पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं को मां बनने में बहुत मुश्किल होती है। इससे आसानी से तो राहत नहीं मिलती, लेकिन ओमेगा-3, एन-एसिटल सिस्टिन और क्रोमियम जैसे सप्लीमेंट्स इस समस्या को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
पीसीओएस यानि पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में होने वाला सामान्य हार्मोनल विकार है। इस बीमारी में हार्मोन असंतुलन के कारण ओवरी में छोटी-छोटी गांठ बन जाती हैं। इन सिस्ट से महिलाओं की प्रेग्नेंसी और पीरियड्स ही डिस्टर्ब नहीं होते, बल्कि वे शारीरिक और मानसिक रूप से भी कमजोर हो जाती हैं।
ज्यादातर ये विकार प्रजनन आयु की महिलाओं में देखा जाता है। यह बीमारी महिला के अंडाशय को प्रभावित करने के अलावा प्रोजेस्टेरोन व एस्ट्रोजन का उत्पादन करने वाले प्रजनन अंगों को प्रभावित करती है। ये दोनों हार्मोन्स मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करते हैं, जिससे महिलाओं को मां बनने में दिक्कत आती है। चेहरे व शरीर पर अनचाहे बाल, गंजापन, वजन बढऩा, इरैगुलर पीरियड इस स्थिति के कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो महिलाओं के जीवन को और भी कठिन बना देते हैं। सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट पूजा माखिजा के अनुसार भारत में 5 में से 1 महिला इस समस्या से ग्रसित है।
मुंबई बेस्ड न्यूट्रिशनिस्ट का कहना है कि स्वस्थ पोषण इस समस्या का एकमात्र इलाज है। व्यायाम, संतुलित आहार और कई तरह के पूरक इस विकार को कम करने में मदद कर सकते हैं। दवाएं तो अपना काम करती ही हैं, अगर पीसीओएस से राहत देने वाले सप्लीमेंट्स ईमानदारी से ले लिए जाएं, तो ये दवाओं से ज्यादा अच्छा असर दिखाते हैं। इस लेख में हम आपको ऐसे असरदार 4 सप्लीमेंट्स के बारे में बताएंगे, जो पीसीओएस से राहत दिलाने में फायदेमंद हैं।
इनोसिटोल
इनामायोसिटोल या विटामिन बी-8- इनोसिटोल पीसीओएस से लडऩे के लिए सबसे अच्छे पूरक में से एक है। यह शरीर के इंसुलिन के उपयोग को कम करने, ब्लड शुगर को कम करने, अंडों की गुणवत्ता को बढ़ावा देने और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में सुविधाजनक है। कई पौधों के अलावा यह खट्टे-फल, बीन्स, ब्राउन राइस, मक्का, तिल के बीज और गेहूं की भुसी में पाया जाता है। पीसीओएस के मामले में ये विटामिन ओवेरियन फंक्शन में सुधार करने के साथ पीरियड्स को नियमित करने में मदद करते हैं। इससे महिलाओं के लिए गर्भधारण करना आसान हो जाता है।
ओमेगा- 3
ओमेगा -3 का नाम तो आपने कई बार सुना होगा, लेकिन पीसीओएस में इससे होने वाले फायदों के बारे में आपको शायद ही पता हो। ओमेगा-3 ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने और लेप्टिन में सुधार करते हुए वजन घटाता है। यह देखा गया है कि ओमेगा- 3 टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने में सहायक है। इसके सेवन से पीसीओएस वाली महिलाओं में इरेगुलर पीरियड्स की समस्या खत्म हो जाती है।
ओमेगा-3 आपको मछली के तेल, अलसी का तेल और अखरोट में पर्याप्त मात्रा में मिल जाएगा। कुछ शोध बताते हैं कि ओमेगा-3 की डोज पीसीओएस के साथ महिलाओं में एंड्रोजन लेवल में कमी ला सकती है।
क्रोमियम
पीसीओएस की समस्या को दूर करने के लिए क्रोमियम का चुनाव करना चाहिए। यह एक ऐसा मिनरल है, जो इंसुलिन और ब्लड शुगर लेवल को विनियमित करता है। कई शोधों की मानें तो दिन में क्रोमियम की 50 से 300 मिग्राम तक की खुराक प्रभावी रूप से ब्लड शुगर लेवल को कम करने और पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं में इंसुलिन से संबंधित समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है।
आपको बता दें, कि यह मिनरल कुछ ही खाद्य पदार्थेां जैसे ब्रोकोली, नट्स में मिलता है, लेकिन बहुत कम मात्रा में। इसलिए लोग इसका सप्लीमेंट लेने पर ही भरोसा करते हैं।
एन-एसिटल सिस्टिन
प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए इस एंटीऑक्सीडेंट के परिणाम प्रभावशाली है। इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने के लिए भी यह जाना जाता है। बीन्स, दाल, पालक, केले, सैल्मन और टूना जैसे पोषक तत्वों के रूप में इस सप्लीमेंट का सेवन कर सकते हैं।
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