स की मानें, तो
इलाज के शुरुआती 6 महीनों में दोबारा अटैक आने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
रिसर्च में पाया गया कि जिन पुरुषों को पीडीई5 इनहिबिटर्स दिए गए , उनमें बायपास सर्जरी, बलून डाइलेशन का खतरा काफी कम हो गया था। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि वियाग्रा जैसी दवा हार्ट के मरीजों में ब्लड प्रेशर कम कर देती है। बता दें कि ब्लड प्रेशर हार्ट डिजीज के लिए मजबूत जोखिम कारक है। बढ़े हुए ब्लड प्रेशर से व्यक्ति को हार्ट अटैक भी आ सकता है
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