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पूरी तरह नैचरल लाइफ जीने के लिए आयुर्वेदिक टिप्स के रूप में आपके हाथों में एक सफल फिटनेस गोल का सुनिश्चित नुस्खा हो सकता है, यदि आप खुद को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखने का मन बना लें। आयुर्वेद प्राचीन स्वास्थ्य जीवन प्रणाली है, यह आपको शारीरिक, मानसिक या आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ और बलवान बनाने का कार्य करता है... इसलिए प्राकृतिक चिकित्सा है आयुर्वेद -आयुर्वेद एक आत्म-चिकित्सा विज्ञान है। इसके माध्यम से आप अपने दैनिक आहार, जीवन शैली, मालिश और औषधीय जड़ी-बूटियों के उपयोग के साथ निरोग काया प्राप्त कर सकते हैं। आपकी फिटनेस टॉप पर रहेगी और आपकी सुंदरता हर किसी का दिल जीत लेगी। आपकी ऊर्जा के स्तर को हाई रखे -क्या आप दिनभर के काम के बाद सुस्त महसूस करते हैं? क्या आपको सुबह उठने और जिम की क्लास या योगा सत्र को पूरा करने के लिए उत्साह की कमी अनुभव होती है? यदि इन समस्याओं से बचने के लिए आप कैफीन युक्त चाय या कॉफी का उपयोग करते हैं तो इसे तुरंत बंद कर दें और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों जैसे, अश्वगंधा, ब्राह्मी और तुलसी के काढ़े का उपयोग करें। - इनकी चाय या काढ़ा बनाकर आप अपनी थकान को दूर कर सकते हैं। इन जड़ी बूटियों का उपयोग करने से मानसिक तनाव में कमी होती है और शरीर में लचीलापन यानी फ्लैग्जेबिलिटी बढ़ती है। आपकी ऊर्जा का स्तर उच्च बना रहता है। स्टैमिना का निर्माण करता है -आपको बता दें कि मानसिक तनाव और शारीरिक गतिविधि दोनों ही आपस में बहुत अच्छी तरह जुड़े हुए हैं। मानसिक तनाव में वृद्धि होती है तो शारीरिक गतिविधि में कमी आ जाती है और शारीरिक गतिविधि में कमी होती है तो मानसिक तनाव बढ़ने लगता है। इससे आपका स्टैमिना यानी काम करने की क्षमता कम होती है। -शतावरी जैसी जड़ी बूटी का उपयोग आपको इस समस्या से निजात दिलाने में पूरी तरह कारगर है। अश्वगंधा और ब्राह्मी की तरह ही शतावरी भी आपके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाती है। इससे आप लंबे समय तक खुद को ऊर्जावान अनुभव करते हैं और थकान का असर आपके शरीर और दिमाग पर देखने को नहीं मिलता है। -इससे मांसपेशियों में दर्द, खिंचाव, जकड़न की समस्या नहीं होती है। इसलिए आप शतावरी का उपयोग भी नियमित रूप से कर सकते हैं। यहां हम एक बात पूरी तरह साफ करना चाहते हैं कि यह सच है कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। लेकिन यदि इन औषधियों को जानकारी के अभाव में गलत तरीके से लिया जाए तो अन्य बीमारियां आपको घेर सकती हैं। इसलिए आप आयुर्वेदिक चिकित्सक और वैद्य से परामर्श के बाद ही इन जड़ी बूटियों का उपयोग करें। मेटाबॉलिज़म बढ़ाएं -यदि आपको लगता है कि आपके शरीर का मेटाबॉलिक रेट यानी उपाचयन की प्रक्रिया धीमी है तो आपको अपने दैनिक आहार में कुछ खास चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए। उपाचयन उस प्रक्रिया को कहते हैं, जो भोजन के द्वारा प्राप्त सत्व से आपके शरीर को एनर्जी देने का काम करती है। ताकि आप सही प्रकार से अपना जीवन जी सकें। -इसके लिए आप अपने दैनिक आहार में धनिया सीड्स, जीरा, लौंग, बड़ी इलायची, काली मिर्च इत्यादी को सम्मिलित करें। सीमित मात्रा में इन मसालों का नियमित उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है। -इनके साथ ही ड्राई फ्रूट्स यानी सूखे मेवे जैसे, बादाम, काजू, किशमिश, अंजीर, खुमानी इत्यादि का उपयोग भी नियमित रूप से करना चाहिए। ये शरीर को जरूरी फैटी एसिड्स और विटमिन्स देते हैं। जिससे शरीर अंदर से मजबूत बनता है और निरोग रहता है। अपने दैनिक आहार में धनिया के बीज, दालचीनी, जीरा और नट्स जैसे बादाम के साथ मसाले मिलाएं, सभी सही और पर्याप्त अनुपात में मिश्रित होते हैं जो शरीर में एनर्जी वापस ला सकते हैं। नियमित रूप से मालिश करें -शरीर की नियमित रूप से मालिश के लिए आपको किसी महंगे कॉस्मेटिक ऑइल की जरूरत नहीं है। बल्कि आप इसे लिए शुद्ध देसी सरसों के तेल का उपयोग करें। देसी तेल शरीर की मालिश के लिए एक अच्छा विकल्प है। -सरसों का तेल ऐंटिबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। साथ ही यह तासीर में गर्म होता है। इस कारण यह त्वचा के रोगों से मुक्ति दिलाने का काम करता है। शरीर पर किसी भी तरह के बैक्टीरिया और फंगस को पनपने से रोकता है। शरीर द्वारा सोख लिए जाने के बाद यह अंदर जाकर नसों को लचीला और हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करता है। ध्यान और व्यायाम -ध्यान मानसिक सेहत के लिए और व्यायाम शारीरिक सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं। ये दोनों ही विधाएं आयुर्वेद की देन हैं और इनका नियमित रूप से अभ्यास करने पर शरीर हर प्रकार के रोग से मुक्त रह सकता है। इसलिए आपको अपने दैनिक जीवन में ध्यान और व्यायाम को शामिल करना चाहिए। -यहां दिए गए सुझाव डॉक्टर दीपेश महेंद्र वाघमारे द्वारा सुझाए गए हैं। ये मिलेनियम हर्बल केयर के कार्यकारी चिकित्सा सलाहकार के पद पर कार्यरत हैं। साथ ही आयुर्वेद के जानकार भी हैं। इनका कहना है कि जो लोग यहां बताए गए नियमों को अपने जीवन में उतार लेते हैं, वे ता उम्र ऊर्जावान रह सकते हैं। साथ ही गंभीर से गंभीर रोग से लड़ने और जीतने की क्षमता उनके शरीर में विकसित हो जाती है।
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