आज मकर संक्रांति का त्योहार है और आज के दिन खिचड़ी, तिल- गुड़ खाने की परंपरा के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में पतंग उड़ाने की भी प्रथा है। यहां जानें खिचड़ी खाने के कुछ स्वास्थ्य लाभों के बारे में।
भारत में 14 या 15 जनवरी को मनाया जाने वाला मकर संक्रांति का त्योहार हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है अर्थात इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण (पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ना) होता है। देश के हरेक राज्यों में 'मकर संक्रांति' को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तर प्रदेश में इसे 'खिचड़ी', पश्चिम बंगाल में 'पौष संक्रांति', उत्तराखंड में 'घुघुतिया', असम में 'बिहू', गुजरात में 'उत्तरायण' और दक्षिण भारत में 'पोंगल' कहते हैं।
इस पर्व में सूर्य की उपासना करना, खिचड़ी और तिल खाना और दान-दक्षिणा करने की परंपरा है। इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है। इस त्योहार पर खिचड़ी और तिल खाने के पीछे पौराणिक मान्यताओं के अलावा वैज्ञानिक आधार भी है। आइए जानें मकर संक्रांति पर खिचड़ी, तिल और गुड़ का सेवन करने के कारण।
खिचड़ी है एक पौष्टिक और सुपाच्य आहार
बीमार पड़ने पर या पेट से संबंधित कोई बीमारी होने पर डॉक्टर अक्सर खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह एक पौष्टिक और सुपाच्य आहार है। पाचन क्षमता कमजोर होने पर भी यह आसानी से पच जाती है।
इसे खाने के बाद पेट में अतिरिक्त भारीपन नहीं लगता। बुखार, गैस,
, अपच और मितली जैसी हेल्थ प्रॉबलम्स में खिचड़ी खाने से आराम मिलता है। पाचन क्रिया सुचारू होने से मेटाबॉलिज़्म सही रहता है, जिससे मेटाबॉलिक डिसऑर्डर्स का जोखिम कम होता है और वजन भी कंट्रोल में रहता है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को अक्सर कब्ज या अपच की समस्या होती है, ऐसे में खिचड़ी खाना आरामदायक भी है और फायदेमंद भी।
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शरीर के लिए फायदेमंद है खिचड़ी का सेवन
खिचड़ी बनाना बहुत आसान होता है। यह चावल, दाल,अदरक,हींग,जीरा, तेजपत्ता, घी, गरम मसाला, आलू,टमाटर, मटर, फूलगोभी,हरी धनिया जैसी कई पौष्टिक चीज़ों के मेल से बनाई जाती है। इन सभी अनाज़ों, सब्ज़ियों और मसालों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध विटामिन्स, प्रोटीन, मिनरल्स, कैल्शियम, पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, फास्फोरस, मैग्नीशियम और फाइटोकेमिकल्स जैसे पोषक तत्वों से शरीर का पोषण होता है, इंस्टैंट एनर्जी मिलती है और हाजमा और
। इसलिए भंडारे और मंदिरों में भोग के समय खिचड़ी ही बांटी और खिलाई जाती है। सर्दियों में लोगों के पाचन तंत्र की एक्टिविटी कम हो जाती है, ऐसे में गर्मागर्म पौष्टिक खिचड़ी खाना फायदेमंद होता है।
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अच्छी नींद लाने और वजन घटाने में कारगर
आसानी से पचने वाली चीज़ों को खाने से अच्छी नींद आती है। अच्छी नींद के लिए डिनर में खिचड़ी खाना लाभदायक होता है।
वजन घटाने के इच्छुक लोगों के लिए भी खिचड़ी एक आदर्श रेसिपी है। सर्दियों में डिनर के समय देसी घी के साथ और गर्मियों में दही के साथ खिचड़ी खाने से वजन नहीं बढ़ता है, क्योंकि यह आसानी से पच जाती है और पेट देर तक भरा रहता है। खिचड़ी खाने से शरीर की कार्यप्रणालियों में सुधार होता है और पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है, जिसके कारण ब्लोटिंग और
शुगर कंट्रोल करती है और इम्यूनिटी सिस्टम बढ़ाती है
डायबिटीज के मरीजों और डाइट कंट्रोल से जुड़े लोगों को हर दिन खिचड़ी खानी चाहिए। इससे शुगर कंट्रोल में रहती है और वजन बढ़ने से रोकना भी आसान होता है।
से वात, पित्त और कफ का दोष दूर हो जाता है। खिचड़ी शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को भी बूस्ट करने का काम करती है।
इस दिन उड़ाते हैं रंगबिरंगी पतंग
मकर संक्रांति के दिन लोग नहाने और पूजा-पाठ करने के लिए जल्दी उठ जाते हैं। इस दिन देश के कई हिस्सों, विशेषकर गुजरात, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश में पतंग उड़ाने की परंपरा है। खुली धूप में पतंग उड़ाने से शरीर को विटामिन डी की आपूर्ति होती है। विटामिन डी शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ स्किन और हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। सर्द हवाओं से भी कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती हैं।
मकर संक्रांति पर तिल खाने की भी परंपरा है। धार्मिक दृष्टि से तिल का सीधा संबंध शनि देव से माना जाता है। इस दिन तिल और तिलकुट खाने से शनि, राहू और केतु से संबंधित सारे दोष दूर हो जाते हैं।
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