क्या आप जानते हैं कि जेनेटिक बिमारियों में का भी नाम शामिल है। जी हां अगर आपके परिवार में पैरंट्स, भाई-बहन या फिर किसी बच्चे में यह समस्या रही है तो यह आपको या आपके दूसरे अपनों में आसानी से फैल सकती है। हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है। इसके मुताबिक फर्स्ट डिग्री रिलेशन यानी कि जिनका सीधा संबंध आपके खून से हो, यह बीमारी हुई तो यह आपको भी इफेक्ट कर सकती है। तो ऐसे में जरूरी है कि आप इसके प्रति सावधान रहें। यदि कोई भी समस्या हो तो लापरवाही बरतने के बजाए तुरंत ही चिकित्सक से सलाह लें। पर हाल ही में हुई इस स्टडी के लीड ऑर्थर अमित सूद बताते हैं कि ऐसे मामलों की संख्या 4.1 है। जिनमें फर्स्ट डिग्री रिलेशन के चलते यह समस्या पाई गई है। वह बताते हैं कि इन 4.1 प्रतिशत लोगों में हॉजकिन लिम्फोमा और इसके सबटाइप्स यानी कि लिम्फोप्लाज्मामैटिक लिम्फोमा और मेन्टल सेल लिम्फोमा कैंसर पाए गये हैं। डॉ सूद कहते हैं कि जेनेटिक टेस्टिंग और स्क्रीनिंग में कई सारे ऐसे भी लोग पाए गए हैं, जिन्हें काफी कम उम्र में यह समस्या हुई है। जबकि सीधे तौर पर ऐसी कोई परेशानी नहीं थी, यह बीमारी उनमें फर्स्ट डिग्री रिलेटिव के ग्रसित होने के चलते जेनेटिकली ट्रांसमिट हुई। फर्स्ट डिग्री रिलेटिव के चले 153,115 में ब्लड कैंसर डॉ. अमित सूद बताते हैं कि स्टडी में ऐसे 153,115 मामले सामने आए हैं जिनमें ब्लड कैंसर पाया गया है। इसका रीजन फर्स्ट डिग्री रिलेटिव्स हैं। वहीं इनमें से 391,131 ऐसे लोग हैं जो फर्स्ट डिग्री रिलेटिव्स हैं और ब्लड कैंसर से ग्रसित हैं। वह बताते हैं कि लिम्फोसाइटिक ल्युकेमिया सीधे तौर रिलेटिव्स को इफेक्ट करता है। चाहे वह पैरंट्स हो, भाई-बहन हों या फिर बच्चे। यह आसानी से उनमें ट्रांसमिट होने वाली बीमारी है। ऐसे हो सकती है ब्लड कैंसर की पहचान चिकित्सक सलाह देते हैं कि अगर आपके संबंधियों में यह परेशानी हो तो आपको भी नियमित तौर पर अपना चेकअप कराते रहना चाहिए। ब्लड कैंसर के लिए आप ब्लड टेस्ट भी करवा सकते हैं। इसमें भी WBC यानी कि वाइट ब्लड सेल्स के टेस्ट से काफी हद तक इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा बोन मैरो टेस्ट भी करवाया जा सकता है। चिकित्सक बताते हैं कि अगर किसी मरीज में वाइट ब्लड सेल्स की मात्रा सामान्य से कम या अधिक होती है तो यह टेस्ट करना जरूरी हो जाता है। इसके तहत हड्डी से पानी निकालकर टेस्ट किया जाता है। इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज चिकित्सक बताते हैं कि अगर आपको अपने आसपास किसी भी अपने में ऐसे लक्षण नजर आएं तो तुरंत ही चिकित्सक से संपर्क कर लें। यह ब्लड कैंसर का ही एक घातक प्रकार हो सकता है। इसमे तहत मरीज को बार-बार दौड़ा पड़ने लगता है। या फिर मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। उल्टियां आने लगती हैं, स्किन रैशेज की प्रॉब्लम हो सकती है। या फिर जबड़ों में सूजन आ सकती है। खून भी आ सकता है। बार-बार एक ही तरह का संक्रमण हो सकता है। मरीज का इम्यून सिस्टम भी काफी कमजोर हो जाता है।
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