हमारे देश में मेडिकल क्षेत्र में कार्यरत अलग-अलग सहकारी और गैरसरकारी संस्थान समय-समय पर इस बात को लगातार कह रहे है कि हमारे देश के लोगों में कोरोना ऐंटिबॉडीज पश्चिमी देशों की तुलना में काफी तेजी से विकसित हो रही हैं। ऐसे में आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि सुख-सुविधाओं और भोजन की गुणवत्ता के मामले में हमारा देश ज्यादातर पश्चिमी देशों से पीछे है। फिर ऐसी स्थिति में यह चमत्कार कैसे संभव हो रहा है! आइए, यहां इसी के कारणों पर नजर डालते हैं... पहले दिल्ली फिर देश -जब कोरोना अपने शुरुआती स्तर पर था, तब दिल्ली और महाराष्ट्रा दो ऐसे राज्य थे जहां सबसे अधिक तेजी से यह संक्रमण फैल रहा था। हालांकि अभी भी हालात बहुत बेहतर नहीं हैं लेकिन पहले के मुकाबले काफी सुधार है। -जिस तरह से दिल्ली में कोरोना के केस बढ़ने शुरू हुए थे, उसी तरह ये आंकड़े भी सामने आने लगे कि दिल्ली में हर चार में से एक व्यक्ति में कोरोना ऐंटिबॉडीज विकसित हो गई हैं। क्योंकि दिल्ली की ज्यादातर जनसंख्या कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुकी है। इनमें सिंप्टोमेटिक (जिनमें संक्रमण के लक्षण दिखते हैं) और एसिंप्टोमेटिक (जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते हैं) दोनों तरह के लोग शामिल हैं। -अब इस इम्यूनिटी का दायरा दिल्ली से बढ़कर देश में फैल गया है और एक राष्ट्रीय स्तर की प्राइवेट लैब द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर कहा जा रहा है कि हमारे देश में इस समय हर चौथा व्यक्ति कोरोना ऐंटिबॉडीज का कैरियर है। यानी उसके शरीर में कोरोना वायरस को मारनेवाली ऐंटिबॉडीज मौजूद हैं। भारतीयों में तेजी से इम्युनिटी विकसित होने की वजह -जब इस बारे में हमने देश के अलग-अलग राज्यों में रहनेवाले अलग-अलग हेल्थ एक्सपर्ट्स से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि दुनिया में केवल भारत में ही कोरोना ऐंटिबॉडीज तेजी से विकसित हो रही हैं। यह और बात है कि अन्य देशों में अभी इस दिशा में जांच की गई है या नहीं। लेकिन भारत की ही तरह अन्य विकासशील देशों के लोगों में साधन संपन्न देशों की तुलना में ऐंटिबॉडीज जल्दी विकसित होंगी। -इसकी वजह यह है कि विकासशील देशों के लोगों को जीवन-यापन की वे सुख-सुविधाएं हासिल नहीं हैं, जो विकसित देश के लोगों के पास होती हैं। इस कारण भारत जैसे विकासशील देशों में रहनेवाले ज्यादातर लोग अलग-अलग तरह के वायरस से लगातार एक्सपोज होते रहते हैं। इस कारण उनके शरीर में कई अलग-अलग वायरसों से लड़ने की क्षमता पहले से होती है। यही कारण है कि डेवलपिंग देशों में ज्यादातर लोग जो हैं वो ज्यादातर वैक्टीरिया से एक्सपोज हो जाते हैं। फ्लू, इंफ्लूएंजा और कोरोना वायरस -हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस का जो बेसिक स्ट्रेन है, वह फ्लू और इंफ्लूएंजा के स्ट्रेन्स से मिलता है। इन दोनों ही बीमारियों की ऐंटिबॉडीज हमारे शरीर में पहले से मौजूद रहती हैं। क्योंकि हमारे देश में फ्लू और इंफ्लूएंजा लोगों में अक्सर होता रहता है। -अब कोरोना, फ्लू और इंफ्लूएंजा से इसलिए अलग है क्योंकि यह नॉर्मल कोरोना वायरस का अपग्रेटेड वर्जन है। लेकिन इसके जीनोम का या इसके स्ट्रेन का जो पार्ट फ्लू और इंफ्लूएंजा से मिलता है, उसके प्रति तो हमारे देश में लोगों का शरीर पहले से इम्यून है। बाकी बचे स्ट्रेन के प्रति जो इम्युनिटी चाहिए होती है, वह दवाओं की मदद से प्राप्त हो रही है। -यह एक बड़ी वजह है कि हमारे देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलने के बाद भी मृत्यु का आंकड़ा अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। साथ ही हमारे देश में रिकवरी रेट भी अच्छा है। इस स्थिति में हमें जरूरत है कि हम अपनी सेहत को लेकर सतर्कता बरतेंगे तो इस महामारी से आराम से जीत सकते हैं।
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