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Sunday, December 29, 2019

कड़ाके की ठंड में हाइपोथर्मिया-हार्ट अटैक का खतरा, ऐसे करें बचाव

नई दिल्ली दिल्ली-एनसीआर समेत पूरा उत्तर भारत पिछले कई दिनों से शीतलहर की चपेट में हैं। सर्द हवा और ठिठुरन ने लोगों का जीवन मुश्किल कर दिया है। गर्म कपड़े पहनने के बाद भी लोग कंपकंपी महसूस कर रहे हैं। दिल्ली की यह सर्दी जरा सी लापरवाही में बुजुर्ग और बच्चों पर भारी पड़ सकती है क्योंकि बहुत ज्यादा सर्दी की वजह से बॉडी का टेंप्रेचर 35 डिग्री सेल्सियस मेंटेन नहीं रह पाता जिस वजह से जैसी खतरनाक स्थिति भी पैदा हो सकती है। इसमें बॉडी का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है और यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। खासकर बच्चे और बुजुर्ग अगर ज्यादा देर तक ठंड में रहें तो उनका मेटाबॉलिक रेट कम हो जाता है, जिससे नॉर्मल बॉडी टेंपरेचर मेंटेन करना मुश्किल होता है। हाइपोथर्मिया: जब बॉडी का नॉर्मल टेंपरेचर हो जाए कम गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर अतुल गोगिया ने कहा कि जब बॉडी का टेंपरेचर नॉर्मल से कम (35 डिग्री सेल्सियस) हो जाता है और सही टेंपरेचर बनाए रखने के लिए दिमाग का सिस्टम बिगड़ जाता है और वह टेंपरेचर को कंट्रोल नहीं कर पाता, तो इस स्थिति को हाइपोथर्मिया कहा जाता है। डॉक्टर ने कहा कि हमारी बॉडी में ठंड से बचने के लिए एक सिस्टम होता है जिसे थर्मोस्टैट कहते हैं। जब हमारा शरीर ज्यादा ठंड का सामना करता है तो शरीर कांपने लगता है। अगर इंसान ज्यादा देर तक इस कंडिशन में रहे तो उसे हाइपोथर्मिया होने के चांस बढ़ जाते हैं। ऐसे लोगों को गर्म जगह पर रहना चाहिए और बॉडी को गर्म रखने के लिए गर्म कपड़े पहनने चाहिए। डॉक्टर ने कहा कि आमतौर पर बच्चों, बुजुर्गों, डायबीटीज के मरीजों, ऐंटी डिप्रेशन की दवा और नशीले पदार्थ लेने वालों को हाइपोथर्मिया होने का ज्यादा खतरा होता है। क्या है हाइपोथर्मिया के लक्षण - सर्दी जुकाम होने पर नाक से पानी आना - लगातार छीकें आना - आंखों से पानी आना - बदन दर्द, सिर या आंखों में भारीपन - गले में खराश के साथ हल्का दर्द- जल्दी-जल्दी सांस लेना - सीने में जकड़न या कसाव महसूस होना - सांस के साथ आवाज आना जुकाम लंबा चले तो फ्लू होने का खतरा हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टर डी.के. दास ने कहा कि अभी सर्दी, खांसी, सांस फूलने, के साथ साथ ब्लड प्रेशर बढ़ना और फ्लू से संबंधित बीमारी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इन दिनों खांसी-जुकाम होना आम बात है। अगर 3-4 दिन में जुकाम का इलाज न किया जाए या जुकाम ठीक न हो, तो यह फ्लू बन सकता है। वहीं डॉक्टर का कहना है कि इस मौसम में ऐलर्जी से जुड़ी ऐसी समस्या भी बढ़ जाती है जिससे सांस की नली से जुड़े हिस्सों में सूजन आ जाती है। इससे फेफड़ों में हवा जाने से रुकावट होने लगती है। जब ऐलर्जी पैदा करने वाले तत्व सांस की नली के संपर्क में आते हैं, तो सांस लेने में परेशानी होने लगती है। सुबह 4-6 बजे के बीच सबसे ज्यादा जीबी पंत के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. यूसूफ जमाल का कहना है कि सर्दी में हार्ट अटैक का खतरा सबसे ज्यादा होता है, खासकर सुबह 4 से 6 बजे के बीच अटैक सबसे ज्यादा आता है। उन्होंने कहा कि दिल तक खून पहुंचाने वाली किसी एक या एक से अधिक धमनियों में जमे फैट के थक्के के कारण रुकावट आ जाती है। थक्के के कारण खून का फ्लो रुक जाता है। खून न मिलने से दिल की मांसपेशियों में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है, जिससे धीरे-धीरे मांसपेशियों की रफ्तार कम हो जाती है। सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को होती है, जो डायबीटीज, हाई ब्लड फ्रेशर और मोटापे के शिकार हैं। सर्दी की वजह से बढ़ जाती है जॉइंट की दिक्कत वहीं, इंडियन स्पाइन इंजरी सेंटर के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ मनिंदर शाह सिंह का कहना है कि सर्दी की वजह से जॉइंट की दिक्कत की बढ़ जाती है। इस सीजन में पिछले साल की तुलना में 30 पर्सेंट ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। ठंड की वजह से इसे मैनेज कर पाना मुश्किल हो पा रहा है। ऊपर से सूर्य की रोशनी भी नहीं मिल रही है, जिससे लोगों में विटमिन डी की कमी भी हो रही है। कैसे करें कंट्रोल - अस्थमा के मरीज धूल-मिट्टी से खुद को दूर रखें। - पालतू जानवरों के करीब न जाएं। - स्मोकिंग न करें और स्मोकिंग करने वालों से भी दूरी बनाए रखें। - छाती में अकड़न और घबराहट महसूस होने पर उसी समय एस्प्रिन की एक गोली चबा लें।


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