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Tuesday, February 23, 2021

Diabetes से ज्‍यादा खतरनाक 'प्रीडायबिटीज', शरीर पर दिखने लगते हैं ऐसे लक्षण

प्रीडायबिटीज एक ऐसा टर्म है, जो उस स्थिति को दिया गया है जब आपकी बॉडी डायबिटीज के तरफ सिग्नल दिखाने लगती है। सीधे सरल शब्दों में कहें, तो डायबिटीज के ठीक पहले के स्टेज को प्रीडायबिटीज कहा जाता है। इसके बारे में ज्यादा कुछ लोगों को पता नहीं है और यही चिंता का विषय है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह डायबिटीज से कहीं अधिक जोखिम भरा है।नई दिल्ली स्थित दिल्ली डायबिटीज रिसर्च सेंटर के डायबिटोलॉजिस्ट और चेयरमैन डॉ ए के झिंगन कहते हैं, 'नॉर्मल शुगर अगर फास्ट में 126 और खाने के बाद 180 आए तो सब कुछ ठीक है। लेकिन यदि फास्टिंग में 124 और खाने के बाद 175- 179 तक आए तो इसे प्रीडायबिटीज कहा जाता है। अमूमन लोग ऐसे मामलों में लैब को गलत और दोषी करार देते हैं लेकिन वे यह नहीं समझते कि उन्हें प्रीडायबिटीज है। इसे इमपेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज कहते हैं।'

जब आपका ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल से थोड़ा ही अधिक रहता है, लेकिन इतना भी नहीं कि इसे डायबिटीज कहा जाए। इस टर्मिनोलॉजी को प्रीडायबिटीज कहा जाता है।


Diabetes से ज्‍यादा खतरनाक होता है 'प्रीडायबिटीज', महिलाओं और पुरुषों के शरीर पर दिखने लगते हैं ऐसे लक्षण

प्रीडायबिटीज एक ऐसा टर्म है, जो उस स्थिति को दिया गया है जब आपकी बॉडी डायबिटीज के तरफ सिग्नल दिखाने लगती है। सीधे सरल शब्दों में कहें, तो डायबिटीज के ठीक पहले के स्टेज को प्रीडायबिटीज कहा जाता है। इसके बारे में ज्यादा कुछ लोगों को पता नहीं है और यही चिंता का विषय है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह डायबिटीज से कहीं अधिक जोखिम भरा है।

नई दिल्ली स्थित दिल्ली डायबिटीज रिसर्च सेंटर के डायबिटोलॉजिस्ट और चेयरमैन डॉ ए के झिंगन कहते हैं, 'नॉर्मल शुगर अगर फास्ट में 126 और खाने के बाद 180 आए तो सब कुछ ठीक है। लेकिन यदि फास्टिंग में 124 और खाने के बाद 175- 179 तक आए तो इसे प्रीडायबिटीज कहा जाता है। अमूमन लोग ऐसे मामलों में लैब को गलत और दोषी करार देते हैं लेकिन वे यह नहीं समझते कि उन्हें प्रीडायबिटीज है। इसे इमपेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज कहते हैं।'



किसे कहते हैं प्रीडायबिटीज
किसे कहते हैं प्रीडायबिटीज

जब आपका

ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल

से थोड़ा ही अधिक रहता है लेकिन इतना भी नहीं कि इसे डायबिटीज कहा जाए। इस टर्मिनोलॉजी को प्रीडायबिटीज कहा जाता है। डॉ. ए के झिंगन आगे बताते हैं, 'प्रीडायबिटीज हमें इशारा करती है कि हमें अपनी लाइफस्टाइल में तुरंत बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि हमें टाइप – 2 डायबिटीज न हो जाए। HBA1C टेस्ट में यदि आपका शुगर 4 से 5.7 के बीच आया तो यह नॉर्मल है। लेकिन यदि यह 5.7 से 6.4 के बीच आया तो यह प्रीडायबिटीज है।

ये डायबिटीज से ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इसमें किडनी, ह्रदय, मसल्स को ज्यादा नुकसान पहुंचता है। जिनकी लाइफ इसी फेज में 7-8 साल निकल गई, उनके अंग अधिक डैमेज हो जाते हैं। चौंकाने वाले आंकड़े तो यहां तक कहते हैं कि हर साल 10% लोग डायबिटिक में बदल जाते हैं और यह स्थिति बहुत खतरनाक है। अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया तो एक समय ऐसा आएगा जब डायबिटिक लोगों की तादाद आम लोगों से ज्यादा होगी।'

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प्रीडायबिटीज के लक्षण
प्रीडायबिटीज के लक्षण

डायबिटीज एक क्रॉनिक कंडीशन है, जो यदि आपको हो जाए तो इससे छुटकारा पाने में पूरी उम्र गुजर जाती है। डायबिटीक होने का मतलब सिर्फ चीनी और मीठे भोजन का सेवन बंद करना ही नहीं है, बल्कि यह आपको कई हेल्थ प्रॉब्लम्स की ओर भी ले जाता है। आपके प्रीडायबिटीक होने का जोखिम तब रहता है, जब आपको निम्न दिक्कतें शुरू हो जाती हैं:

