एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की चपेट में आने वाले मरीज ज्यादा देर कर खड़े भी नहीं हो सकते हैं। इन रोगियों को फिजिकल वर्क करने में कठिनाई आती है।
एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस हड्डियों से संबंधित रोग है जिसमें मुख्य रूप से रीड और कूल्हे की हड्डियों में भारी दर्द महसूस होता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे आर्थराइटिस (गठिया) का ही एक प्रकार बताते हैं, जिसमें रीढ़ की हड्डी से लेकर गर्दन तक दर्द होता है। ये शिकायत टीनएजर से ही शुरू हो जाती है। इस दर्द की चुभन इतनी भयानक होती है कि एक अच्छा खासा युवक दुर्बल बन जाता है।
इस समस्या के चलते कई लोग न ठीक से बैठ पाते हैं और न ही अपने कार्यों को आसानी से कर पाते हैं। दर्द झेलने के कारण इस रोग का मरीज डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है। एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के कारण मनुष्य के शरीर में फ्लेक्सिबिलिटी खत्म हो जाती है। इस बीमारी में पीठ और गर्दन में हमेशा ही दर्द रहता है जिसके चलते पसलियां भी प्रभावित होती हैं। इस कारण कभी-कभी सांस लेने में भी कठिनाई होती है।
Ankylosing Spondylitis बीमारी के लक्षण
डॉक्टर के अनुसार, जीन, संक्रमण, पर्यावरणीय कारक आदि एक व्यक्ति को
एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस का शिकार बनाते हैं।
इसके लक्षण (symptoms) का पता तब लगता है जब आपको गर्दन के निचले हिस्से से लेकर पीठ के निचले तक दर्द महसूस होता है जिसके चलते आप इन अंगों का ठीक से मूवमेंट भी नहीं कर सकते हैं। लगातार रीढ़ की हड्डी, कमर में दर्द, गर्दन में अकड़न आने और कूल्हों में दर्द होन ने ज्यादा देर तक बैठने में परेशानी होती है। इस बीमारी में चपेट में आने वाले मरीज ज्यादा देर कर खड़े भी नहीं हो सकते हैं। इन रोगियों को फिजिकल वर्क करने में कठिनाई आती है।
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किन कारणों से होती है ये बीमारी
इस बीमारी का सामान्य पहलू एचएलए-बी27 नामक जीन की उपस्थिति है जो जन्म से मौजूद रहता है। हालांकि ये एक मेडिकल रीजन है, लेकिन इसके अलावा लाइफस्टाइल से भी कुछ ऐसे कारक भी हैं जो इस बीमारी का कारण बनते हैं। जैसे कि सोते समय शरीर का पॉश्चर ठीक नहीं होने से रीढ़ की हड्डी का अलाइनमेंट बिगड़ जाता है और दर्द को जन्म देता है। स्ट्रेस इंजरी, जोड़ों और टिशूज की सूजन, एक्सरसाइज न करना, ठीक से डाइट न लेना और मोटापा बढ़ जाना।
एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से बचाव के टिप्स
रुमेटोलॉजिस्ट से ले सलाह
एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के कारण देर रात को अधिक दर्द बढ़ता है। लंबे समय तक लेटने से दर्दनाक सूजन और अकड़न भी होती है। लिहाजा आपको एक अच्छी नींद लाने के लिए अपने रुमेटोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।
सोते समय रखें पॉश्चर्य का ध्यान
आप सोते समय खुद के पॉश्चर को कंट्रोल नहीं कर सकते इसलिए स्टिफ बेड यानी ऐसे बिस्तर का चुनाव करें जो थोड़ा कठोर हो। चूंकि इस बीमारी से पीड़ित लोगों में रात के समय दर्द अधिक देखा जाता है, इसलिए नींद के दौरान बेचैनी को कम करने के लिए अच्छे गद्दे का उपयोग करें।
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गुनगुने पानी से स्नान
इस बीमारी के मरीजों को डॉक्टर्स गुनगुने पानी में नहाने की सलाह देते हैं। गर्म पानी से एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के दर्द और जकड़न से छुटकारा मिलता है। नहाने के बाद स्ट्रेचिंग व्यायाम करें। इसके अलावा जिन हिस्सों में आपको दर्द है वहां गर्म और ठंडा सेंक लगाएं।
डाइट में शामिल करें ये पदार्थ
हल्दी तमाम रोगों के लिए गुणकारी है। इसके सेवन से आपकी कमर का दर्द भी कम होगा। एक ग्लास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं और रात को सोने से पहले इसे पीएं. सुबह आपको दर्द का अहसास नहीं होगा।
लहसुन
8 से 10 कलियों का पेस्ट बनाकर कमर पर लगाएं। इसके बाद गर्म पानी में एक तौलिया को डुबोएं और फिर निचोड़कर लहसुन पेस्ट पर 20-30 मिनट तक रखा रहने दें। इससे भी आपको राहत मिलेगी।
बंद करें धूम्रपान
चिकित्सकों के अनुसार, धूम्रपान करने वालों, विशेष रूप से पुरुषों में रीढ़ की हड्डी के नुकसान का खतरा अधिक होता है। बेहतर होगा आप जितना जल्द हो सके धूम्रपान को त्याग दें। स्मोकिंग के बंद करने से न सिर्फ एंकायलुजिंग स्पॉन्डिलाटिस से छुटकारा पाएंगे बल्कि ये आदत छोड़ने से आपका पूरी तरह से सेहतमंद रहेंगे।
अदरक
एक कप गर्म पानी में अदकर और शहद मिलाकर इसकी चुस्कियां लें। अदरक में जिंजरोल नाम का कंपाउंड होता है जिसमें सूजन और दर्द को कम करने की ताकत होती है।
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