क्या आपके भी चेहरे पर हैं जिन्हें हर दिन आइने में देखकर आप यही सोचते हैं कि आखिर ये मेरे ही चेहरे पर क्यों आ गए, इनसे मेरी खूबसूरती खराब हो रही है? क्या आप भी दिनभर इन मुंहासों को हटाने के तरीकों के बारे में ही सोचते रहते हैं? अगर इन सवालों का जवाब हां है तो सावधान हो जाइए क्योंकि चेहरे पर साधारण से दिखने वाले ये मुंहासे भी आपको डिप्रेशर का शिकार बना सकते हैं। 1986 से 2012 के आंकड़ों का विश्लेषण जी हां, वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध से पता चला है कि वैसे लोग जिनके चेहरे पर मुंहासे होते हैं उनमें के विकसित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। लेकिन डिप्रेशन जैसी समस्याओं से ग्रसित होने का खतरा मुंहासों के पता चलने के बाद पहले 5 वर्षों तक ही रहता है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ डर्मेटोलॉजी ने यूके के एक बड़े प्राथमिक देखभाल डेटाबेस द हेल्थ इंप्रूवमेंट नेटवर्क (टीएचआईएन) के 1986 से 2012 तक के आंकड़ों का विश्लेषण किया। मुंहासे के कारण डिप्रेशर का खतरा 63 प्रतिशत अधिक इस विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि मुंहासे के कारण डिप्रेशन का खतरा अधिक बढ़ जाता है। इस अध्ययन में पाया गया है कि मुंहासे का पता चलने के पहले 1 वर्ष में डिप्रेशन जैसी समस्याओं का जोखिम सबसे ज्यादा रहता है। जिन लोगों को मुंहासे की समस्या नहीं है उनकी तुलना में मुंहासे से पीड़ित व्यक्ति में डिप्रेशन का खतरा 63 प्रतिशत अधिक रहता है और इसकी संभावना 1 वर्ष के बाद कम होती जाती है। स्किन के डॉक्टर डिप्रेशर के लक्षणों की भी करें जांच इसलिए यह जरूरी है कि स्किन डॉक्टरों को मुंहासे के रोगियों में समय-समय पर डिप्रेशन के लक्षणों की भी जांच करते रहना चाहिए। इसके जोखिम को कम करने के लिए शीघ्र उपचार शुरू कर देना चाहिए। अगर इलाज के दौरान कोई समस्या पैदा होती है तो ऐसे स्थिति में साइकायट्रिस्ट से भी राय लेनी चाहिए।
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