बार- बार पेशाब लगना।

हाई ब्लड प्रेशर भी जोखिम भरा है।

बिना काम किए बहुत अधिक थकान लगना।

अचानक से वजन बढ़ जाता है। बकौल डॉ. ए के झिंगन, 'खासकर पेट के आस- पास फैटी टिश्यू ज्यादा दिखने लगता है। महिलाओं के कमर का साइज 35 इंच और पुरुषों का 40 इंच से ज्यादा होना खतरनाक है।'

भूख का बढ़ जाना भी प्रीडायबिटीक होने का एक सिग्नल है।

बहुत प्यास लगना, पानी पीते रहने पर भी ऐसा महसूस होना कि प्यास बुझ ही नहीं रही है।

महिलाओं में पीसीओडी होता है तो पीरियड्स इररेग्युलर हो जाता है। यह भी प्रीडायबिटीज होने का एक लक्षण हो सकता है।

अगर आपको अचानक दिखने में दिक्कत होने लगी है। आप आंखों के डॉक्टर के पास जाते हैं। यह प्रीडायबिटीक होने का भी एक कारण हो सकता है।

अधिक कोलेस्ट्रॉल न सिर्फ ह्रदय पर वार करता है, बल्कि प्रीडायबिटीक का भी एक कारण हो सकता है।

यदि आपको ये लक्षण दिखाई देने लगें तो जरूरी है कि आप ब्लड शुगर टेस्ट करवा लें। ब्लड शुगर टेस्ट बताता है कि आपकी ब्लड ग्लूकोज लेवल नॉर्मल से ज्यादा है या नहीं।

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प्रीडायबिटीज का कारण
प्रीडायबिटीज का कारण

इंसानी शरीर के लिए इंसुलिन हॉर्मोन

एक जरूरी हॉर्मोन है। जब यह हमारी बॉडी में असंतुलित रहता है तो यह डायबिटीज का कारण बन जाता है। इंसुलिन रेसिस्टेंस तब होता है जब बॉडी इंसुलिन का निर्माण नहीं करती है या इसका उपयोग नहीं करती है। इन दोनों मामलों में, बढ़ा हुआ ग्लूकोज लेवल बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल का कारण बनता है, जो प्रीडायबिटीज की तरफ ले जाता है। अंततः व्यक्ति को डायबिटीज हो जाता है।

प्रीडायबिटीज के रिस्क फैक्टर



अधिक वजन
अधिक वजन

जिन लोगों का वजन सामन्य से ज्यादा रहता है या जो लोग मोटे होते हैं, उन्हें प्रीडायबिटीज होने का खतरा लगातार बना रहता है। जिनके पेट के पास अतिरिक्त फैट रहता है, उन्हें डायबिटीज होने का खतरा रहता है। फैट सेल्स इंसुलिन रेसिस्टेंस को ट्रिगर करते हैं और फिर लंबे समय तक रहने वाला मोटापा डायबिटीज का कारण बनता है।

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फिजिकल एक्टिविटी का न होना
फिजिकल एक्टिविटी का न होना

अधिकतर मोटे या अधिक वजन वाले लोग इनएक्टिव होते हैं। ये कोई

फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते

हैं। या यूं कहें कि इनएक्टिव लोग मोटे या अधिक वजन वाले होते हैं। इन दोनों मामलों में, ऐसे लोगों को प्रीडायबिटीज होने का खतरा बना रहता है।



पारिवारिक इतिहास
पारिवारिक इतिहास

कई मामलों में देखा गया है कि यदि आपकी फैमिली में किसी को पहले से डायबिटीज है तो आपको भी डायबिटीज होने का खतरा रहता है। इसे हेरेडिट्री ट्रांसमिशन कहते हैं और यह बहुत आम है।



जेस्टेशनल डायबिटीज
जेस्टेशनल डायबिटीज

डॉ. ए के झिंगन कहते हैं, 'प्रेगनेंसी के दौरान जिन महिलाओं को डायबिटीज हो जाती है, उन्हें भी अपनी लाइफ में बाद में प्रीडायबिटीज हो सकती है। उनके लिए जरूरी है कि वे हेल्दी लाइफस्टाइल जिएं ताकि इस जोखिम से दूर रह सकें।'



इसे रोकने का तरीका
इसे रोकने का तरीका

यदि आपका प्रीडायबिटीज शुरूआती लेवल पर है तो आप इसे टाइप - 2 डायबिटीज में बदलने से रोक सकते हैं। बल्कि इसे रिवर्स कर सकते हैं। डॉ. ए के झिंगन के अनुसार, '

टाइप - 2 डायबिटीज

में बदलते ही यह आपकी किडनी, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर पर असर डाल सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप सही समय पर सही कदम उठाएं। अपने डाइट को कंट्रोल करें। फास्ट/ जंक फूड का सेवन बिल्कुल बंद कर दें।

हेल्दी खाना खाएं। एरोबिक्स या कोई अन्य

फिजिकल एक्टिविटी रोजाना कम से कम 30 मिनट

के लिए करें। एक बार आपका वेट कट्रोल और कोलेस्ट्रॉल लेवल में आ गया, तो आपके लिए प्रीडायबिटीज को रिवर्स करना मुश्किल नहीं है।'





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