कोरोना वायरस की दूसरी लहर और उसके नए स्ट्रेन ने आम लोगों से लेकर डॉक्टरों तक की चिंता बढ़ा दी है। लेकिन इस वायरस से अगर किसी को सबसे अधिक खतरा है तो वह है महिलाएं। आइए जानते हैं कौन सी महिलाओं को कोरोना से बचने की अधिक आवश्यकता है।
साल 2019 के अंत से शुरू हुई कोरोना महामारी अब तक लाखों लोगों को मौत की नींद सुला चुकी है। इस वायरस की चपेट में अब तक करोड़ो लोग आ चुके हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने इस वायरस से बचने के लिए कुछ वैक्सीन तैयार भी की थी। लेकिन अब इस वायरस का नया स्ट्रेन आ गया है। जिस पर वैक्सीन कितनी कारगर है यह कहना भी मुश्किल है। कोरोना के इस नए स्ट्रेन से बुजुर्ग, बच्चे एवं युवा सभी को खतरा है। ऐसे में उन लोगों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, या फिर जो किडनी या हृदय संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं। पर सबसे ज्यादा खतरा अगर इस स्ट्रेन से किसी को है तो वह महिलाएं हैं।
हाल ही में बर्मिंघम विश्वविद्यालयएक (University of Birmingham) के नेतृत्व में हुई एक रिसर्च में बताया गया कि कोरोना से उन महिलाओं को अधिक खतरा है जिन्हे पीसीओएस (Polycystic ovary syndrome) की समस्या पहले से है। आपको बता दें कि यह महिलाओं में होने वाली हार्मोन से जुड़ी समस्या है। सामान्य महिलाओं के मुकाबले इस समस्या से जूझने वाली महिलाओं के कोरोना की चपेट में आने के 50 प्रतिशत से अधिक चांस है। (फोटो साभार: istock by getty images)
क्या है पीसीओएस
एक हार्मोन से जुड़ी समस्या है। पीसीओएस प्रजनन की उम्र में बहुत सी महिलाओं को होती है। इसमें महिला की ओवरी के अंदर गांठ या सिस्ट बन जाती है। यह पीरियड और गर्भावस्था में भी परेशानी उत्पन्न कर सकती है। पीसीओएस के कुछ लक्षण भी हैं जैसे कि मोटापा बढ़ना, बालों का झड़ना, पीरियड्स का समय पर ना होना, और पिंपल्स आदि।
बीते कुछ समय से पीसीओएस की समस्या महिलाओं में बहुत तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट से पता चलता है कि हर 5 में से एक महिला इस समस्या का शिकार हो चुकी है। भारत में यह समस्या बहुत सी महिलाओं में देखने को मिलती है।
ऐसी महिलाओं को 51% तक बढ़ जाते हैं कोरोना होने के चांस
कोरोना वायरस की गंभीरता से तो हम सभी परिचित हैं। इस वायरस की वजह से दुनिया भर में लोग अपने घरों में ही कैद रहने के लिए मजबूर हो गए थे। वही पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को लेकर हुई रिसर्च ने तो महिलाओं को और भी ज्यादा डरा दिया है। इस रिसर्च के अंदर 21,292 ऐसी महिलाओं को लिया गया जिन्हे पीसीओएस की समस्या है। वही 78,310 ऐसी महिलाओं को लिया गया जिन्हे पीसीओएस नहीं था। यह रिसर्च 6 महीने तक चली और इसमें पाया गया कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के कोरोना पॉजिटिव होने के 51 प्रतिशत तक अधिक चांस होते हैं।
क्यों हैं ऐसी महिलाओं को बड़ा खतरा
यूं तो कोरोना सभी के लिए एक खतरनाक बीमारी है और कोई भी इसकी चपेट में आ सकता है। लेकिन पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं अगर इस वायरस के संपर्क में आती हैं तो इसके चांस 50 प्रतिशत से भी अधिक है कि वह कोरोना पॉजिटिव हो जाएंगी। वहीं अगर अन्य रिसर्च की माने तो वह बताती हैं कि
, नॉन फैटी लीवर एसिड, और
से जूझ रहे व्यक्ति को यह वायरस अपनी गिरफ्त में ले सकता है। इसके 26 प्रतिशत चांस हैं। जबकि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में यह आंकड़े 50 प्रतिशत तक हैं।
PCOS के साथ यह समस्या भी होती हैं पैदा
पीसीओएस की समस्या से जूझने वाली महिला के लिए कोरोना पॉजिटिव होने के अनुमान इसलिए भी अधिक हैं। क्योंकि इस समस्या के कारण टाइप 2 डायबिटीज, लीवर से जुड़ी समस्या, और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी शरीर में पैदा हो सकती है। यह सभी समस्याएं आपके मेटाबॉलिज्म को भी प्रभावित करती हैं।
अधिक सावधानी और बचाव जरूरी
पीसीओएस पर हुई रिसर्च को लेकर विशेषज्ञों ने यह साफ कर दिया है कि इस समस्या से पीड़ित महिलाओं को कोरोना होने के चांस अधिक हैं। लेकिन अभी यह कहना बहुत मुश्किल है कि यह स्थिति संक्रमण की स्थिति को प्रभावित करती है या नहीं। आपको बता दें कि पीसीओएस की स्थिति और कोविड 19 को लेकर अब भी कई ठोस रिसर्च की जरूरत हैं। हालांकि महिलाओं को इस रिसर्च की भी गंभीरता को समझना चाहिए। एवं कोविड से बचे रहने के लिए खुद का ख्याल भी रखना चाहिए और जरूर कदम भी उठाने चाहिए।
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