पिछले दिनों आपने भी यह खबर जरूर पढ़ी और सुनी होगी कि एक बार कोरोना हो जाए तो इंसान का शरीर इस वायरस के लिए इम्यून हो जाता है और फिर यह वायरस उस व्यक्ति को अपनी चपेट में नहीं लेता है। क्योंकि व्यक्ति के शरीर में बनी इस बीमारी के वायरस को मारनेवाली इम्यून कोशिकाएं,शरीर के अंदर प्रवेश करते ही वायरस का खात्मा कर देती हैं। दरअसल इस खबर में कुछ भी झूठ नहीं है लेकिन ये सब बातें एक तय समय सीमा के अंदर ही सच साबित होती हैं। यहां जानें क्यों कोरोना वायरस लोगों को फिर से अपनी चपेट में ले रहा है... अस्पतालों से छुट्टी के बाद वापस भर्ती -हमारे देश में राजधानी दिल्ली सहित अन्य कई हिस्सों में इस तरह के केस देखने को मिल रहे हैं, जब कोरोना का इलाज कराकर पूरी तरह ठीक होने के बाद लोग अपने घर वापस चले गए लेकिन कुछ ही हफ्ते बाद उनकी स्थिति बिगड़ गई और उन्हें फिर से कोरोना संक्रमण होने की पुष्टि हुई। किस तरह के लक्षण देख रहे हैं? -कोरोना से ठीक होकर दोबारा संक्रमण के चलते अस्पताल आनेवाले मरीजों में सांस लेने में दिक्कत, ब्लड क्लॉटिंग होना और सीने में दर्द और जकड़न, फेफड़ों में इंफेक्शन और कुछ केस में स्ट्रोक जैसी समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं। -दिल्ली एनसीआर में अलग-अलग अस्पतालों में कोरोना का इलाज कराकर ठीक हुए मरीजों में कुछ केस ऐसे भी हैं, जिन्हें बाद में लंग्स में इंफेक्शन के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और इनका कोरोना टेस्ट दूसरे नंबर पर भी पॉजिटिव आया। क्यों हो रहा है फिर से कोरोना? -एक बार कोरोना संक्रमण से ठीक हुए पेशंट के शरीर में इस बीमारी से लड़ने के लिए ऐंटिबॉडीज तो बनती हैं। लेकिन इन ऐंटिबॉडीज की संख्या धीरे-धीरे घटने लगती है। शुरुआती 28 दिन के अंदर ही ये ऐंटिबॉडीज करीब 70 से 80 प्रतिशत तक घट जाती हैं। यह बात दुनिया के अलग-अलग वैज्ञानिकों ने कोरोना से ठीक हुए मरीजों पर शोध के बाद कही है। -इस स्थिति इन लोगों का शरीर कोरोना संक्रमण झेलने के बाद कमजोर तो होना ही है, उस पर ऐंटिबॉडीज भी कम हो जाती हैं। इस स्थिति में यदि ये लोग किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ जाते हैं तो इनके शरीर में फिर से संक्रमण फैल जाता है। दिक्कत की बात यह है कि यह संक्रमण इनके लिए पहले की तुलना में अधिक घातक हो सकता है। क्यों अधिक घातक है दूसरे टर्म का कोरोना? -हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो लोग एक बार कोरोना को हराने के बाद दोबारा इस संक्रमण से ग्रसित हो रहे हैं, उनके लिए यह बीमारी पहले की तुलना में कहीं अधिक घातक होती है। यह सही है कि उनकी बॉडी के लिए इस वायरस की ऐंटिबॉडीज बनाना आसान होता है। क्योंकि उनका शरीर पहले भी इस वायरस से लड़ चुका है। -लेकिन इनके लिए स्थिति अधिक खतरनाक इसलिए हो जाती है क्योंकि अपने पहले टर्म के दौरान ही कोरोना इनके शरीर को बहुत कमजोर कर चुका होता है। ऐसे में यदि ये दोबारा कुछ ही हफ्तों बाद फिर से इस संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं तो इनका शरीर संक्रमण की घातकता सहने में उतना मजबूत नहीं रह जाता है, जितना अपने पहले टर्म में था। दोबारा भर्ती होनेवालों में हर उम्र के लोग -दोबारा कोरोना की संक्रमण में आनेवाले लोगों में किसी उम्र विशेष के रोगी नहीं है। बल्कि इनमें 22 साल के युवाओं से लेकर 55 साल के वयस्कों तक सभी शामिल हैं। पिछले दिनों दोबोरा कोरोना की चपेट में आने के बाद सर गंगाराम हॉस्पिटल में फिर से भर्ती हुए रोगी की उम्र 20 साल है। -इन्हें कोरोना को मात देने के करीब एक महीने बाद फिर से हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा क्योंकि इनके फेफड़ों के मोटे ऊतकों पर बने कोरोना संक्रमण के कारण हुई हानि के निशान, इन्हें सांस लेने में दिक्कत कर रहे थे। इन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ क्योंकि इन्हें हाई फ्लो ऑक्सीजन सपॉर्ट की जरूरत पड़ थी।
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