हाल ही में एक स्टडी आई है जिसमें दावा किया गया है कि हेपेटाइटिस C का इलाज करने में इस्तेमाल होने वाले ऐंटीवायरल ड्रग्स या दवाइयां उन मरीजों में लिवर संबंधी मौतों को 50 फीसदी तक कम करने में कारगर हैं जो कभी लिवर के कैंसर से ग्रस्त रहे थे। पहले डॉक्टरों का मानना था कि हेपेटाइटिस C लिवर को संक्रमित करने के बाद इम्यून सिस्टम को ऐक्टिवेट कर देता है और यही सिस्टम लिवर कैंसर के पुनरागमन को रोकता है। लेकिन ऐसा नहीं है। इस गेस्ट्रोएन्ट्रॉलजी में प्रकाशित इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने देशभर के 31 मेडिकल सेंटर्स से करीब 800 मरीजों पर शओध किया और पाया कि ऐंटीवायरल ड्रग्स न सिर्फ सुरक्षित हैं बल्कि इनकी वजह से सिरॉसिस और लिवर कैंसर से होने वाली मौतों का आंकड़ा 46 फीसदी घट गया। क्लिनिकल चीफ ऑफ हिपेटॉलजी और यूटी साउथवेस्टर्न लिवर ट्यूमर प्रोग्राम के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अमित सिंघल ने कहा कि हेपेटाइटिस सी के लिए दी जाने वाली दवाइयां न सिर्फ लिवर पेशेंट्स के लिए सुरक्षित हैं बल्कि फायदेमंद भी हैं। उन्होंने आगे कहा कि हेपेटाइटिस C थेरपी इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे सफल निवारण मिलता है। उन्होंने कहा, 'आपको बस 2 या 3 महीने तक दवाइयां खानी होती हैं, जिनका साइड इफेक्ट नाम मात्र का होता है और बस आप एकदम ठीक हैं। हेपेटाइटिस C अगर एक बार पूरी तरह से ठीक हो जाए तो इसके वापस लौटने के चांस 1 फीसदी से भी कम हैं।' हेपेटाइटिस C का पूरी तरह से इलाज बहुत जरूरी है, नहीं तो सिरॉसिस हो सकता है जो जानलेवा होता है। इसका वायरस संक्रमित खून से फैलता है। यह बीमारी इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि आधे से ज्यादा संक्रमित लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि उन्हें यह बीमारी है, ऐसा इसलिए क्योंकि उनमें इसके लक्षण या तो दिखाई नहीं देते या सामने आने में 10 साल तक लग जाते हैं। इस वजह से डॉक्टर समय-समय पर ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।
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