लखनऊडॉ स्कन्द शुक्लइम्यूनोलॉजिस्ट र्यूमैटॉलजिस्ट प्रॉस्टेट ग्रन्थि पुरुषों में पायी जाती है, जिससे निकलने वाला पदार्थ स्पर्म को जीवित और स्वस्थ रखता है। वीर्य का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा इसी ग्रन्थि के भीतर निर्मित होता है। बढ़ती उम्र के साथ हॉर्मोन संबंधी बदलावों के कारण प्रॉस्टेट का आकार बढ़ने लगता है जिससे पुरुषों में तरह-तरह के लक्षण पैदा होते हैं जैसे- तुरन्त पेशाब की इच्छा होना बार-बार पेशाब जाना पेशाब की इच्छा होने पर मूत्र-त्याग शुरू न कर पाना पेशाब की धार पतली होना मूत्र-त्याग के अन्त में पेशाब का टपकते रहना पूरी तरह से मूत्रत्याग न कर पाना ये हो जाती हैं समस्याएं ध्यान रहे कि प्रॉस्टेट के आकार का हमेशा लक्षणों से सम्बन्ध नहीं होता। कई बार थोड़ी ही वृद्धि के कारण लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, तो कई बार काफी बढ़ जाने के बाद भी प्रॉस्टेट-वृद्धि के लक्षण नहीं दिखते। प्रॉस्टेट बढ़ने के कारण मूत्र संबंधी ये लक्षण केवल यहीं समाप्त नहीं होते। इनके कारण रुकी हुई पेशाब में इंफेक्शन या पथरी का निर्माण भी हो सकता है। इसके अलावा इससे मूत्राशय और गुर्दों को भी क्षति पहुंच सकती है। हॉर्मोन संबंधी बदलाव, भी है वजह प्रॉस्टेट-वृद्धि को मेडिकल भाषा में बेनाइन प्रॉस्टेटिक हायपरप्लेजिया (बीपीएच) कहा जाता है। इसे किसी प्रयास द्वारा रोक पाना सम्भव नहीं है। बढ़ती उम्र के कारण होने वाले हॉर्मोन संबंधी बदलाव, मोटापा, सक्रिय जीवन न बिताना व परिवार में अन्य पुरुषों में इस रोग का पहले होना किसी व्यक्ति में इसके लिए की आशंका बढ़ाता है। यूरोलॉजिस्ट से करें संपर्क लक्षणों के अलावा डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (डीआरई) के जरिए भी डॉक्टर प्रॉस्टेट के साइज की जानकारी हासिल करते हैं। इसके अलावा वे कई अन्य जांचें भी कराते हैं और फिर उपचार शुरू करते हैं। प्रॉस्टेट-वृद्धि का उपचार दवाओं व सर्जरी-विधियों द्वारा किया जाता है। बताए गए लक्षणों की स्थिति में रोगी को यूरोलॉजिस्ट से सम्पर्क करना चाहिए।
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