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Thursday, August 20, 2020

यहां जानें, भारत में कोरोना के ऐसिंप्टोमेटिक मरीज अधिक मिलने की बड़ी वजह

कोरोना संक्रमण के दौर में भारत की गरीबी भी बहुत अच्छी साबित हो रही है। कुछ साल पहले तक पश्चिमी देशों में भारत की गरीबी बिका करती थी लेकिन कोरोना वायरस को खत्म करने में यही विकासशील स्थिति हमारी मजबूती को सुदृढ़ बनाए हुए है। यहां जानिए कैसे हमारे देश में संसाधनों का अभाव हमारी लड़ाई को मजबूत बना रहा है...

-हममें से ज्यादातर लोगों ने इस कहावत को सुना होगा कि 'हर सिक्के के दो पहलू होते हैं' वर्तमान समय में हमारे देश में यह बात संसाधनों के अभाव वाली स्थिति पर लागू हो रही है। जिस गरीबी के कारण लंबे समय तक पश्चिमी मीडिया और पश्चिमी देश हमारा मजाक बनाते रहे, हमारी बात को हल्के में लेते रहे, आज हमारी गरीबी के चलते ही हम उनसे मजबूत स्थिति में हैं।

-क्योंकि इसी गरीबी और संसाधनों के अभाव के कारण आंधी, धूल, तीक्ष्ण गर्मी और बाढ़ जैसी स्थितियों से निपटते हुए हमारे देश के ज्यादातर लोगों का हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस के साथ एक्सपोजर हो चुका होता है। इस कारण ज्यादातर लोगों के शरीर में वायरस के बेसिक स्ट्रेन (मूल रूप) को पहचानने और उसे खत्म करनेवाली इम्यून सेल्स मौजूद होती हैं।

-ये वही इम्यून सेल्स होती हैं, जो शरीर में वायरस की ऐंट्री होते ही अपनी संख्या तेजी से बढ़ाने लगती हैं और वायरस को शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने से रोकती हैं। हमारे देश की बड़ी आबादी को बचपन से ही स्ट्रीट फूड, बिना फिल्टर किया हुआ पानी, भीड़-भाड़ वाले एरिया में खुले आसमान के नीचे बन रहा खाना इत्यादि खाने की आदत होती है।

-इसके चलते बचपन से हमारे देश की बड़ी आबादी के शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, बचपन में हमारे शरीर में इम्यून सेल्स विकसित करने की क्षमता सबसे अधिक होती है।

-बचपन में हमारे शरीर को जैसा माहौल मिलता है, हम वैसे ही बनते जाते हैं। यही वजह है कि कोरोना संक्रमण का वायरस हमारे देश के युवाओं और बच्चों पर उतनी तेजी से हावी नहीं हो पाया, जैसा कि विकसित देशों में देखने को मिला।

-क्योंकि अनहाइजीनिक भोजन और अनफिल्टर्ड पानी पीने की आदत के चलते हमारे देश के बच्चों का शरीर युवावस्था तक पहुंचने तक हजारों-लाखों तरह के पैथोजेन्स (वायरस और बैक्टीरिया) से जूझ चुका होता है। इस कारण हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पश्चिमी देशों की तुलना में कहीं अधिक होती है।

-कोरोना वायरस जब महामारी का रूप लेकर दुनियाभर में फैल रहा है, उस समय हमारे देश की स्थिति बाकी देशों की तुलना में मजबूत बनी रही। क्योंकि इस समय हमारे देश की करीब 65 प्रतिशत आबादी युवा है।

-इस उम्र में प्राकृतिक तौर पर भी व्यक्ति के शरीर की इम्युनिटी काफी हाई होती है। फिर जिन लोगों के शरीर को बचपन से वायरस और बैक्टीरिया का एक्सपोजर मिलता रहा हो, उनके शरीर में किसी भी वायरस के बेसिक स्ट्रेन को बढ़ने से रोकने की रोग प्रतिरोधक क्षमता हर समय मौजूद रहती है। संक्रमण के समय में बस यह बढ़ जाती है।

-इस स्थिति में कोरोना वायरस हमारे देश की ज्यादातर आबादी को संक्रमित तो कर पाया लेकिन उन पर हावी नहीं हो पाया। यही वजह रही कि हमारे देश में कोरोना के एसिंप्टोमेटिक केस अधिक देखने को मिले। खासतौर पर टीनेजर्स और युवाओं के शरीर में वायरस आकर चला भी गया और ज्यादातर लोगों को इसका पता भी नहीं चला।

-अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि कोविड-19 का संक्रमण तो दुनिया में पहली बार फैला है, फिर इस वायरस के बेसिक स्ट्रेन से लड़ने की क्षमता हमारे युवाओं में कहा से आई?

-तो आपके इस प्रश्न का उत्तर यह है कि कोविड-19 हमारे शरीर के लिए एक नया वायरस है, जबकि कोरोना वायरस कोई नया वायरस नहीं है। हमें जो सर्दी, जुकाम और कफ और फ्लू, इंफ्लूऐंजा जैसी बीमारियां होती हैं, उनका कारण भी कोरोना वायरस ही होता है।

- कोरोना वायरस का परिवार बहुत बड़ा है और कोविड-19 इन्हीं कोरोना वायरस की पीढ़ी का सबसे युवा और अपग्रेटेड वर्जन है। इस स्थिति में कोविड-19 का भी बेसिक स्ट्रेन (मूल रूप) तो वही हुआ जो कोरोना वायरस का होता है। ...और कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हमारे शरीर में पहले से इम्यून सेल्स मौजूद रहती हैं।

-इसलिए हमारे देश की ज्यादातर आबादी को खांसी, जुकाम, कफ आदि जैसी हल्की-फुल्की दिक्कतें देकर ही यह वायरस रवाना होता रहा। क्योंकि इसके बेस को खत्म करने के लिए इम्यून सेल्स हमारी ज्यादातर आबादी में मौजूद हैं।

-भारत एक गांवों का देश है और यहां बड़े स्तर पर पशुपालन किया जाता है। साथ ही खुले आसमान में बननेवाले भोजन और बहनेवाले पानी का उपयोग भी यहां आम बात है। इस स्थिति में ज्यादातर लोगों का टीबी के वायरस, टाइफाइड के बैक्टीरिया और वायरस, डायरिया के बैक्टीरिया और वायरस से एक्सपोजर हो चुका होता है।

-इन बीमारियों के मुख्य रूप से -साल्मोनेला (Salmonella)बैक्टीरिया, ई-कोलाई (E. coli) बैक्टीरिया जैसे अन्य बैक्टीरिया और वायरस जिम्मेदार होते हैं। वहीं एयर पलूशन और अधिक आबादी के कारण भी फ्लू और इंफ्लूऐंजा जैसी बीमारियों के वायरस से हमारा एक्सपोजर रहता है। इन सभी कारणों के चलते हमारे देश के ज्यादातर लोगों के शरीर में बहुत सारी बीमारियों की ऐंटिबॉडीज बन जाती हैं।

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