किसी के साथ खाना खाते वक्त क्या आपको भी दूसरे व्यक्ति के खाना चबाने और निगलने के साउंड से इरिटेशन होती है? अगर ऐसी आवाज से आप परेशान हो जाते हैं और बेचैन होकर तुरंत वहां से चले जाना चाहते हैं तो ऐसा सोचने या ऐसी स्थिति को फेस करनेवाले आप अकेले नहीं है। अगर इटिंग एटिकेट्स की बात हटा दी जाए यानी जो व्यक्ति खाना खा रहा है, उसकी बात ना करके हम उस व्यक्ति की बात करें, जिसे इस तरह के साउंड से इरिटेशन हो रही है तो यह मिसोफोनिया का लक्षण है। मिसोफोनिया एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति को खाना खाने, कुछ क्रिस्पी चीजें चबाने के साउंड को सुनते हुए परेशानी होती है। जिस व्यक्ति को भी यह ब्रेन ऐब्नॉर्मेलिटी होती है, उसका ब्रेन इस तरह की आवाज को तुरंत कैच कर लेता है और फिर उसका फोकस वहीं बना रहता है, जब तक कि यह आवाज आनी बंद ना हो जाए। मिसोफोनिया के लक्षणों में सांस लेने की आवाज, खाना खाने के दौरान होनेवाली आवाज, पेन की क्लिक करने की आवाज, घड़ी की सुई की आवाज, किसी के कुछ निगलने की आवाज या कुछ चाटने की आवाज शामिल होती है। हालांकि इसमें खाना चबाने की आवाज से होनेवाली इरिटेशन को अधिक देखा जाता है। इन आवाजों के कारण मिसोफोनिया से ग्रस्त व्यक्ति को तनाव, गुस्सा या चिड़चिड़ाहट होने लगती है। केस स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि मेसोफोनिया से परेशान व्यक्ति खर्राटे की आवाज, सांस लेने की आवाज या ऐसी आवाजें जो उसे परेशान करती हैं, उन्हें सुनकर उसका तनाव इतना बढ़ जाता है कि कभी-कभी वह चिल्लाने लगता है या काफी तीखी प्रतिक्रिया देता है। उसे पसीना आने लगता और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि हर व्यक्ति को किसी अलग तरह के साउंड से परेशानी हो सकती है। हाल ही हुई स्टडी में मेसोफोनिया होने का कोई वैज्ञानिक कारण पूरी तरह साफ नहीं हो सका है। यह स्टडी Current Biology sheds जर्नल में पब्लिश हुई। इसमें बताया गया कि रिसर्च टीम ने अपने शोध में 42 लोगों को शामिल किया, जिनमें से 22 को मेसोफोनिया से ग्रसित पाया गया। अभी इस विषय पर रिसर्च जारी है कि आखिर इस तरह के साउंड को स्कैन करके ब्रेन में किस तरह का इमोशन प्रॉसेस होता है। मेसोफोनिया एक ऐसा विकार है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति न केवल ऐसी आवाजें सुनकर विचलित हो जाता है बल्कि पूरी तरह से इस स्थिति से बचना चाहता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि मेसोफोनिया से पीड़ित लोगों में ब्रेन का Anterior Insular Cortex (AIC) हिस्सा जो भावनाओं को तय करता है, मेसोफोनिया से ग्रसित लोगों में बहुत एक्टिव था। रिसर्च में यह भी सामने आया कि जो लोग मेसोफोनिया से ग्रसित होते हैं, उन्हें अपनी डेली रुटीन लाइफ में अजस्टमेंट करना पड़ता है।
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