प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नैशनल स्पोर्ट्स डे के मौके पर देश में लॉन्च करने जा रहे हैं ताकि देशवासियों को फिटनेस के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरुक किया जा सके। लेकिन हकीकत यही है कि हम भारतीय करने के मामले में बेहद पीछे हैं। ज्यादातर लोग उतनी एक्सर्साइज करते ही नहीं जितनी उन्हें करनी चाहिए। एक्सर्साइज नहीं करते 64 प्रतिशत भारतीय अब तक हुए कई सर्वे में यह बात सामने आ चुकी है कि करीब 64 प्रतिशत भारतीय ऐसे हैं जो एक्सर्साइज नहीं करते और उनमें भी 18 से 47 साल के बीच के एज ग्रुप वालों की एक्सर्साइज न करने की तादाद 30 से 40 प्रतिशत है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ICMR की एक स्टडी के मुताबिक करीब 54 प्रतिशत भारतीय किसी भी तरह की नहीं करते और महज 10 प्रतिशत ऐसे हैं जो थोड़ी बहुत शौकिया फिजिकल ऐक्टिविटी कर लेते हैं। फिजिकल इनऐक्टिविटी की वजह से , कैंसर जैसी बीमारियां फिजिकल इनऐक्टिविटी यानी शारीरिक निष्क्रियता ज्यादातर क्रॉनिक और गैर संक्रामक बीमारियों की सबसे बड़ी वजह है। 4 सबसे कॉमन गैर संक्रामक बीमारियां हैं- , कैंसर, डायबीटीज और सांस से जुड़ी बीमारी जिसकी वजह से 30 से 70 साल के बीच के करीब 60 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है। बीमारियों का यह बोझ, हेल्थ पर होने वाले खर्च के साथ-साथ देश की आर्थिक उत्पादकता पर भी बोझ बढ़ाता है। यूनाइटेड नेशन्स की तरफ से यह सुझाव भी दिया गया है कि एक्सर्साइज को हर व्यक्ति के मेडिकल रेकॉर्ड में जांच संबंधी सवाल के तौर पर शामिल करना चाहिए। हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि है जरूरी साल 2018 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन WHO ने दुनियाभर में एक ऐक्शन प्लान लॉन्च किया था ताकि फिजिकल ऐक्टिविटी को बेहतर बनाया जा सके और गैर संक्रामक बीमारियों को रोकने की कोशिश की जा सके। WHO की मानें तो अगर कोई वयस्क व्यक्ति एक सप्ताह में 150 मिनट से कम और अगर कोई किशोर एक सप्ताह में 60 मिनट से कम शारीरिक गतिविधि कर रहा था तो इसका मतलब है कि उसकी फिजिकल ऐक्टिविटी अपर्याप्त है और उसे एक्सर्साइज और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने की जरूरत है। एक्सर्साइज करने के हैं ढेरों फायदे एक्सर्साइज करने से न सिर्फ हमारा शरीर फिट और हेल्दी रहता है बल्कि मस्तिष्क पर भी इसका पॉजिटिव असर पड़ता है। शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर रहता है, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या दूर होती है, नींद न आने की समस्या दूर होती है, याददाश्त तेज होती है, सीखने की शक्ति में सुधार होता है। इतना ही नहीं एक्सर्साइज करने और फिजिकल ऐक्टिविटी बढ़ाने से डिप्रेशन, तनाव और मनोभ्रंश की दिक्कत भी दूर होती है।
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